Last Updated:May 21, 2025, 07:37 IST
Aadhar News: UIDAI ने मद्रास हाईकोर्ट को बताया कि मृत व्यक्ति के फिंगरप्रिंट्स से पहचान करना तकनीकी रूप से असंभव है. तमिलनाडु पुलिस ने अज्ञात शव की पहचान के लिए आधार डेटा मांगा था. ऐसे में UIDAI का यह बयान काफी...और पढ़ें

मृत व्यक्ति की पहचान के लिए आधार का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
हाइलाइट्स
UIDAI ने मृतकों के फिंगरप्रिंट्स से पहचान को असंभव बताया.तमिलनाडु पुलिस ने अज्ञात शव की पहचान के लिए आधार डेटा मांगा था.आधार अधिनियम सूचनाओं को साझा करने पर सख्त पाबंदियां लगाता है.Aadhar News: यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने मद्रास हाईकोर्ट को बताया है कि मृत व्यक्ति के फिंगरप्रिंट्स को आधार डेटाबेस से मिलाकर उसकी पहचान करने वाली जानकारी पुलिस को देना तकनीकी रूप से असंभव है. यह बयान तमिलनाडु पुलिस द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में आया, जिसमें एक अज्ञात शव की पहचान के लिए आधार डेटा मांगा गया था.
UIDAI ने जस्टिस जी.के. इलांथिरायन के सामने दायर अपने हलफनामे में कहा कि आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016, सूचनाओं को साझा करने पर सख्त पाबंदियां लगाता है. साथ ही मृतकों की जानकारी निकालने में तकनीकी बाधाएं हैं. यह याचिका तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के तिंदिवनम सब-डिवीजन के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस ने दायर की थी. इसमें UIDAI से एक अज्ञात शव की पहचान के लिए उसकी डेमोग्राफिक जानकारी देने की मांग की गई थी.
द हिंदू अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार के वरिष्ठ वकील के. श्रीनिवासमूर्ति ने बताया कि UIDAI इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक वैधानिक संस्था है. आधार अधिनियम, 2016 (जिसे 2019 में संशोधित किया गया) का मुख्य उद्देश्य भारत के निवासियों को एक अद्वितीय पहचान प्रदान करना है. आधार नंबर 12 अंकों का होता है, जो व्यक्ति के बायोमेट्रिक और डेमोग्राफिक जानकारी जमा करने के बाद जारी किया जाता है. इसका मुख्य लक्ष्य सरकार की सब्सिडी, लाभ और सेवाओं को सही लाभार्थियों तक पहुंचाना है.
आधार नंबर का इस्तेमाल गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नहीं किया जा सकता
UIDAI की डिप्टी डायरेक्टर प्रिया श्रीकुमार ने हलफनामे में कहा कि आधार नंबर का इस्तेमाल लोगों की अन्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नहीं किया जाता. आधार अधिनियम की धारा 29(1) साफ कहती है कि आधार के तहत इकट्ठा किए गए मुख्य बायोमेट्रिक डेटा को किसी के साथ साझा नहीं किया जा सकता, न ही इसका इस्तेमाल आधार नंबर जनरेट करने और प्रमाणीकरण के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए हो सकता है.
उन्होंने यह भी बताया कि धारा 33(1) के तहत केवल पहचान जानकारी या प्रमाणीकरण रिकॉर्ड (मुख्य बायोमेट्रिक डेटा को छोड़कर) ही साझा किए जा सकते हैं, वह भी तब जब हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट इसके लिए विशेष आदेश दे और संबंधित व्यक्ति व UIDAI को सुनवाई का मौका मिले. केवल धारा 33(2) में राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में मुख्य बायोमेट्रिक डेटा साझा करने की अनुमति है, लेकिन इसके लिए सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी का विशेष आदेश जरूरी है.
UIDAI ने साफ किया कि मृतकों के फिंगरप्रिंट्स की तुलना आधार डेटाबेस से करना तकनीकी रूप से संभव नहीं है. इस बयान ने पुलिस की जांच प्रक्रिया में नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, क्योंकि अज्ञात शवों की पहचान के लिए आधार डेटा का इस्तेमाल अब तक एक आसान रास्ता माना जाता था. यह मामला अब हाईकोर्ट में आगे की सुनवाई के लिए लंबित है.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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