Last Updated:August 26, 2025, 13:25 IST
How Evergrande Bankrupt : कभी चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में शुमार एवरग्रांडे ने अपनी नीतियों को इतना बेतरतीब तरीके से लागू किया कि कर्ज तले दबकर यह कंपनी आज बर्बाद हो चुकी है.

नई दिल्ली. 7 साल पहले तक चीन के रियल एस्टेट बाजार पर राज करने वाली प्रॉपर्टी डेवलपर कंपनी एवरग्रांडे पर कर्ज का बोझ इस कदर चढ़ा कि यह पूरी तरह बर्बाद होकर शेयर बाजार से भी बाहर हो चुकी है. एवरग्रांडे को हांगकांग स्टॉक एक्सचेंज से हटा दिया गया है, क्योंकि उसके शेयरों में महज सालभर के भीतर ही 99 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है. आखिर 4.30 लाख करोड़ रुपये की कंपनी कैसे महज 7 साल के भीतर बर्बाद हो गई और आलम ये हो गया कि अब उसे शेयर बाजार से भी बाहर कर दिया गया है.
हांगकांग शेयर बाजार में एयरग्रांडे की ट्रेडिंग को पिछले 18 महीने से फ्रीज रखा गया था. इस दौरान कंपनी के शेयरों में 99 फीसदी से ज्यादा गिरावट देखी गई और अब आखिरकार इसे एक्सचेंज से डीलिस्ट कर दिया गया है. साल 2017 में इस कंपनी का मार्केट वैल्यू 51 अरब डॉलर यानी करीब 4.30 लाख करोड़ रुपये था, जिसे अब लिक्वीडेशन यानी बिक्री पेशकश के लिए डाल दिया गया है. जनवरी 2024 में इसके ट्रेड को फ्रीज किए जाते समय इसकी कीमत 26 करोड़ डॉलर यानी करीब 2,200 करोड़ रुपये के आसपास थी. एवरग्रांडे ने साल 2017 में अपने टॉप वैल्यूएशन से 99% से अधिक बाजार मूल्य खो दिया है.
क्या है बर्बादी का कारण
चीन के एवरग्रांडे ग्रुप (China Evergrande Group) को साल 2009 में हांगकांग शेयर बाजार में लिस्ट कराया गया था. कंपनी के ऊपर 335 अरब डॉलर (करीब 29 लाख करोड़ रुपये) का कर्ज था, जो कंपनी के मार्केट वैल्यू से 7 गुना ज्यादा था. जब कंपनी अपने 300 अरब डॉलर के कर्ज को चुकाने में नाकाम रही तो जनवरी, 2024 में हांगकांग की अदालत ने इसे बेचने का आदेश दे दिया. कंपनी पर लदा कर्ज चीन की तात्कालिक जीडीपी का करीब 1.8 फीसदी था. इसके ढहने से चीन के रियल एस्टेट बाजार में भूकंप आ गया और कई कंपनियां ताबड़तोड़ अपना कारोबार समेटने लगीं.
कमाई से कई गुना ज्यादा कर्ज बना कारण
एवरग्रांडे को एक समय चीन की दूसरी सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी माना जाता था, जिसके देशभर में करीब 2 हजार प्रोजेक्ट चल रहे थे. यही वजह थी कि तब कंपनी में चीन सहित कई देशों के निवेशकों ने जमकर पैसा लगाया और उसका कर्ज कंपनी की सालाना कमाई के मुकाबले कई गुना ज्यादा पहुंच गया. आलम ये था कि एवरग्रांडे का कर्ज उसके राजस्व के मुकाबले 10 गुना से भी अधिक पहुंच गया. अपनी इसी नीति की वजह से यह दुनिया की सबसे बड़ी कर्जदार कंपनी बन गई. कंपनी ने जोखिम भरे फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स और इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया और लगातार नुकसान झेलती चली गई.
गलत अकाउंटिंग से बुना जाल
कंपनी की बर्बाद में उसकी नीतियों का ही हाथ रहा, इसने गलत अकाउंटिंग के जरिये अपने राजस्व को 78 अरब डॉलर का दिखाया था, जिसके लिए 65 लाख डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया और कंपनी के फाउंडर हूई का यान को चीन के कैपिटल मार्केट से लाइफटाइम बैन कर दिया गया. कंपनी की बेइमानियों से परेशान चीन सरकार ने साल 2020 में ‘थ्री रेड लाइंस’ पॉलिसी लागू की, जो डेवलपर्स के कर्ज-टू-कैश, कर्ज-टू-एसेट्स और कर्ज-टू-इक्विटी रेशियो को सीमित करती थी. इस नीति से कंपनी को नया फंड मिलना बंद हो गया और कर्जा चुकाना नामुमकिन बन गया.
कर्ज लेकर खूब प्रोजेक्ट बनाए
एवरग्रांडे की बर्बादी की एक वजह इसका ताबड़तोड़ निर्माण करना भी रहा. कंपनी ने साल 2003 से 2014 तक चीन में जमकर प्रॉपर्टी बनाई, जिसके लिए खूब कर्जा लिया. हुआ ये कि डिमांड कम और सप्लाई ज्यादा होने से बिक्री भी कम हो गई. कंपनी को अपनी प्रॉपर्टीज को डिस्काउंट पर बेचना पड़ा, लेकिन फिर भी सप्लायर्स को पेमेंट और प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर सकी. इसी दौरान आई COVID-19 महामारी ने कंस्ट्रक्शन और सेल्स को प्रभावित किया, जिससे कंपनी गहरे तक नुकसान में धंस गई और आखिरकार अपनी इन कमजोरियों की वजह से ही यह डूब गई. वित्तवर्ष 2021-2022 में कंपनी को 81 अरब डॉलर का नेट लॉस हुआ.
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 26, 2025, 13:25 IST