Last Updated:April 17, 2025, 06:45 IST
SC Hearing on Waqf Law: वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को भी सुनवाई जारी है. इस नए वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को जोरदार बहस हुई और पूरा विवाद एक प्वाइंट 'वक्फ बाय यूज़र' पर आकर ...और पढ़ें

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज फिर सुनवाई करने वाली है.
हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून पर सुनवाई जारी.'वक्फ बाय यूजर' प्रावधान पर केंद्रित है विवाद.सरकार ने कोर्ट में नए कानून का जोरदार बचाव किया.वक्फ संशोधन कानून को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज भी सुनवाई जारी रहेगी. बुधवार को करीब 2 घंटे चली सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल समेत अन्य वकीलों ने इस कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट दलिलों को सुनने के बाद अंतरिम आदेश पारित करने जा रहा था, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अंतरिम आदेश पारित करने का विरोध किया. और सुप्रीम कोर्ट से केंद्र और राज्य सरकारों की दलील सुनने के बाद ही आदेश पारित करने की अपील की.
इस नए वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को जोरदार बहस हुई और पूरा विवाद एक प्वाइंट ‘वक्फ बाय यूज़र’ पर आकर टिक गया है. यह वही प्रावधान है, जो अब नए कानून में खत्म किया गया है, लेकिन कोर्ट इसी बिंदु पर केंद्रित है. सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अब तक की कार्यवाही के दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर से मूल ‘वक्फ बाय यूजर’ अवधारणा का समर्थन करना केंद्र के लिए बड़ी चिंता का विषय है, क्योंकि यह नए कानून को गंभीर रूप से कमजोर कर सकता है. उम्मीद है कि गुरुवार को सरकार सुप्रीम कोर्ट के समक्ष नए कानून के प्रावधान का जोरदार बचाव करेगी.
आइए, इस पूरे मुद्दे को 10 पॉइंट्स में समझते हैं…
‘वक्फ बाय यूजर’ वह संपत्ति है, जो लंबे समय से मुस्लिम धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होती रही हो, भले ही उसका औपचारिक पंजीकरण न हुआ हो. मस्जिदें, कब्रिस्तान आदि इसके उदाहरण हैं. वक्फ (संशोधन) अधिनियम- 2025 कहता है कि ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियां, जो कानून लागू होने से पहले पंजीकृत हैं, ही वक्फ रहेंगी, बशर्ते वे विवादित न हों या सरकारी संपत्ति न हों. कोर्ट ने कहा कि 14वीं सदी से बनी मस्जिदों के लिए पंजीकृत दस्तावेज मांगना असंभव है. ‘वक्फ बाय यूजर’ को खत्म करना लाखों संपत्तियों के लिए जटिलताएं पैदा कर सकता है. केंद्र सरकार ने कोर्ट के उस प्रस्ताव का विरोध किया, जिसमें कहा गया था कि ‘वक्फ बाय यूजर’ सहित वक्फ संपत्तियों को डी-नोटिफाई नहीं किया जाएगा. सरकार गुरुवार को इस प्रावधान का जोरदार बचाव करेगी. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि 1923 से वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. लेकिन कोर्ट ने पूछा कि सदियों पुरानी मस्जिदों के लिए यह कैसे संभव है? कोर्ट ने ‘विवादित’ और ‘सरकारी संपत्ति’ जैसे शब्दों की अस्पष्टता पर सवाल उठाया. इनका स्पष्ट अर्थ न होने से संपत्तियों का दर्जा बदलने में दिक्कत हो सकती है. कपिल सिब्बल और महुआ मोइत्रा जैसे याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नया कानून ‘वक्फ बाय यूजर’ को खत्म करके 8 लाख वक्फ संपत्तियों में से लगभग 4 लाख को प्रभावित करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि वह कानून के कुछ हिस्सों, जैसे ‘वक्फ बाय यूजर’ और गैर-मुस्लिमों की वक्फ बोर्ड में भागीदारी, पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है. याचिकाकर्ता विष्णु शंकर जैन ने ‘वक्फ बाय यूजर’ को ‘ड्रैकोनियन’ बताया, जबकि सरकार का कहना है कि नया कानून वक्फ बोर्ड की मनमानी शक्तियों पर अंकुश लगाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 17 अप्रैल को लंच ब्रेक बाद फिर से सुनने का फैसला किया है. सरकार को ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान की वैधता और इसके पीछे के तर्क को मजबूती से रखना होगा. अगर कोर्ट इस प्रावधान पर रोक लगाता है, तो नए कानून की नींव कमजोर हो सकती है. दूसरी ओर, याचिकाकर्ता इसे 20 करोड़ मुस्लिमों की आस्था पर हमला बता रहे हैं. यह मामला न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील हो गया है.Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 17, 2025, 06:45 IST