कौन थी महाभारत के विलेन शकुनि की पत्नी, कहां रहती थी वो, क्यों उसकी कम चर्चा

1 day ago

अगर आपसे पूछें कि शकुनि कौन था तो हर कोई उसके बारे में जानता होगा, लेकिन अगर पूछा जाए कि उसकी बीवी कौन थी, वो कहां रहती थी. उसके बच्चे कौन थे. महाभारत के बाद वो जिंदा बची कि नहीं बची, तो शायद आपके पास उसका कोई जवाब नहीं होगा. शकुनि तो गांधारी के शादी के बाद ही अपना राज्य गांधार छोड़कर हस्तिनापुर में ही पड़ा रहता था. ऐसा उसने क्यों किया, ये भी एक सवाल तो है ही.

शकुनि मूल रूप से गांधार के राजकुमार था. बाद में वहां का राजा बना. लेकिन अपनी बहन गांधारी का समर्थन करने के लिए उसने हस्तिनापुर में रहना ज्यादा चुना. उसके अपने भांजे दुर्योधन के साथ बहुत घनिष्ठ संबंध थे. हालांकि उसका गांधार छोड़कर लगातार हस्तिनापुर में बने रहना भी एक रहस्य तो है ही.

महाभारत कहती है कि शकुनि ने ठान लिया था कि वो इस वंश का नाश करके रहेगा. इसलिए शकुनि ने कौरवों के बचपन से ही साजिश के बीच इस तरह बोने शुरू किये कि उनकी कभी पांडवों ने नहीं बनी. पांडवों ने जितने भी कष्ट उठाए, उसके पीछे शकुनि की साजिशें ही थीं. जिसके लिए वह धृतराष्ट्र को हमेशा उकसाता था. महाभारत का युद्ध भी इसी साजिश की पराकाष्ठा थी.

महाभारत में कुटिल शकुनि की खूबसूरत बीवी आरशी (News18 AI)

कौन थी शकुनि की बीवी

पहले उसकी बीवी के बारे में जानते हैं कि वो कौन थी. उसके कितने बच्चे थे. महाभारत में शकुनि की पत्नी का नाम आरशी था. उनके तीन बेटे थे – उलूक, वृकासुर और विप्रचित्ती. उलूक की महाभारत के युद्ध में मृत्यु हो गई थी.

शकुनि की बीवी गांधार में ही रहती थी

महाभारत के मूल ग्रंथ में आरशी के जीवन या उसके अंत के बारे में ज्यादा विवरण नहीं मिलता. चूंकि शकुनि गांधार (आधुनिक अफगानिस्तान और उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान का क्षेत्र) का राजकुमार था. गांधार से हस्तिनापुर आया था, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आरशी शायद गांधार में ही रहती थी. वहां अपने बेटों के साथ वहां का राजकाज संभालती थी.

महाभारत में आरशी के जीवन के बारे में नहीं के बराबर मिलता है लेकिन ये बात लाजिमी है कि उसका जीवन ज्यादा कठिन और चुनौतीपूर्ण रहा होगा. उसने बगैर शकुनि के ही तीन बेटों को शुरू से पाला. ऐसा लगता है कि वह कभी हस्तिनापुर भी नहीं आई. उसके रिश्ते कौरवों से वैसे बिल्कुल नहीं थे, जिस तरह उसके पति के.

शकुनि की पत्नी आरशी गांधार में अपने महल में अकेले रहती थी. उसने अकेले ही तीन बेटों को पाला. (News18 AI)

बेटे के साथ मिलकर शासन संभालती थी

जब शकुनि हस्तिनापुर में रहते थे, तब उनके गांधार राज्य का प्रबंधन उनके परिवार द्वारा किया जाता था. अपने पिता राजा सुबाला की मृत्यु के बाद शकुनि गांधार के राजा बन गया लेकिन इसके बाद भी वह लंबे लंबे अंतराल के बाद गांधार जाता था. कुछ स्रोतों में कहा जाता है कि शकुनि का एक बेटा मां आरशी के साथ मिलकर गांधार पर शासन करते थे.

महाभारत के कई संस्करणों से पता चलता है कि शकुनि ने अपने परिवार पर हुए कष्टों के कारण कुरु वंश के प्रति गहरी नाराजगी जताई, जिससे वह वहीं रहने और उनके पतन की योजना बनाने में जुटा रहता था. कुछ स्रोतों में ये भी कहा गया कि शकुनि को उनके मरते हुए पिता ने गांधारी और उनके बेटों की देखभाल करने का काम सौंपा था, जो हस्तिनापुर में उनकी उपस्थिति को और भी उचित ठहराता है.

महाभारत में कुटिल शकुनि जो पासों के खेल में महारत रखता था. कहा जाता है कि वो जो चाहता था, उसके पांसे वैसा ही नंबर देते थे. ( News18 AI)

क्या है शकुनि का अर्थ

“शकुनि” एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है “शकुन” से संबंधित व्यक्ति या वह जो शकुन को पढ़ने या समझने में निपुण हो. “शकुन” का तात्पर्य उन संकेतों से है जो भविष्य की घटनाओं का संकेत देते हैं. महाभारत के संदर्भ में शकुनि एक पात्र का नाम है, जो गांधार का राजकुमार और कौरवों का मामा था. शकुनि का नाम उनके चालाक और धूर्त स्वभाव को दर्शाता है, क्योंकि वह अपनी योजनाओं और चालों के लिए प्रसिद्ध था. इसीलिए लोग आमतौर पर शकुनि नाम नहीं रखते हैं.

पासों के खेल का उस्ताद था

शकुनि को धूर्त, बुद्धिमान, और कपटी व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है. वह अपने पासों के खेल का उस्ताद माना जाता था. उसके बारे में कहा जाता था कि उसके पासे हमेशा उसकी इच्छानुसार परिणाम देते थे. लोककथाओं में कहा जाता है कि शकुनि के पासे उसके पिता सुबल की हड्डियों से बने थे. उनमें तांत्रिक शक्तियां थीं. कुरुक्षेत्र युद्ध के 17वें दिन शकुनि की मृत्यु पांडवों के सबसे छोटे भाई सहदेव के हाथों हुई.

गांधारी ने कई बार भाई को सावधान किया

गांधारी को मालूम था कि किस तरह उसका भाई दुर्योधन को भड़काता रहता है और उसने उसे बचपन से इस तरह तैयार किया कि उसने पांडवों को अपना दुश्मन माना. इसके लिए गांधारी समय समय पर अपने भाई को बाज आने के लिए कहती थीं. गुस्सा करती थीं. लेकिन शकुनि पर कभी इसका असर नहीं हुआ.

तब वह शकुनि पर क्रोधित हो उठीं

महाभारत युद्ध के दिनों में ये नजर आने लगा कि सभी कौरव विनाश की ओर बढ़ रहे हैं. अंत में सभी खत्म हो गया. राजपाट खत्म हो गया. दुर्योधन को बुरी मौत मिली. महाभारत के आखिरी दिनों में गांधारी इस बुरी तरह अपने भाई पर क्रोधित हो उठीं कि उसे भयंकर श्राप दिया.

श्राप का असर कैसे शकुनि और उसके राज्य पर पड़ा

गांधारी ने शकुनि को श्राप दिया कि जिस तरह उसने हस्तिनापुर में द्वेष और क्लेश फैलाया, उसका फल उसको मिलेगा. इस युद्ध में वह तो मारा ही जाएगा बल्कि उसके गांधार में भी कभी शांति नहीं रहेगी. गांधार में हमेशा गृह युद्ध चलता रहेगा. शांति और समृद्धि नहीं पनप सकेगी. ऐसा ही हुआ. वह अपने पुत्रों की मृत्यु का जिम्मेदार पांडवों से भी ज्यादा दो लोगों को मानती थी, जिसमें एक शकुनि था.

फिर नष्ट हो गया शकुनि का परिवार

गांधारी के श्राप के कारण शकुनि का परिवार भी फिर धीरे धीरे नष्ट हो गया. गांधार को दुश्मन राज्यों ने हड़प लिया. कोई बच नहीं पाया. मान्यताओं के अनुसार गांधारी के श्राप का प्रभाव आज तक गांधार प्रदेश (आधुनिक अफगानिस्तान) पर दिखाई देता है.

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