आंध्र वेंकटेश्वर मंदिर भगदड़ के 5 बड़े अपडेट, क्यों कहलाता है ईस्ट का तिरुपति?

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Last Updated:November 01, 2025, 16:42 IST

Andhra Temple Stampede Update: आंध्र प्रदेश के काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भगदड़ में 9 श्रद्धालुओं की मौत हुई. यह 600 साल पुराना धाम ‘पूर्व का तिरुपति’ कहलाता है. तिरुपति जैसी परंपराओं वाला यह मंदिर विजयनगर काल की धार्मिक धरोहर है. आइए इस खबर में जानते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में.

आंध्र वेंकटेश्वर मंदिर भगदड़ के 5 बड़े अपडेट, क्यों कहलाता है ईस्ट का तिरुपति?काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की पूजा-विधि, आरती और भोग की परंपराएं तिरुमला तिरुपति बालाजी मंदिर जैसी हैं. (फाइल फोटो)

Andhra Temple Stampede Update: आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम ज़िले में स्थित काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में शनिवार को श्रद्धा की जगह मातम का माहौल था. एकादशी के अवसर पर दर्शन के लिए उमड़ी भारी भीड़ के बीच मची भगदड़ में कम से कम 9 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 15 से अधिक घायल हो गए. यह हादसा उस समय हुआ जब मंदिर परिसर में एक ही रास्ते से प्रवेश और निकास किया जा रहा था.

करीब 600 साल पुराना यह मंदिर ‘तिरुपति ऑफ द ईस्ट’ यानी ‘पूर्व का तिरुपति’ कहलाता है. भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित यह प्राचीन धाम हर एकादशी को हज़ारों भक्तों से भर जाता है. भक्तों का विश्वास है कि यहां की पूजा-पद्धति तिरुपति बालाजी जैसी है, इसलिए इस मंदिर में दर्शन करने को तिरुपति जाने के समान पुण्यदायी माना जाता है.

1. क्यों कहा जाता है ‘तिरुपति ऑफ द ईस्ट’?

काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की पूजा-विधि, आरती और भोग की परंपराएं तिरुमला तिरुपति बालाजी मंदिर जैसी हैं. यहां भगवान वेंकटेश्वर के साथ देवी पद्मावती और भगवान विष्णु के अन्य स्वरूपों की भी आराधना होती है. यही कारण है कि भक्त इसे “पूर्व का तिरुपति” कहते हैं.

2. विजयनगर साम्राज्य की धरोहर

माना जाता है कि यह मंदिर विजयनगर साम्राज्य के समय में बनाया गया था. कहा जाता है कि इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने स्वयं प्रकट होकर भक्तों को दर्शन दिए थे. मंदिर की दीवारों पर अंकित शिलालेख और पत्थर की नक्काशियां आज भी उस युग की कलात्मकता का प्रमाण हैं.

3. वास्तुकला और आध्यात्मिकता का संगम

द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर के गोपुरम (प्रवेश द्वार), मंडप और काले पत्थर से बनी भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति इसे स्थापत्य कला की उत्कृष्ट मिसाल बनाते हैं. मंदिर के चारों ओर देवी-देवताओं की प्रतिमाएं और अलंकृत स्तंभ इसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं.

4. नागावली नदी और धार्मिक महत्व

मंदिर के पास बहने वाली नागावली नदी को पवित्र माना जाता है. श्रद्धालु दर्शन से पहले नदी में स्नान करते हैं, जिसे मोक्षदायक माना गया है. मान्यता है कि यहां स्नान और पूजा करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति आती है.

5. हादसा: भीड़, भगदड़ और अफरातफरी

एकादशी के दिन उमड़ी भारी भीड़ के कारण मंदिर परिसर में भगदड़ मच गई. सामने आए वीडियो में देखा गया कि संकरे रास्ते में सैकड़ों लोग फंसे थे और बुजुर्ग श्रद्धालु मदद के लिए पुकार रहे थे. पुलिस के अनुसार मंदिर निजी ट्रस्ट के अधीन है, और कार्यक्रम के लिए एंडोमेंट्स विभाग से अनुमति नहीं ली गई थी. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने हादसे पर शोक जताया और पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की. राज्यपाल के कार्यालय ने इसे “दिल दहला देने वाली त्रासदी” बताया है.

Sumit Kumar

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें

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First Published :

November 01, 2025, 16:42 IST

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