Last Updated:March 29, 2025, 15:48 IST
ISRO News: ISRO ने 2,000 केएन के उच्च थ्रस्ट वाले सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया. यह इंजन LVM3 के बूस्टर चरण में मदद करेगा. परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में हुआ.

ISRO ने 2,000 केएन (किलोन्यूटन) के उच्च ‘थ्रस्ट’ वाले ‘सेमी-क्रायोजेनिक इंजन’ विकसित कर लिया है. (फोटो ISRO)
हाइलाइट्स
ISRO ने 2,000 केएन सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया.यह इंजन LVM3 के बूस्टर चरण में मदद करेगा.परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में हुआ.ISRO News: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) हर दिन सफलता के झंडे गाड़ रहा है. ISRO ने एक बार फिर ऐसी सफलता हासिल की है जिससे दुनिया को उसका लोहा एक बार फिर मानना होगा. ISRO ने 2,000 केएन (किलोन्यूटन) के उच्च ‘थ्रस्ट’ वाले ‘सेमी-क्रायोजेनिक इंजन’ या ‘तरल ऑक्सीजन/केरोसिन (मिट्टी का तेल) इंजन’ को विकसित करने में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल करने की घोषणा की है.
यह इंजन प्रक्षेपण यान ‘मार्क-3’ (LVM3) के ‘सेमीक्रायोजेनिक बूस्टर’ चरण में मदद करेगा. इसरो ने कहा कि ‘सेमीक्रायोजेनिक इंजन’ विकसित करने के कार्यक्रम में पहली बड़ी सफलता 28 मार्च को मिली जब तमिलनाडु में महेंद्रगिरि के ‘इसरो प्रणोदन परिसर’ में ‘इंजन पावर हेड टेस्ट आर्टिकल’ (पीएचटीए) का पहला तप्त (हॉट) परीक्षण सफल रहा.
ISRO achieves major breakthrough in Semicryogenic Engine development
ISRO has achieved a major breakthrough in the Semicryogenic development programme with the first successful hot test of the intermediate configuration of the 2000kN Semicryogenic engine, designated as Power…
— ISRO (@isro) March 28, 2025
ISRO ने क्या बताया?
अंतरिक्ष एजेंसी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शुक्रवार के परीक्षण ने 2.5 सेकंड की परीक्षण अवधि के लिए इंजन के सुचारू ‘इग्निशन’ और ‘बूस्ट स्ट्रैप मोड’ संचालन को प्रदर्शित किया. उसने बताया कि इस परीक्षण का उद्देश्य 2.5 सेकंड की अल्पावधि में ‘हॉट-फायरिंग’ करके ‘प्री-बर्नर’, ‘टर्बो पंप’, ‘स्टार्ट सिस्टम’ और नियंत्रण घटकों जैसी महत्वपूर्ण उप-प्रणालियों के एकीकृत प्रदर्शन को प्रमाणित करना था.
इसरो के और भी प्लान
बयान में कहा गया, ‘‘परीक्षण पूर्वानुमान के अनुसार हुआ और इंजन के सभी मापदंड उम्मीद के मुताबिक रहे. इस सफलता के साथ इसरो पूरी तरह से एकीकृत इंजन के निर्माण से पहले पीएचटीए पर कई परीक्षण करने की योजना बना रहा है ताकि इसके प्रदर्शन को और अधिक प्रमाणित और परिष्कृत किया जा सके.’’
इसरो ने कहा कि इसरो का द्रव्य प्रणोदन प्रणाली केंद्र (LPSC) सेमी क्रायोजेनिक प्रणोदन ‘इंजन’ और ‘स्टेज’का विकास कर रहा है. उसने बताया कि 2,000 केएन सेमी-क्रायोजेनिक इंजन (SE2000) द्वारा संचालित स्टेज (एससी120) पेलोड वृद्धि के लिए एलएमवी3 के वर्तमान ‘कोर लिक्विड स्टेज’ (एल110) की जगह लेगा और भविष्य के प्रक्षेपण यानों के बूस्टर चरणों को शक्ति प्रदान करेगा.
सेमी-क्रायोजेनिक प्रणोदन में गैर विषैले और गैर खतरनाक प्रणोदक (तरल ऑक्सीजन और मिट्टी का तेल) का उपयोग किया जाता है और यह मौजूदा एल110 स्टेज की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करता है.
Location :
Bangalore,Bangalore,Karnataka
First Published :
March 29, 2025, 15:35 IST