'अगले 15-20 सालों तक किसी की बारी नहीं आएगी', अमित शाह बोले, जो भी करना है...

14 hours ago

Last Updated:March 25, 2025, 19:26 IST

Amit Shah News: अमित शाह ने राज्यसभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा के दौरान कहा कि समय पर इमारत की मरम्मत नहीं की जाए तो वह गिर जाती है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के एजेंडे को दुनिया के 40 से ...और पढ़ें

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अमित शाह ने कहा कि पीएम मोदी के 10 सूत्रीय एजेंडे के 40 देशों ने अपनाया है.

हाइलाइट्स

अमित शाह ने राज्यसभा में आपदा प्रबंधन विधेयक पर चर्चा की.उन्होंने कहा, "अगले 15-20 सालों तक किसी की बारी नहीं आएगी."आपदा प्रबंधन में राज्य और स्थानीय इकाइयों की सहभागिता महत्वपूर्ण है.

नई दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में कुछ ऐसा कि वहां मौजूद सभी सांसद हंसने लगे. उन्होंने सदन में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा, “…कुछ सदस्यों ने सवाल उठाया कि संशोधन की जरूरत क्या है. मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि अगर समय पर इमारत की मरम्मत नहीं की जाती, तो वह गिर जाती है…वे सोचते हैं कि शायद वे आएंगे और इसे बदल देंगे, लेकिन अगले 15-20 सालों तक किसी की बारी नहीं आएगी. जो भी करना है, हमें ही करना है…”

उन्होंने आगे कहा, “आपदा प्रबंधन अधिनियम पहली बार 2005 में लागू हुआ था. इसके तहत एनडीएमए, एसडीएमए और डीडीएमए का गठन हुआ…अब चिंता जताई जा रही है कि इससे सत्ता का केंद्रीकरण होगा. अगर आप पूरे विधेयक को ध्यान से पढ़ें, तो सबसे बड़ी जिम्मेदारी जिला आपदा प्रबंधन की है, जो राज्य सरकार के अधीन है. इसलिए संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचने की कोई संभावना नहीं है…”

#WATCH | Union Home Minister Amit Shah replies to debate in Rajya Sabha on Disaster Management (Amendment) Bill, 2024

He says, “…Some members raised the question that what is the need for amendment. I want to tell them that if a building is not repaired in time, it… pic.twitter.com/VuzePbM4gJ

— ANI (@ANI) March 25, 2025

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा, “आपदा जोखिम नियमिकरण के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 सूत्रीय एजेंडा, जो विश्व के सामने रखा है, उसे 40 से ज्यादा देशों ने स्वीकार कर लिया है, इसे अपना लिया है. ना केवल राज्य सरकार और स्थानीय ईकाई की सहभागिता, हम समाज की सहभागिता को भी इसमें अपेक्षित रखा है. राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर प्लानिंग की इसके अंदर गुंजाइश रखी है. और संस्थाओं की शक्तियों और कर्तव्य दोनों का स्पष्टीकरण किया है. कोई भी आपदा के सामने की लड़ाई, जब तक संस्थाओं को एम्पावर ना करें, नहीं लड़ी जा सकती… और जब तक संस्थाओं को रिस्पॉन्सिबल ना करें, तब भी नहीं लड़ी जा सकती. विधेयक को कोई ध्यान से देखेगा, तो इन दोनों को करने का काम हमने इस विधेयक में किया है.”

उन्होंने आगे कहा, “हम सब जानते हैं कि आपदा का सीधा रिश्ता जलवायु परिवर्तन से है. तो आपदा ना आए, इसके लिए सबसे अच्छा तरीका तो ये है कि जलवायु परिवर्तन को हम संभालकर रखें. ग्लोबल वॉर्मिंग की चिंता करें… और भारत में जो पीएम मोदी आज कर रहे हैं, वो काफी पहले से इस कोशिश में लगे हुए हैं… प्रकृति को साफ-सुथरा रखने की बात हो, यजुर्वेद में भी यह वर्णित है, जिसमें शांति की जो कामना की गई है, वो सिर्फ मानव तक सीमित नहीं है… उसमें जल, जड़ी-बूटी, वनस्पति, पेड़-पौधे, पशु और यहां तक कि अंतरिक्ष तक की शांति की हम प्रार्थना करते हैं क्योंकि जलवायु का संरक्षण हो. और ये हमारे यजुर्वेद के टाइम से उस समय से वेदकालीन समय से मनुष्य और प्रकृति के परस्पर संबंधों को हमने स्वीकार किया है. और हमारी सरकार उसी परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रही है.”

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

March 25, 2025, 19:26 IST

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