Last Updated:January 20, 2025, 11:24 IST
Fare on Uber Cab : क्या आपको पता है कि ओला-उबर जैसे प्लेटफॉर्म पर एक ही दूरी के लिए आपको अलग-अलग किराया क्यों दिखाई देता है. कैसे कभी ज्यादा छूट मिल जाती है और कभी कम. दिल्ली के टेक दिग्गज ने इसका खुलासा किया और...और पढ़ें
ओला और उबर पर समान दूरी के लिए अलग-अलग किराया दिखता है.
नई दिल्ली. दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहर हों या फिर देश के टीयर-2 और 3 शहर, हर जगह लोगों के आने-जाने का सबसे बड़ा जरिया ओला और उबर जैसी ऑनलाइन ट्रांसपोर्ट सर्विस प्रोवाइडर जैसी कंपनियां ही हैं. ओला या उबर पर कैब बुक करते समय आपने भी देखा होगा कि कभी तो सस्ती राइड मिल जाती है और कभी उतनी ही दूरी के लिए आपको ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं. आखिर इसके पीछे क्या फंडा है जो आपको एक ही दूरी के लिए अलग-अलग कीमत देनी पड़ती है और ऐसा क्यों नहीं होता कि आप हमेशा अपने लिए सस्ती कैब का जुगाड़ कर सकें.
दिल्ली में रहने वाले तकनीक के एक दिग्गज जानकार ने इसका पूरा गुणा-गणित खोलकर रख दिया है. उनका कहना है कि अब आप किसी भी समय कैब बुक करते समय सस्ती राइड का मजा ले सकते हैं. टेक एक्सपर्ट के लिए ऑनलाइन प्लेसमेंट प्लेटफॉर्म engineerHUB के फाउंडर ऋषभ सिंह का कहना है कि उन्होंने फोन के मॉडल और बैटरी के आधार पर इसका तरीका खोज निकाला है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा कि कैसे अलग-अलग फोन के मॉडल और बैटरी चार्जिंग के हिसाब से उबर में समान दूरी और समय पर भी अलग-अलग किराया दिखाता है.
The Curious Case of Uber Fare Discrepancies:
Platform and Battery Impact
Ride-hailing platforms like Uber have revolutionized transportation, but recent observations raise questions about the transparency of their pricing algorithms.
In this post, I’ll dive into two surprising… pic.twitter.com/nlQCM0Z49B
— Rishabh Singh (@merishabh_singh) January 18, 2025
क्या है उनका दावा
ऋषभ सिंह ने बताया कि उन्होंने इसकी सच्चाई उजागर करने के लिए दो एंड्रॉयड और दो आईफोन के मॉडल लिए और इन सभी फोन पर एक ही अकाउंट से लॉग इन करने के बाद एक ही जगह और टाइम पर राइड बुक की. बावजूद इसके देखा गया कि उनके किराये में अंतर था. इस अंतर का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए उन्होंने लिखा कि कैसे आप कैब बुक करते समय इस जुगाड़ से अपना किराया कम कर सकते हैं और ज्यादा छूट ले सकते हैं.
टेस्ट के रिजल्ट में क्या दिखा
प्लेटफॉर्म आधारित किराया अंतर : उन्होंने कहा कि एंड्रॉइड और आईओएस डिवाइसों के बीच किराए में अंतर देखा गया. इसमें 13% की छूट या 50% की छूट जैसी छूटें असंगत रूप से दिखाई दीं, जिससे संकेत मिलता है कि उबर का मूल्य निर्धारण डिवाइस प्लेटफॉर्म के आधार पर भिन्न हो सकता है. सिंह ने कहा कि यहां तक कि समान परिस्थितियों (एक ही खाता, स्थान और समय) के बावजूद, कीमतें अलग-अलग थीं. 13% की छूट या 50% की छूट जैसे लाभ विभिन्न डिवाइसों पर असंगत रूप से दिखाई दीं.
बैटरी प्रतिशत का प्रभाव : कम बैटरी वाले उपकरणों ने पूरी तरह से चार्ज किए गए उपकरणों की तुलना में अधिक किराए दिखाए. सिंह ने सुझाव दिया कि यह एक व्यवहारिक रणनीति हो सकती है, जहां आपातकालीन स्थितियों में उपयोगकर्ताओं को अधिक किराए देने के लिए तैयार देखा जाता है. कम बैटरी वाले को उच्च किराया देना पड़ता है. कम बैटरी स्तर वाले उपकरण लगातार उच्च किराये दिखाते हैं. यह उस सिद्धांत के साथ मेल खाता है कि कम बैटरी वाले उपयोगकर्ताओं को अधिक कीमतें स्वीकार करने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि वे जल्दी में होते हैं.
क्यों है यह महत्वपूर्ण : सिंह ने निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर चिंता जताई, यह सवाल उठाते हुए कहा कि क्या उबर के एल्गोरिदम उपयोगकर्ता डेटा, जैसे डिवाइस का प्रकार और बैटरी स्तर, का उपयोग करके किराए को समायोजित करते हैं. उन्होंने अधिक जवाबदेही की मांग की और कहा कि उपयोगकर्ताओं को यह जानने का अधिकार है कि किराये कैसे तय किए जाते हैं और क्या व्यक्तिगत डिवाइस डेटा उन पर प्रभाव डाल रहा है. जब मूल्य निर्धारण तंत्र में स्पष्टता नहीं होती है, तो प्लेटफार्मों पर विश्वास कम हो जाता है. सिंह ने अपनी पोस्ट को एक कॉल टू एक्शन के साथ समाप्त किया, जिसमें उन्होंने यूजर्स को अपने अनुभव साझा करने और निष्पक्ष प्रथाओं के लिए आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित किया.
सोशल मीडिया पर उठा तूफान
इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उनके काम को सराहा. एक यूजर ने लिखा, यह बहुत चिंताजनक है. मैं आपके काम की सराहना करता हूं. दूसरे यूजर कहा, नहीं पता कि इन कैब एग्रीगेटर्स की निगरानी के लिए कोई नियम या विभाग है भी या नहीं. एक यूजर ने तो सिंह से यह भी पूछा कि क्या वह अन्य राइड-हेलिंग सेवाओं और ग्रॉसरी ऐप्स पर भी ऐसा ही प्रयोग कर सकते हैं. फिलहाल इन निष्कर्षों पर चर्चा जारी है, कई यूजर्स सहमत हैं कि मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता एक ऐसा अधिकार है जिसके लिए यूजर्स को लड़ना नहीं चाहिए.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
January 20, 2025, 11:24 IST