Last Updated:August 25, 2025, 12:02 IST
Amit Shah on Justice Altaf Alam: अमित शाह ने सोहराबुद्दीन मामले में जस्टिस आफताब आलम के उनके घर आने की खबरों को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि जस्टिस आलम की ही देन है कि उनकी जमानत याचिका पर दो साल तक सुनवाई हु...और पढ़ें

Amit Shah on Justice Altaf Alam: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर मामले में उस मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है जिसमें दावा किया गया था कि जस्टिस आफताब आलम उनके घर पर हस्ताक्षर लेने आए थे. शाह ने स्पष्ट कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ. एएनआई को दिए एक खास इंटरव्यू में उन्होंने कहा- नहीं, यह घटना नहीं हुई. आफताब आलम कभी मेरे घर नहीं आए. उन्होंने रविवार को विशेष अदालत में मेरी जमानत याचिका सुनी. उन्होंने कहा था कि अमित शाह गुजरात के पूर्व गृह मंत्री होने के नाते सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं. जज की इस टिप्पणी पर अमित शाह के वकील ने कहा था कि अगर आपको यह डर है, तो जमानत याचिका के फैसले तक हमारा क्लाइंट गुजरात के बाहर रहेगा. मैं दो साल तक गुजरात के बाहर रहा, क्योंकि भारत के इतिहास में किसी की जमानत याचिका कभी दो साल तक नहीं चली. आफताब आलम की कृपा से मेरी जमानत याचिका दो साल चली. अधिकतम जमानत याचिका 11 दिनों तक चलती है.
अमित शाह ने यह बयान संविधान (130वां संशोधन) विधेयक के संदर्भ में दिया. इसमें गंभीर अपराधों में 30 दिनों से अधिक जेल में रहने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों या मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान है. विपक्ष ने विधेयक को ब्लैक बिल बताकर विरोध किया, लेकिन अमित शाह ने इसे लोकतंत्र की गरिमा से जोड़ा. उन्होंने कहा कि जेल से सरकार चलाना उचित नहीं.
हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दिया
शाह ने राजनीतिक नैतिकता पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि अडवाणी जी, मदनलाल खुराना और कई अन्य नेताओं ने आरोप लगते ही इस्तीफा दिया था. अभी हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दिया. किसी मामले में आरोपी होने पर इस्तीफा देना आम था. बरी होने के बाद वे राजनीति में लौट आते थे. लेकिन तमिलनाडु के कुछ मंत्रियों ने इस्तीफा नहीं दिया. दिल्ली के मंत्री और मुख्यमंत्री ने भी इस्तीफा नहीं दिया. अगर राजनीति और सामाजिक जीवन का नैतिक स्तर इस तरह गिराया जा रहा है तो हम सहमत नहीं हैं.
2010 में सीबीआई ने शाह को गिरफ्तार किया था, जब वे गुजरात के गृह राज्य मंत्री थे. मामला 2005 के सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसर बानो की कथित फर्जी हत्या से जुड़ा था. सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस आफताब आलम शामिल थे ने जमानत पर रोक लगाई और शाह को गुजरात से बाहर रहने का आदेश दिया. गुजरात हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2010 में जमानत दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने शर्त लगाई. शाह ने कहा कि यह राजनीतिक साजिश थी. 2014 में मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया.
शाह ने विपक्ष पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के समय कांग्रेस ने सजायाफ्ता नेताओं को बचाने के लिए अध्यादेश लाया था जिसे राहुल गांधी ने फाड़ दिया. लेकिन अब वे लालू प्रसाद यादव जैसे सजायाफ्ता नेताओं का समर्थन कर रहे हैं. शाह ने जोर दिया कि 130वां संशोधन सभी के लिए समान है जिसमें प्रधानमंत्री का पद भी शामिल है.
यह विवाद संसद के मानसून सत्र से जुड़ा है, जहां विधेयक पेश होने पर हंगामा हुआ. शाह ने कहा कि विधेयक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा जाएगा, जहां सभी दल चर्चा कर सकते हैं. उन्होंने विपक्ष से अपील की कि वे बहिष्कार न करें और रचनात्मक योगदान दें. यह विधेयक राजनीतिक नैतिकता को मजबूत करने का प्रयास है, लेकिन विपक्ष इसे सत्ता के दुरुपयोग का हथियार बता रहा है.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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First Published :
August 25, 2025, 12:02 IST