कैसे भारत में लौटी डिप्थीरिया की जानलेवा बीमारी,बच्चों को ज्यादा लेती चपेट में

10 hours ago

हाइलाइट्स

डिप्थीरिया की बींमारी को 70 के दशक में खत्म मान लिया गया थाइसका बैक्टीरिया गले में संक्रमण कर कुछ ही देर में सांस आना बंद कर देता हैराजस्थान में इसने पिछले एक महीने में 7 बच्चों की जान ले ली

दुनिया में 70 के दशक तक घातक बीमारी रही डिप्थीरिया फिर लौट आई है. राजस्थान में एक महीने में 7 बच्चे इससे मर चुके हैं. जून महीने में इसने ओडिसा में कहर ढा दिया. देखते ही देखते वहां की ट्राइबल इलाकों में 10 बच्चे मर गए. इस बीमारी का असर पंजाब में भी है. कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र सहित कई भारतीय राज्यों में इसके संक्रमण की खबरें आती रहती हैं. कुल मिलाकर ये बीमारी अगर भारत में लौटी तो दुनिया में इसका खतरा दोबारा बढ़ गया है. पिछले साल से इसका प्रकोप अफ्रीकी देशों में काफी ज्यादा हो गया है.

क्या है ये बीमारी, 70 के दशक तक ये खौफ होती थी, क्योंकि बच्चों पर तेजी से असर करती थी. गांवों जैसे इलाकों, जहां पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं नहीं थीं, वहां बच्चे इसके शिकार होते थे. इसके बाद इसकी वैक्सीन आ गई. डिप्थीरिया पर काबू पाने की कोशिश शुरू हो गई. काफी हद तक ये बीमारी दुनिया से खदड़ भी दी गई लेकिन अब पिछले एक दो सालों से इसका खतरा फिर दुनिया पर मंडराने लगा है.

भारत में क्यों वापसी
भारत में डिप्थीरिया की वापसी कई कारणों से हो रही है, जिसके कारण तो कई हैं लेकिन मुख्य वजहें ये हैं
खराब टीकाकरण कवरेज : भारत में बहुत से लोगों को डिप्थीरिया प्रतिरोधी टीका नहीं लगाया गया है या उन्हें बूस्टर शॉट नहीं मिले
टीकाकरण से प्रतिरक्षा में कमी- वयस्कों में टीका प्रोटेक्शन समय के साथ कम हो रहा है
वायरस दवा प्रतिरोधी हुआ – डिप्थीरिया कई प्रकार के एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी बनने लगा
माता-पिता अक्सर बीमारी को सामान्य खांसी और जुकाम समझकर डॉक्टर से दवा ले लेते हैं. चूंकि बच्चे को डिप्थीरिया के टीके नहीं दिए गए, इसलिए समय बीतने के साथ बैक्टीरिया से निकलने वाला विष गुर्दे, हृदय और तंत्रिका तंत्र के कामकाज को प्रभावित करने लगता है

कैसी बीमारी है ये
– डिप्थीरिया एक तीव्र संक्रामक रोग है जो ऊपरी श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है. ये रोग

– कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया के बैक्टीरिया की वजह से होता है.
– टीकों से पहले डिप्थीरिया से बच्चों की काफी मौत होती थी. अब नियमित बाल टीकाकरण से अधिकांश विकसित देशों में ये दुर्लभ हो गया है. हालांकि हाल के वर्षों में भारत में डिप्थीरिया के कई प्रकोप देखे गए हैं.

दुनियाभर में फिर बढ़ रही
वैश्विक स्तर पर रिपोर्ट किए गए डिप्थीरिया के मामलों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है.
– 2018 में, 16,651 मामले दर्ज किए गए, जो 1996-2017 (8,105 मामले) के वार्षिक औसत से दोगुनी से भी ज़्यादा थी.

भारत में क्या स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार भारत में 2015 में 2,365 मामले सामने आए. 2016, 2017 और 2018 में ये संख्या बढ़कर 3,380, 5,293 और 8,788 हो गई. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2017 में विश्वभर में डिप्थीरिया के 60% मामले भारत में थे. 2018 में दिल्ली में डिप्थीरिया से 50 से अधिक बच्चों की मौत हुई.

ये कैसे होता है
डिप्थीरिया मुख्य तौर पर रिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया नामक बैक्टीरिया से होता है.

लक्षण क्या हैं
सामान्य सर्दी, बुखार, ठंड लगना, गर्दन में सूजन ग्रंथि, गले में खराश, त्वचा का नीला पड़ना आदि.
– प्राथमिक संक्रमण गले और ऊपरी श्वास नलिका में होता है. यह बैक्टीरिया पैदा करने लगता है, जो अन्य अंगों को प्रभावित करता है
– डिप्थीरिया मुख्य तौर पर गले पर असर डालता है
– इससे मरीज की दम घुटने से मौत हो सकती है.

कैसे फैलता है
– खांसने और छींकने से, या किसी संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क से फैलता है.

किस पर ज्यादा असर करता है
– डिप्थीरिया विशेष रूप से 1 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रभावित करता है
– 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को भी इसका खतरा रहता है
– भीड़भाड़ वाले या अस्वच्छ वातावरण में रहने वाले लोगों को डिप्थीरिया का अधिक खतरा होता है

इलाज क्या है
विष के प्रभाव को बेअसर करने के लिए डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन का प्रयोग किया जाता है , साथ ही जीवाणुओं को मारने के लिए एंटीबायोटिक्स का भी प्रयोग किया जाता है.

इसकी वैक्सीन भारत में कब आई
डिप्थीरिया का टीका भारत के टीकाकरण कार्यक्रम में सबसे पुराने टीकों में एक है. इसकी कवरेज 78.4% है. 1978 में भारत ने विस्तारित टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया. 1985 में इस कार्यक्रम को यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) में बदल दिया गया. अब इसे पेंटावेलेंट वैक्सीन के रूप में शामिल किया गया है, जिसमें डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, हेपेटाइटिस बी और हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी के विरुद्ध वैक्सीन शामिल है.

डिप्थीरिया से निपटने की सिफारिशें
नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में 10 और 16 वर्ष की आयु में टीके की दो बूस्टर खुराकें जोड़ना.
टीकाकरण कार्यक्रम को स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रमों के साथ एकीकृत करना.

Tags: Critical Illness, Diseases increased, Mysterious fever

FIRST PUBLISHED :

October 15, 2024, 19:16 IST

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