Last Updated:August 16, 2025, 10:17 IST
Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर देशवासी उनको श्रद्धापूर्वक स्मरण कर रहे हैं. इस अवसर पर उनके व्यक्तित्व से जुड़ी कई बातों को भी लोग याद कर रहे हैं. ...और पढ़ें

पटना. पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर देश उनके योगदान को याद कर रहा है. इसके साथ ही देश उनके विराट व्यक्तित्व से जुड़ी बातों की भी चर्चा कर रहा है. वाकया 1999 का है जब लोकसभा में लालू प्रसाद यादव की एक चुटीली टिप्पणी पर भी वह खिलखिलाकर हंस पड़े थे. लालू यादव ने तब देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के कथन को जोड़ते हुए अटल बिहारी वाजपेयी के दो बार प्रधानमंत्री बनने की बात पर तंज कसा था. इस वाकये में लालू यादव के मसखरेपन, तंज और कटाक्ष को अटल जी की एक खिलखिलाहट ने हल्का कर दिया था और उनके हृदय के भीतर बसने वाले लोकतांत्रिक मूल्यों की सादगी भरी तस्वीर देश के सामने पेश की थी. तब सदन ठहाकों से गूंज उठा तो अटल जी की हंसी ने उनके विराट व्यक्तित्व का परिचय देश को एक बार फिर करवाया.
यह यादगार वाकया वर्ष 1999 का है जब लोकसभा में लालू प्रसाद यादव ने अटल जी पर चुटीला तंज कसा था. लालू यादव ने कहा, आप दो-दो बार प्रधानमंत्री बन गए अब तो इस मुल्क का पीछा छोड़िये. इस पर पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा और अटल जी भी खिलखिलाकर हंस पड़े. अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर उनकी सहजता और लोकतांत्रिक मूल्यों को याद किया जा रहा है. आइये जानते हैं कि यह पूरा वाकया क्या था.
लालू यादव के अटल जी पर तंज में भी दिखी मर्यादा!
यह वाकया 1999 का तब का है जब अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रही थी. अप्रैल 1999 में 13 महीने की सरकार गिरने के बाद लोकसभा में गर्मागर्म बहस हो रही थी. लालू प्रसाद यादव तो अपनी हाजिरजवाबी और मसखरे अंदाज के लिए मशहूर रहे ही हैं. उनको जब लोकसभा में बोलने का अवसर मिला तो उन्होंने इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल वाजपेयी पर यह तंज कसा. चर्चा का मुद्दा था सरकार का बहुमत और गठबंधन की राजनीति. लालू यादव ने अपने भाषण में पंडित नेहरू के कथित बयान का जिक्र कर हल्के-फुल्के अंदाज में माहौल को जीवंत कर दिया.
लालू यादव की बात पर गूंजे ठहाके तो अटल जी खिलखिला उठे
“आपके उम्र के आदमी को सुझाव देने योग्य हम नहीं, लेकिन आपने कहा था कि नेहरू जी ने कहा-अटल तुम एक दिन प्रधानमंत्री बनोगे. वो एक बार बोले, आप दो बार बन गए” दरअसल, वाकया ऐसा था कि लालू यादव ने अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर कहा कि- ”अभी भी मेरा सुझाव है, हालांकि आपके उम्र के आदमी के लिए सुझाव देने के योग्य हम नहीं हैं. लेकिन आपने कहा था कि माननीय प्रधानमंत्री जी कि पूरे देश के कांग्रेस के लोगों से सहानुभूति लेने के लिए कि-अटल तुम एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनोगे. तो आप एक बार नहीं आप दो बार हो गए. नेहरू जी तो एक बार बोले लेकिन आप हो गए दो बार. अब तो पीछा छोड़िये इस मुल्क का!” इस पर पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा. विशेष बात यह कि लालू यादव की बात पर अटल बिहारी वाजपेयी भी खिलखिलाकर हंस पड़े थे.
लालू यादव का मसखरापन और अटल जी का बड़प्पन
लालू यादव का यह तंज उनके ठेठ बिहारी अंदाज का हिस्सा था जो सदन में अक्सर हंसी का कारण बनता था. लेकिन, इस घटना में खास बात थी अटल जी की प्रतिक्रिया. यहां कोई दूसरा नेता शायद नाराज हो जाता, वहीं अटल जी ने लालू यादव के तंज भरे मजाक को सहजता से लिया और अपनी खिलखिलाहट से सदन का माहौल हल्का कर दिया. यह उनकी सहनशीलता और विपक्ष के प्रति सम्मान का उदाहरण था. उनकी यह हंसी न केवल उनके व्यक्तित्व की सादगी को बताती है, बल्कि यह भी बताती है कि वे कितने खुले दिल के थे. जानकार कहते हैं कि यह वाकया उनके खुले दिल और उनके लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सम्मान का प्रतीक है.
अटल जी का विराट व्यक्तित्व और लोकतांत्रिक मूल्य
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के ऐसे शख्स थे जिन्होंने सत्ता और विपक्ष दोनों में अपनी गरिमा बनाए रखी. वर्ष 1996 में उनकी 13 दिन की सरकार के दौरान दिया गया ऐतिहासिक भाषण, जिसमें उन्होंने कहा, “सत्ता का खेल चलेगा, लेकिन देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए,”... आज भी प्रेरणा देता है. लालू यादव जैसे नेताओं के तंज को हंसकर स्वीकार करना उनकी सहिष्णुता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है. चाहे वह विपक्षी नेताओं के साथ हल्का-फुल्का मजाक हो या गंभीर मुद्दों पर संवाद, अटल जी हमेशा गरिमा और संयम का परिचय देते थे.
नेतृत्व की मिसाल: क्यों सबसे अलग थे अटल जी?
अटल बिहारी वाजपेयी न केवल एक कुशल राजनेता, बल्कि कवि, पत्रकार और विचारक भी थे. उनकी नेतृत्व शैली में समावेशिता और सहानुभूति थी. चाहे वह कारगिल युद्ध के दौरान लिया गया कड़ा फैसला हो या पोखरण परमाणु परीक्षण, उन्होंने हमेशा देशहित को सर्वोपरि रखा. विपक्षी दलों के साथ उनके संबंध हमेशा सौहार्दपूर्ण रहे. लालू यादव के साथ उनके इस हल्के-फुल्के पल ने दिखाया कि वे कितने सहज और सुलझे हुए थे. उनकी हंसी ने न केवल सदन का माहौल बदला, बल्कि यह भी बताया कि एक सच्चा नेता तंज को भी मुस्कान में बदल सकता है.
देश की राजनीति के लिए हमेशा प्रासंगिक रहेंगे अटल जी
अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व आज भी भारतीय राजनीति के लिए प्रेरणा है. उनकी कविताएं, भाषण और नीतियां आज भी लोगों के दिलों में बसी हैं. लालू यादव के तंज पर उनकी हंसी उस दौर की राजनीति की मर्यादा को दर्शाती है जब विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी बहस के बावजूद आपसी सम्मान बना रहता था. उनकी यह सहजता और हास्यबोध आज की राजनीति में दुर्लभ है. सोशल मीडिया पर उनके भाषणों के वीडियो आज भी वायरल होते हैं और लोग मंत्रमुग्ध होकर उनके संबोधनों को सुनते हैं जो उनकी प्रासंगिकता को बताते हैं.
लालू यादव और अटल: दो अलग व्यक्तित्व, एक मंच
लालू यादव और अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थे. जहां लालू यादव अपनी देहाती शैली और हाजिरजवाबी के लिए जाने जाते थे, वहीं अटल जी अपनी गंभीरता, काव्यात्मकता और संयम के लिए मशहूर थे. फिर भी दोनों के बीच का यह शाब्दिक और भावात्मक आदान-प्रदान का पल दिखाता है कि भारतीय लोकतंत्र में विभिन्न विचारधाराओं के बावजूद हास्य और सम्मान की जगह थी. यह वाकया न केवल अटल जी के बड़प्पन को दर्शाता है, बल्कि उस समय की संसदीय गरिमा की ओर भी इंगित करता है. अटल जी का यह बड़प्पन उनकी नेतृत्व शैली और भारतीय लोकतंत्र के प्रति उनकी निष्ठा का प्रतीक है.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
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First Published :
August 16, 2025, 10:17 IST