नई दिल्ली. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनाव के बाद अब अगले डेढ़-दो महीने तक देश में महाराष्ट्र और झारखंड का चुनावी बुखार सिर चढ़कर बोलेगा. चुनाव आयोग ने मंगलवार को इन दोनों राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. राष्ट्रीय पार्टियों की तुलना में इन दोनों राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां सालों से मजबूत स्थिति में रही हैं. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को सीट शेयरिंग का मुद्दा आने वाले दिनों में चर्चा के केंद्र में रह सकता है. अब तक न तो झारखंड में और न ही महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझा है.
महाराष्ट्र और झारखंड दोनों जगहों पर सीट शेयरिंग को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. दोनों राज्यों में गठबंधन के घटक दलों में सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझ जाता है तो मानो चुनाव की आधी तैयारी पूरी हो गई. आने वाले दिनों में इन दोनों राज्यों में सीट शेयरिंग को लेकर राजनीति गर्मा सकती है. क्योंकि, दोनों राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों की काफी मजबूत जनाधार है. कांग्रेस की तुलना में बीजेपी इन दोनों राज्यों में थोड़ा मजबूत स्थिति में है. लेकिन, बीजेपी ज्यादा सीट सहयोगी को देने को राजी नहीं है.
झारखंड की ही बात लीजिए. जेडीयू भी चुनाव लड़ना चाहती है. सुदेश महतो की आजसू पहले ही बीजेपी के साथ है. अभी कुछ दिन पहले ही सुदेश महतो की अमित शाह से मुलाकात हुई थी. कहा तो ये जा रहा है कि आजसू लगभग एक दर्जन सीट मांग रही है. लेकिन बीजेपी 5 से ज्यादा सीट देने को तैयार नहीं है. इस वजह से अभी तक गठबंधन फाइनल नहीं हो सका है. दूसरी ओर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी झारखंड में चुनाव लड़ना चाहती है. लेकिन बीजेपी 2 सीट से ज्यादा देना नहीं चाहती है.
कौन सी पार्टी कितनी सीटें पर लड़ सकती हैं चुनाव
अगर महाराष्ट्र की बात करें तो 288 सीटों का गणित यहां की चार क्षेत्रीय पार्टियों के बीच उलझ गया है. सूत्रों की मानें तो महायुति गठबंधन में बीजेपी 150 से 160 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. वहीं, शिवसेना (शिंदे गुट) 90 से 100 और एनसीपी (अजीत पवार) 50 से 60 सीट पर लड़ना चाहती है. इस वजह से अभी तक बात नहीं बनी है. वहीं, महा विकास आघाड़ी में शिवसेना (उद्धव गुट) 100 से 110, कांग्रेस भी 100 से 110 और एनसीपी (शरद पवार) 70 से 80 पर बात बन सकती है. लेकिन, कहा ये ज रहा है तीनों दल सीटों की संख्या बढ़ा रहे हैं.
झारखंड में इस वजह से फंस सकता है पेंच
अगर झारखंड की बात करें तो कुल सीटें 81 हैं. सत्ता की चाबी 41 पर हासिल होता है. इसको साधने के लिए छोटे-छोटे दलों को साथ लाया जा रहा है. बिहार में बीजेपी की सहयोगी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने 11 सीटों पर दावेदारी ठोक दी है. आजसू भी लगभग दर्जन भर सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. बीते दिनों आजसू के प्रदेश अध्यक्ष सुदेश महतो की अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात भी हुई थी, लेकिन सीटों पर अंतिम फैसला नहीं हो सका.
क्या क्षेत्रीय पार्टियां और निर्दलीय खेल बिगाड़ेंगे
वहीं, इंडिया गठबंधन में शामिल जेएमएम 49 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. जेएमएम बची हुई 32 सीटों में कांग्रेस, आरजेडी और सीपीआई एमएल को एडजस्ट करना चाहती है. लेकिन,कांग्रेस इस प्रस्ताव के लिए तैयार नहीं है. कांग्रेस पिछली बार झारखंड में 31 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इस बार कांग्रेस 33 सीटों पर दावा कर रही है. दो ज्यादा सीटों का आधार ये बता रही है कि बीजेपी और जेवीएम के एक-एक विधायक कांग्रेस में शामिल हुए थे.
आपको बता दें कि पिछली बार आरजेडी 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. आरजेडी इस बार भी 7 सीटों पर ही दावा कर रही है. सीपीआईएमएल भी करीब 5 सीटों पर दावा कर रही है. कुल मिलाकर झारखंड में इंडिया गठबंधन के अंदर सीट बंटवारे का पेंच फंसा हुआ है और कांग्रेस पर कम सीटें लड़ने का दबाव है. यही हाल महाराष्ट्र में भी हो रहा है. झारखंड में 18 नवंबर और 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. वहीं महाराष्ट्र में सिंगल फेज में 20 नवंबर को 288 विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे. नतीजे 23 नवंबर को आएंगे. तकरीबन 39 दिनों में चुनावी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.
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FIRST PUBLISHED :
October 15, 2024, 16:50 IST