Last Updated:February 22, 2025, 15:15 IST
Amended Advocates Bill: दिल्ली की निचली अदालतों के वकील अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक-2025 के विरोध में पिछले कई दिनों से हड़ताल पर हैं. विधेयक में वकीलों की हड़ताल पर प्रतिबंध और बार काउंसिल में सरकारी हस्तक्षेप का...और पढ़ें

उत्तर-पूर्वी दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत.
हाइलाइट्स
वकीलों की हड़ताल अधिवक्ता संशोधन विधेयक के खिलाफ हैविधेयक में वकीलों की हड़ताल पर प्रतिबंध प्रस्तावित हैबार काउंसिल में सरकारी हस्तक्षेप का भी विरोध हो रहा हैAmended Advocates Bill: दिल्ली की निचली अदालतों के वकील केंद्रीय कानून मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक के मसौदे के विरोध में पिछले पांच दिनों से काम नहीं कर रहे हैं. दरअसल केंद्र सरकार 1961 के अधिवक्ता कानून में संशोधन करने जा रही है. वकीलों का एक बड़ा तबका इस संशोधन का विरोध कर रहा है. दिल्ली के अलावा भी देश के कई शहरों में इस बाबत प्रदर्शन और हड़ताल भी हुई है. आखिर इस प्रस्तावित मसौदे में ऐसा क्या है कि वकील हड़ताल पर आमादा हैं, जबकि वो वास्तव में वकीलों को अदालत के काम का बहिष्कार करने और उससे दूर रहने से रोकता है.
अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक-2025 का मसौदा कानून मंत्रालय ने जारी किया है. इसमें एडवोकेट एक्ट-1961 में कई संशोधन प्रस्तावित हैं. मसौदे पर लोगों की राय मांगी गई है. कहा गया है कि इन संशोधनों का मकसद कानूनी पेशे और कानूनी शिक्षा को वैश्विक स्तर का बनाना है. कानूनी शिक्षा में सुधार, वकीलों को तेजी से बदलती दुनिया की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार करना और पेशेवर मानकों को बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा. इसका मुख्य मकसद ये तय करना है कि कानूनी पेशा एक न्यायसंगत और समतापूर्ण समाज और विकसित राष्ट्र के निर्माण में योगदान दे.
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मसौदे में प्रस्तावित संशोधन
केंद्र सरकार द्वारा नामित सदस्य: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) में 1961 अधिनियम की धारा 4 में प्रस्तावित संशोधन के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा नामित 3 सदस्य होंगे. इसमें खंड (डी) जोड़ा जाएगा. धारा-4 में दो महिला वकीलों को शामिल करने के लिए संशोधन का भी प्रस्ताव है.
हड़ताल या बहिष्कार पर प्रतिबंध: धारा 35-A को शामिल करना. इसमें न्यायालय के काम से बहिष्कार करने पर रोक लगाने का प्रावधान है. कोर्ट के काम से बहिष्कार या न्यायालय के कामकाज या कोर्ट परिसर में बाधा डालने के सभी आह्वान धारा 35ए(1) के अनुसार निषिद्ध हैं. प्रावधान का कोई भी उल्लंघन कदाचार या मिसकंडक्ट माना जाएगा. अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा.
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इसके पहले खंड (2) के प्रावधान में कहा गया कि वकील केवल तभी हड़ताल में भाग ले सकते हैं, जब इससे ‘न्याय प्रशासन में बाधा न आए’. जैसे कि पेशेवर आचरण, कार्य स्थितियों या प्रशासनिक व्यवस्थाओं के बारे में चिंताओं की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए की गई हड़तालें.
हड़ताल और बहिष्कार में शामिल लोगों से निपटने के लिए कमेटी: धारा 9-B को कदाचार के आरोपों की जांच के लिए जोड़ा जाएगा, जब वकील धारा 35-A का उल्लंघन करते हुए हड़ताल में शामिल होते हैं. इसमें BCI की ‘विशेष लोक शिकायत निवारण समिति’ के गठन की बात कही गई.
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कांग्रेस ने किया विरोध
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच कांग्रेस ने भी संशोधन के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे वकीलों का समर्थन किया है और उनके पक्ष में बयान भी जारी किया है. कांग्रेस ने विरोध कर रहे वकीलों के साथ मजबूती से खड़े होने की बात की है. साथ ही, ये भी कहा कि प्रस्तावित विधेयक का न सिर्फ मसौदा खराब है, बल्कि ये कानून बिरादरी के जरूरी सवालों का भी जवाब देने में नाकाम रहा है. सरकार जो बदलाव करने जा रही है, इसमें वकालत करने वाले और लॉ ग्रेजुएट की परिभाषा तक बदलना शामिल है. इस विधेयक को लेकर वैसे तो कई चिंताएं हैं. लेकिन वरिष्ठ वकील और कांग्रेस पार्टी के नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने दो बड़ी चिंताओं की तरफ सभी का ध्यान दिलाया है. इनमें एक तो हड़ताल, बहिष्कार का अधिकार है. जबकि दूसरा बार काउंसिल में सरकार का बढ़ता हस्तक्षेप है.
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बार काउंसिल ने भी जताया विरोध
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी ‘अधिवक्ता संशोधन विधेयक’ 2025 के मसौदे पर अपनी आपत्तियों को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के सामने दर्ज कराया है. बार काउंसिल के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने अपने पत्र में लिखा, “ये अपने आप में काफी चौंकाने वाला है कि फीडबैक के लिए साझा किए गए मसौदे में कुछ अधिकारियों और कानून मंत्रालय ने कई अहम बदलाव किए हैं. इस मसौदे के जरिये बार की बुनियादी स्वायत्ता और आजादी को ध्वस्त करने की कोशिश की गई है. देश भर के वकील इस विषय पर न सिर्फ आंदोलित हैं बल्कि अगर इस तरह के निरंकुश प्रावधानों को जानते-बूझते हुए नहीं हटाया गया या फिर तुरंत संशोधित नहीं किया गया तो फिर बड़े पैमाने पर और कड़े प्रदर्शन होंगे.”
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वकीलों के अधिकारों का हनन
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार उत्तर-पूर्वी दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे शाहदरा बार एसोसिएशन (एसबीए) के सचिव एडवोकेट रमन शर्मा ने कहा, “अगर हमारे अधिकारों पर कुठाराघात किया गया तो हम चुप नहीं बैठेंगे…” हड़ताल का आयोजन दिल्ली की निचली अदालतों के सभी जिला न्यायालय बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति द्वारा किया गया है. इसके तहत वकील सर्वसम्मति से “प्रस्तावित अन्यायपूर्ण, अनुचित और पक्षपातपूर्ण” विधेयक के विरोध में काम से दूर रहेंगे. द्वारका बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एनसी शर्मा ने कहा, “अगर कोई मुवक्किल केस हार जाता है, तो वह वकील के खिलाफ दुर्व्यवहार की शिकायत दर्ज करा सकता है. क्या मुवक्किल के नुकसान के लिए वकील को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है? क्या यहां सभी वकीलों के अधिकारों का हनन नहीं हो रहा है? सबसे खराब बात यह है कि हम आंदोलन भी नहीं कर सकते.”
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 22, 2025, 14:57 IST