ऑनलाइन गेमिंग की 3 वास्तविक कहानियां, कैसे बर्बाद की दुनिया? अब ढो रहे...

6 hours ago

Last Updated:August 27, 2025, 15:23 IST

how online real money gaming apps are dangerous: ऑनलाइन गेम‍िंग बिल 2025 पास होना जरूर राहत की बात है, लेकिन आज हम आपको र‍ियल मनी गेम में अपना सब कुछ बबार्द कर चुके युवाओं की ऐसी 3 कहानियां सुना रहे हैं, जिनके ...और पढ़ें

ऑनलाइन गेमिंग की 3 वास्तविक कहानियां, कैसे बर्बाद की दुनिया? अब ढो रहे...ऑनलाइन गेमिंग के शिकार 3 युवाओं की कहान‍ियां.

Online real money games: भारत में हाल ही में जूए के मॉडर्न रूप ऑनलाइन फेंटेसी गेम्स एप्स पर प्रतिबंध लगाया गया है. इन एप्स ने सैकड़ों युवाओं को मौत के मुंह तक पहुंचा दिया जबकि हजारों परिवारिजनों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया. आज हम आपको ऑनलाइन गेमिंग की ऐसी 3 रियल कहानियां बताने जा रहे हैं, जिन्हें पढ़कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. परिवार के लिए विलेन बन चुके इन तीनों कहानियों के हीरो, गंभीर मरीज की हालत में केजीएमयू लखनऊ के साइकेट्रिस्ट डॉ. अमन नकवी के पास ले जाए गए थे..

पहली कहानी क्रिकेट के दीवाने टेक प्रोफेशनल की..

‘रवि (काल्पनिक नाम) शुरू से ही पढ़ने- लिखने में होशियार युवक ने बीटेक किया था. हालांकि क्रिकेट के प्रति दीवानगी के चलते स्कूल टाइम से ही रवि ने क्रिकेट पर 1,000 रुपये से शुरुआत कर छोटी-मोटी शर्तें लगाना शुरू कर दिया. बीटेक करने और फिर नौकरी करने के दौरान ये आदत बढ़ती गई और ऑनलाइन ऐप महादेव पर मोटा पैसा लगाना शुरू कर दिया. सैलरी का पैसा जुए में लगाने के बाद रवि ने दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे उधार ले लिए और करते-करते साल 2023 तक उस पर 4.5 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया. हर बार ऑनलाइन गेम में हार और कर्ज के चलते तनाव इतना बढ़ गया कि शराब पीना शुरू कर दिया. घरवालों को पता चला तो पैरों तले जमीन खिसक गई, इतना कर्ज उतारने के लिए पैसा कहां से आए. हालांकि सबसे पहले मरीज की हालत में रवि को साइकेट्रिस्ट के पास लाया गया. इलाज चला, रिकवरी हुई लेकिन कुछ महीनों बाद अचानक रवि ने फिर से ढ़ाई-3 लाख रुपये लगा दिए. लेकिन फिर पैसा डूबने के बाद डॉक्टर के पास लाया गया… करीब दो साल के इलाज के बाद अब रवि ने दोबारा नौकरी करना शुरू किया है.जबकि रवि के पिता उस कर्ज को उतारने में लगे हैं.’

19 साल का लड़का, खाना छोड़कर खेलने लगा गेम
‘शुभम (काल्पनिक नाम) 19 साल का एक किशोर था जो यूपी के बहराइच गांव में रहता था. पिता दिहाड़ी मजदूर थे. एक दिन हाथ में स्मार्टफोन आने के बाद उसने MPL और Gold365 जैसे फैंटेसी ऐप्स पर पैसा लगाना शुरू कर दिया. ऑनलाइन मनी उधार लेने की सुविधा में बहुत छोटे अमाउंट से शुरू हुआ गेमिंग का खर्च दो साल में 8,000 रुपये प्रति महीने तक पहुंच गया. आखिरकार पढ़ाई छूट गई. परिवार को इसकी जानकारी हुई तब तक मोटा पैसा कर्ज के रूप में सिर पर रखा था. परिवार से रिश्ते बिगड़ने लगे और युवक हर समय पैसे की चिंता और गेम की लत में ऐसा खो गया कि शराब और तम्बाकू का सेवन भी शुरू कर दिया. एक दिन हालत इतनी बिगड़ गई कि डॉक्टर के पास लाना पड़ा. डॉक्टर नकवी को पता चला कि लड़का घर के राशन-पानी के पैसों को भी गेम्स में लगा देता था.’

बाप-बेटा मजदूर, सिर पर लाखों का कर्ज
‘यह कहानी 29 साल के उस असगर (काल्पनिक नाम) की है जो काफी गरीब था. पैसे की तंगी के बावजूद असगर ने शुरुआत में Dream11 पर ₹49 की शर्त लगाई लेकिन 5 साल में यह सिलसिला रोजाना 20,000–25,000 रुपये तक बढ़ गया. रोजाना इतने पैसे ऑनलाइन गेम्स में हारने के बाद उस पर 15 लाख रुपये का कर्ज हो गया. इसने दोस्त, परिवार, जानने वाले और रिश्तेदारों से पैसा उधार ले लिया, जब कहीं से नहीं मिला तो चोरी करनी शुरू कर दी. परिवार में क्लेश, डर, लत, तनाव और तंगी में शराब पीना शुरू कर दिया. जुआ और शराब दोनों ने मिलकर असगर को बर्बाद कर दिया. दूसरे को बढ़ावा देते रहे. हालांकि डॉक्टर के पास लाया गया और इसका इलाज अभी चल रहा है.’

ये तीनों कहानियां बताती हैं कि ऑनलाइन गेम्स ने पढ़े-लिखे से लेकर अनपढ़, गरीब और अमीर सभी को बर्बाद किया है. साइकेट्रिस्ट डॉ. अमन नकवी कहते हैं कि सरकार द्वारा यह एक बहुत ही जरूरी और समय पर लिया गया फैसला है.मैं एक डॉक्टर होने के नाते खुद देख चुका हूं कि ये ऐप्स सिर्फ टाइमपास नहीं हैं, बल्कि यह एक खतरनाक आदत बन जाती है, जो इंसान और उसके परिवार की ज़िंदगी बर्बाद कर सकती है.

जुआ भी नशे जैसा ही है
डॉ. नकवी कहते हैं कि अब विज्ञान भी मान चुकी है कि ऑनलाइन गेम्स या जुआ सिर्फ एक बुरी आदत नहीं बल्कि एक बीमारी है. यह ऐसी ही लत है जैसे शराब, तंबाकू और ड्रग्स. जुआ भी हमारे दिमाग के डोपामाइन सिस्टम को प्रभावित करता है. जुए की जीत से दिमाग में खुशी का सिग्नल आता है और धीरे-धीरे दिमाग को पैसे नहीं बल्कि रिस्क उठाने के थ्रिल की लत लग जाती है. इसी लत में व्यक्ति पैसा लगाता जाता है और नुकसान उठाता जाता है.

लत बन रही आत्महत्या का कारण
यह लत इतनी खतरनाक है कि युवा इसके चलते आत्महत्या भी कर रहे हैं. खेल खेल में शुरू हुई ये लत बहुत घातक बन जाती है. अगर इसे पूरी तरह नहीं रोका गया तो यह महामारी बन जाएगा. जिसका खामियाजा सिर्फ खेलने वाले को ही नहीं बल्कि पूरे के पूरे परिवारों को झेलना पड़ेगा.

दोबारा लौट आती है लत
डॉ. नकवी बताते हैं कि नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के एक अध्ययन के अनुसार एक बार ठीक होने के बाद भी इस लत के दोबारा लगने के चांसेज की दर 43.7 फीसदी हो गई है, जो बहुत चिंताजनक है. दोबारा ये लत न लगे इसके लिए जरूरी है कि मरीज कुछ बातों का ध्यान रखे.

. अकेले न रहे.
. नई नई आदतें या हॉबी विकसित करें
. अपनी फाइनेंशियल बाउंड्रीज तय करें
. गैंबलिंग एप्स और वेबसाइट पर एक्सेस को हटा दें
. रोजाना व्यायाम करें
. प्रोफेशनल की मदद लें

प्रिया गौतमSenior Correspondent

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ और रियल एस...और पढ़ें

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ और रियल एस...

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Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

August 27, 2025, 15:18 IST

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