Last Updated:May 20, 2025, 12:15 IST
डॉ. एमआर श्रीनिवासन, भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के दिग्गज, का 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने भारत को परमाणु ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाने का सपना साकार किया और 'पद्म विभूषण' से सम्मानित हुए.

हाइलाइट्स
डॉ. एमआर श्रीनिवासन का 95 वर्ष की उम्र में निधन हुआ.भारत के पहले परमाणु रिएक्टर 'अप्सरा' के निर्माण में शामिल थे.2000 में डॉ. श्रीनिवासन को 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया.Dr. M.R. Srinivasan: भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के दिग्गज और परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एमआर श्रीनिवासन अब हमारे बीच नहीं रहे. मंगलवार को तमिलनाडु के उधगमंडलम में 95 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन से भारत ने एक ऐसे वैज्ञानिक को खो दिया, जिन्होंने देश को परमाणु ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाने का सपना साकार किया.
डॉ. श्रीनिवासन ने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई. 1955 में उन्होंने परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) में अपने करियर की शुरुआत की और पांच दशकों तक देश के लिए काम किया. वे भारत के पहले परमाणु रिएक्टर ‘अप्सरा’ के निर्माण में डॉ. होमी भाभा के साथ शामिल थे, जिसे 1956 में शुरू किया गया. यह भारत की परमाणु यात्रा का पहला कदम था.
1959 में उन्हें देश के पहले परमाणु बिजली स्टेशन का मुख्य इंजीनियर बनाया गया. 1967 में वे मद्रास परमाणु ऊर्जा स्टेशन के प्रोजेक्ट इंजीनियर बने, जिसने भारत को परमाणु ऊर्जा में आत्मनिर्भरता की राह दिखाई. 1974 में वे डीएई के पावर प्रोजेक्ट्स डिवीजन के निदेशक बने और 1984 में न्यूक्लियर पावर बोर्ड के अध्यक्ष बने.
1987 में डॉ. श्रीनिवासन ने परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और डीएई के सचिव की जिम्मेदारी संभाली. उसी साल उन्होंने न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) की नींव रखी और इसके पहले अध्यक्ष बने. उनके नेतृत्व में भारत ने 18 परमाणु इकाइयों का विकास किया, जिनमें सात चालू हुईं, सात निर्माणाधीन थीं और चार की योजना बनी. उनके प्रयासों से भारत परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ा.
उनके योगदान के लिए 2000 में उन्हें ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया. उनकी बेटी शारदा श्रीनिवासन ने कहा कि मेरे पिता का सपना था कि भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने, और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी.
डॉ. श्रीनिवासन से जुड़ी कुछ रोचक और महत्वपूर्ण बातें
डॉ. श्रीनिवासन को ‘भारत का परमाणु शिल्पी’ कहा जाता था, क्योंकि उन्होंने भारत को परमाणु ऊर्जा में विश्व गुरु बनाने की नींव रखी. उनके समय में परमाणु तकनीक का उपयोग कैंसर के इलाज और खेती में भी शुरू हुआ, जिससे लाखों लोगों को फायदा हुआ. वे युवा वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा थे और कहते थे, विज्ञान और मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है. उनके कार्यकाल में भारत ने रूस और फ्रांस जैसे देशों के साथ परमाणु ऊर्जा में सहयोग बढ़ाया, जिससे भारत की वैश्विक साख मजबूत हुई.Anoop Kumar MishraAssistant Editor
Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 3 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें
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