अगर तेज आंधी आ रही हो और आप हों घर से बाहर तो क्या करें, जानें सुरक्षा के उपाय

5 hours ago

Storm Safety: दिल्ली और एनसीआर में बुधवार शाम को आए रेतीले तूफान और भारी बारिश के कारण कम से कम छह लोगों की मौत हो गई. दिल्ली में दो लोगों की मौत हुई, जबकि गाजियाबाद में दो-तीन लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. ग्रेटर नोएडा में दो लोगों की मौत हुई, जिसमें एक दादी और उनका दो साल का पोता शामिल है. उनके ऊपर 21वीं मंजिल से टिन शेड गिर गया था. इसके अलावा कई लोग घायल हुए हैं. जगह-जगह पेड़, बिजली के खंभे और होर्डिंग गिरने से काफी नुकसान भी हुआ है. श्रीनगर जाने वाला एक विमान जिसमें 200 से ज्यादा यात्री सवार थे इस तूफान में फंस गया. लेकिन पायलट विमान को सुरक्षित रूप से उतारने में कामयाब रहा. 

श्रीनगर जाने वाली इंडिगो की फ्लाइट में सवार 200 से ज्यादा यात्री अचानक आए तूफान में फंस गए. एक वायरल वीडियो में विमान के अंदर यात्री चीखते-चिल्लाते और रोते हुए दिखाई दे रहे हैं. विमान में उथल-पुथल मची हुई है. एयरलाइन ने एक बयान में कहा, “दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की फ्लाइट 6E 2142 को रास्ते में अचानक ओलावृष्टि का सामना करना पड़ा. फ्लाइट और केबिन क्रू ने प्रोटोकॉल का पालन किया और विमान को श्रीनगर में सुरक्षित रूप से उतारा गया.” हालांकि एयरलाइन ने किसी नुकसान का विवरण नहीं दिया, लेकिन वायरल हुई तस्वीर से पता चला कि विमान का अगला हिस्सा टूट गया था.

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इन सब खबरों से इतना तो समझ में आ ही गया होगा कि तेज आंधी आने पर सुरक्षा के उपाय अपनाना कितना जरूरी है. जानिए अगर तेज आंधी आ रही हो तो क्या करें…

घर या सुरक्षित स्थान पर रहें: खिड़कियां, दरवाजे और वेंटिलेशन बंद कर दें. अगर छत कमजोर हो तो किसी मजबूत कमरे,  जैसे बाथरूम या अंदर के कमरे में चले जाएं.

बाहर होने पर: तुरंत किसी मजबूत इमारत या गाड़ी में शरण लें. पेड़, बिजली के खंभे या ऊंची इमारतों से दूर रहें. क्योंकि आंधी में इनके गिरने का खतरा बना रहता है. अगर कोई सुरक्षित जगह न हो तो जमीन पर लेट जाएं और सिर को हाथों से बचाएं.

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बिजली और गैस का ध्यान रखें: बिजली के मेन स्विच को बंद कर दें. ताकि शॉर्ट सर्किट की स्थिति में किसी हादसे से बचा जा सके. गैस लीक की जांच करें और गैस सिलिंडर बंद कर दें.

आपातकालीन सामग्री तैयार रखें: टॉर्च, पानी, दवाइयां और जरूरी दस्तावेज पास रखें. मोबाइल फोन चार्ज रखें और रेडियो या  किसी अन्य माध्यम से अपडेट लेते रहें.

आंधी के बाद: टूटे बिजली के तारों या क्षतिग्रस्त इमारतों से दूर रहें. जरूरत पड़ने पर ही बाहर निकलें और अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें. अगर आंधी के साथ बारिश या ओले पड़ रहे हों तो और सावधानी बरतें. स्थानीय मौसम विभाग की चेतावनियों पर ध्यान दें. 

याद रखें कि प्राकृतिक आपदाओं में सतर्कता और शांति से काम लेने से जानमाल का नुकसान कम होता है. 

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अगर खुले में कार चला रहे हों और अचानक तेज आंधी (धूल भरी आंधी या तूफान) आ जाए तो इन सावधानियों को अपनाएं…

गाड़ी रोकें और सुरक्षित जगह ढूंढें. तुरंत कार की स्पीड कम करें और रोड के किनारे सुरक्षित जगह पर रुक जाएं. अगर हाईवे या एक्सप्रेसवे पर हैं तो इमरजेंसी पार्किंग एरिया में रुकें. पेड़, बिजली के खंभे, ऊंची इमारतों या बड़े होर्डिंग्स से दूर रहें. 

कार में ही रहें और सावधानियां बरतें. कार के शीशे और वेंटिलेशन बंद कर दें ताकि धूल अंदर न आए. इंजन और हेडलाइट्स बंद कर दें, लेकिन इमरजेंसी लाइट्स (हैजर्ड लाइट) जलाकर रखें ताकि दूसरे ड्राइवर्स आपकी कार देख सकें. सीट बेल्ट लगाकर बैठे रहें क्योंकि तेज हवाओं से कार हिल सकती है.

अगर आंधी बहुत तेज हो जिसमें कार उड़ने या पलटने का खतरा हो तो कार छोड़कर नीचे लेट जाएं. सिर को हाथों या किसी मजबूत चीज से ढक लें.

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क्या करें आंधी के बाद
जब हवा शांत हो जाए तो ध्यान से आगे बढ़ें. रास्ते में गिरे हुए पेड़, बिजली के तार या मलबे से सावधान रहें. अगर कार क्षतिग्रस्त हो या रास्ता बंद हो तो हेल्पलाइन (जैसे 108, 112) पर कॉल करें. रेडियो या वेदर अलर्ट सुनते रहें. पैनिक न करें शांत रहकर स्थिति को हैंडल करें. अगर आंधी के साथ बारिश या ओले गिर रहे हों, तो कार को किसी पुल या फ्लाईओवर के नीचे खड़ा करें. लेकिन बाढ़ वाले इलाकों से बचें.

भारत में अब तक के सबसे खतरनाक आंधियों और तूफानों में से कुछ ने भारी तबाही मचाई है 

1999 का ओडिशा सुपर साइक्लोन
29 अक्टूबर 1999 को आए ओडिशा सुपर साइक्लोन से भुवनेश्वर, पुरी, केंद्रपाड़ा और जगतसिंहपुर प्रभावित हुआ था. इसमें हवा की गति 260 किमी/घंटा थी. इसे भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली चक्रवातीय तूफान माना जाता है. इसमें काफी नुकसान हुआ था. दस हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. जबकि 20 लाख घर नष्ट हो गए थे औक लाखों पेड़ उखड़ गए थे.

2020 का सुपर साइक्लोन अम्फान
अम्फान साइक्लोन पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बांग्लादेश में आया था. हवा की गति 240 किमी/घंटा थी. भारत और बांग्लादेश मिलाकर इसमें 128 लोगों की मौत हो गई थी. इसमें 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ था. इससे सुंदरबन के इकोसिस्टम को भारी नुकसान पहुंचा था. 

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1977 का आंध्र प्रदेश चक्रवात
यह चक्रवात 19 नवंबर 1977 को आंध्र प्रदेश में आया था. इसने विशाखापत्तनम और कृष्णा-गोदावरी डेल्टा को गंभीर रूप से प्रभावित किया था. इसमें हवा की गति लगभग 270 किमी/घंटा थी. अनुमानत: इसमें 10,000 से 50,000 लोगों की मौत हो गई थी. मछुआरों और तटीय गांवों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा था. इस चक्रवात के बाद भारत में पहली बार आधुनिक चक्रवात चेतावनी प्रणाली शुरू की गई.

2018 केरल की बाढ़ और आंधी
अगस्त 2018 में केरल में अत्यधिक मानसूनी बारिश और तेज हवाओं ने कोहराम मचा दिया था. इसकी वजह से 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 10 लाख से अधिक लोगों को विस्थापन का दर्द झेलना पड़ा था. इससे केरल की अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा था. 

2021 का चक्रवात तौकते
मई 2021 में चक्रवात तौकते ने गुजरात, महाराष्ट्र, दमन और दीव को अपना शिकार बनाया था. इसमें हवा की गति 185 किमी/घंटा थी. तौकते ने 100 से ज्यादा लोगों की मौत की नींद सुला दिया था. इसकी वजह से मुंबई और सूरत में बाढ़ आ गई थी.

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