उलटफेर! शहर वाले अब कम कर्ज ले रहे, गांव-कस्‍बों में लोन लेने वालों की भरमार

1 day ago

Last Updated:May 30, 2025, 23:01 IST

आरबीआई रिपोर्ट के अनुसार, महानगरों में बैंक कर्ज वितरण 58.7% रह गया, जबकि ग्रामीण और छोटे कस्बों में कर्ज वृद्धि तेज हुई. वित्त वर्ष 2024-25 में कुल ऋण वृद्धि दर 11.1% रही.

उलटफेर! शहर वाले अब कम कर्ज ले रहे, गांव-कस्‍बों में लोन लेने वालों की भरमार

शहर के लोग अब कम कर्ज ले रहे हैं.(Image:AI)

हाइलाइट्स

महानगरों में बैंक कर्ज वितरण घटकर 58.7% रह गया.ग्रामीण और छोटे कस्बों में कर्ज वृद्धि तेज हुई.वित्त वर्ष 2024-25 में कुल ऋण वृद्धि दर 11.1% रही.

मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में खुलासा किया है कि देश में बैंकों द्वारा दी जाने वाली कर्ज राशि में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. पिछले पांच वर्षों में महानगरों (मेट्रो शहरों) में स्थित बैंक शाखाओं की कर्ज वितरण में हिस्सेदारी 63.5 प्रतिशत से घटकर 58.7 प्रतिशत रह गई है. वहीं, ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी क्षेत्रों में ऋण वृद्धि तेज हुई है.

आरबीआई के अनुसार, यह बदलाव ग्रामीण एवं छोटे कस्बों में कर्ज लेने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी के कारण हुआ है. जबकि महानगरों में बैंक शाखाओं द्वारा कुल जमा राशि में अभी भी बढ़ोतरी जारी है, लेकिन कर्ज वितरण के मामले में गांव-कस्बों की शाखाओं ने बेहतर प्रदर्शन किया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि मार्च 2025 तक महानगरों की बैंक शाखाओं ने वार्षिक जमा में 11.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की, जबकि ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी केंद्रों में क्रमशः 10.1, 8.9 और 9.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई.

वित्त वर्ष 2024-25 में बैंक ऋण की कुल वृद्धि दर 11.1 प्रतिशत पर आ गई, जो पिछले वर्ष 15.3 प्रतिशत थी. इसी अवधि में जमा वृद्धि दर भी घटकर 10.6 प्रतिशत रह गई, जबकि पिछली बार यह 13 प्रतिशत थी. इसके अलावा, सावधि जमा पर उच्च ब्याज दरों के कारण बचत जमा की हिस्सेदारी घटकर 29.1 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले 30.8 प्रतिशत और दो साल पहले 33 प्रतिशत थी.

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आरबीआई ने यह भी बताया कि सभी बैंक समूहों में ऋण वृद्धि की दर में गिरावट आई है. व्यक्तिगत ऋण जैसे आवास, शिक्षा, वाहन, क्रेडिट कार्ड, और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के कर्ज में भी कमी आई है और यह अब 13.2 प्रतिशत पर आ गई है, जो कुल ऋण का 31 प्रतिशत है. इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि कर्ज लेने का रुझान महानगरों से ग्रामीण और छोटे कस्बों की ओर बढ़ रहा है, जो देश के वित्तीय समावेशन के लिए एक सकारात्मक संकेत है.

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Rakesh Singh

Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in ...और पढ़ें

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