डर चीन-पाकिस्तान को लग रहा है, 'प्रलय' के नाम से गला उनका सूख रहा है

3 hours ago

Last Updated:January 20, 2025, 16:23 IST

Parlay missile: भारत आत्मनिर्भर भारत के तहत खुद की तकनीक इजात कर रहा है. प्रलय मिसाइल भी उसी की एक मिसाल है. मिसाइल प्रोग्राम में तो भारत ने कई रिकार्ड तोड़ दिए. यह भारत की ताकत है. भारत के दोनों पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान...और पढ़ें

डर चीन-पाकिस्तान को लग रहा है, 'प्रलय' के नाम से गला उनका सूख रहा है

शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय दिखेगा पहली बार

Parlay missile:  हर साल कर्तव्य पथ पर भारत की ताकत को दर्शाया जाता है. दुनिया भर की नजरें गणतंत्र दिवस पर होती है. हर साल कुछ ना कुछ नए स्वदेशी हथियारों को देश और दुनिया के सामने लाया जाता है. चीन और पाकिस्तान की नजरें इस बार की पूरी परेड पर टिकी होंगी.  इस साल भी ऐसा खास हथियार दिखाई देने वाला है जो चीन और पाकिस्तान के होश उड़ा देगा. मिसाइल तकनीक में भारत को बढ़ते कदम का एक और उदाहरण दिखाई देगा. यह है टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’. यह शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है. रक्षा मंत्रालय की तरफ से इसकी खरीद की मंजूरी पहली ही दी जा चुकी है.

गदर मचा देगा प्रलय
प्रलय मिसाइल शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है. यह भारतीय मिसाइल तकनीक का नया युग को दर्शाता है. यह मिसाइल DRDO ने विकसित किया है. इसके कई सफल परिक्षण भी किए जा चुका है. यह मिसाइल तेजी से सटीक मार करने के लिए डिजाइन की गई है. प्रलय एक सतह से सतह तक मार करने वाली शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है. इसकी मारक क्षमता 150 से 500 किलोमीटर के करीब है. यह एक कनेस्टर मोबाइल सिस्टम है. आसानी से लॉंच करना और तेजी से अपनी जगह बदलना इसकी एक और खसियत है. इसकी पेलोड कैपेसिटी 500 से 1000 किलोग्राम तक के विस्फोटक लेकर आसानी से दुश्मन पर बरसा सकता है. यह लॉंच किए जाने के बाद हवा में ही अपनी दिशा बदल मनूवरिंग कर सकता है. इससे यह मिसाइल दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को भी चुनौती दे सकता है. इसकी रफ्तार 1 से 1.6 मैक के करीब है. यह इंटरनल नेविगेशन सिस्टम से लैस है. इस मिसाइल का वजन 5 टन है. यह कंवेशनल के साथ साथ न्यूक्लियर हथियार ले जा पाने में भी सक्षम है.

लद्दाख में तनाव के दौरान किया गया परिक्षण
डीआरडीओ की तरफ से कई ऐसे प्रोजेक्ट जारी है. जो भारतीय सेना की ताकत में बेतहाशा इजाफा करने वाला है. प्रलय पर काम तेजी से शुर किया इसका पहला ट्रायल उस वक्त किया गया जब भारत और चीन के बीच लद्दाख में तनाव चरम पर था. साल 22 दिसंबर 2021 को किया गया था. दूसरा ट्रायल ठीक एक दिन बाद 23 दिसंबर को किया गया. दोनों परिक्षण में यह पूरी तरह से खरा उतरा. तीसरा परिक्षण साल 2023 में किया गया.

चीनी DF-12 और गजनवी का बाप है प्रलय
चीने के पास DF यानी डॉंग फेंग सीरीज की बैलिस्टिक मिसाइल की भरमार है. उसने अपने ऑल वेदर फ्रेंड पाकिस्तान को भी यह तकनीक दे रखी है. चीन के पास सर्फेस टू सर्फेस शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल DF-12 मौजूद है. इसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर है. पाकिस्तान ने चीन से DF-11 मिसाइल की खरीद की थी बाद में उसी में रिवर्स इंजीनियरिंग कर चीन की मदद से गजनवी नाम से शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल तैयार कर लिया. गजनवी की रेंज प्रलय से 200 किलोमीटर कम है. यह सिर्फ 300 तक मार कर सकती है. इसी सैगेमेंट में रूस की इस्कंदर मिसाइल भी है. रूस यूक्रेन की बीच जारी जंग में रूस ने इसका इस्तेमाल भी किया है. इसकी अधिकतम रेंज प्रलय के रेंज 500 किलोमीटर के बराबर है. कह सकते है कि फिलहाल इस रेंज में प्रलय सबसे घातक है.

First Published :

January 20, 2025, 16:23 IST

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