कौन हैं ये मौलाना? यमन को बताई कौन सी बात, जो रुक गई निमिषा की सजा-ए-मौत

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Last Updated:July 16, 2025, 11:46 IST

Nimisha Priya Yemen News: यमन में निमिषा प्रिया की मौत की सजा को रुकवाने में कंथापुरम एपी अबूबक्र मुसलियार का बड़ा रोल माना जा रहा है. वह दक्षिण भारत में सुन्नी मुस्लिम समुदाय के सबसे प्रभावशाली धार्मिक नेता मे...और पढ़ें

कौन हैं ये मौलाना? यमन को बताई कौन सी बात, जो रुक गई निमिषा की सजा-ए-मौत

यमन में निमिषा प्रिया की सजा ए मौत को रुकवाने में मुफ्ती मुसलियार का बड़ा रोल है. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

निमिषा प्रिया की सजा ए मौत को रुकवाने में मुफ्ती मुसलियार का बड़ा रोल.वह दक्षिण भारत में सुन्नी मुस्लिम समुदाय के सबसे प्रभावशाली धार्मिक नेता हैं.उन्होंने यमन में हूती नियंत्रित इलाके के धर्मगुरु से संपर्क साधकर सजा टलवाई.

यमन में मौत की सजा पाई केरल निवासी नर्स निमिषा प्रिया की सजा टल गई है. 38 वर्षीय निमिषा को बचाने जिस शख्स की भूमिका सबसे अहम मानी जा रही है, वह हैं 94 वर्षीय इस्लामिक धर्मगुरु कंथापुरम एपी अबूबक्र मुसलियार. उनके नाम के साथ ‘ग्रैंड मुफ़्ती ऑफ इंडिया’ का ओहदा भी जुड़ा है. यह ओहदा भले ही आधिकारिक न हो, लेकिन मुस्लिमों और खासकर केरल के मुस्लिमों में उन्हें यह दर्जा सम्मानपूर्वक प्राप्त है. अपने इस ओहदे के ही चलते उन्होंने यमन के हूती-नियंत्रित इलाके में ऐसे दरवाज़े खोले, जो कूटनीतिक रूप से भारत के लिए मुश्किल थे.

मुस्लियार भारत के दक्षिण भारत में सुन्नी मुस्लिम समुदाय के सबसे प्रभावशाली धार्मिक नेता हैं. उन्होंने ने यमन के हूती विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाके में कनेक्शन साधकर निमिषा प्रिया की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई. हालांकि इस बीच सबके मन में यह सवाल जरूर उठता है कि आखिर ये मुफ्ती कौन हैं, और उन्होंने ऐसी कौन सी बात कही, जो यमन में निमिषा की जान के दुश्मन बने लोग भी मान गए? आइए, इसे विस्तार से समझते हैं.

कौन हैं मुफ्ती मुसलियार

मुफ्ती कंथापुरम मुसलियार का पूरा नाम शेख अबू बक्र अहमद है. वह केरल के कोझिकोड में रहते हैं और ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलमा के महासचिव हैं. वे दक्षिण एशिया में सुन्नी मुसलमानों के प्रमुख धर्मगुरुओं में गिने जाते हैं. वह मर्कज़ नॉलेज सिटी के चेयरमैन भी हैं. यह एक शिक्षा और सांस्कृतिक विकास परियोजना है, जो इस्लामिक परंपरा को आधुनिक शिक्षण से जोड़ती है.

जब निमिषा प्रिया की सजा-ए-मौत के लिए 16 जुलाई की तारीख तय की गई, तो यह मामला बेहद संवेदनशील हो गया, क्योंकि भारत की यमन में हूती प्रशासन से कोई औपचारिक कूटनीतिक संबंध नहीं हैं. ऐसे में सरकारी चैनलों से ज्यादा असरदार धार्मिक पहुंच साबित हुई.

यमन में हूति से कैसे साधा संपर्क?

कंथापुरम मुसलियार ने यमन के प्रभावशाली सूफी इस्लामी विद्वानों से संपर्क साधा और निमिषा प्रिया के मामले में दखल की अपील की. उन्होंने इस्लामिक शरीया कानून के उस पहलू को सामने रखा, जिसमें सजा से ज्यादा रहम को तरजीह दी गई है.

मुसलियार ने मंगलवार को समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, ‘यमन में एक हत्या हुई. हत्या के बाद अदालत में मुकदमा दायर हुआ और अदालत ने निमिषा प्रिया को सजा ए मौत का हुक्म सुनाया. इस्लाम में हत्या के दोषी व्यक्ति को पीड़ित परिवार माफ कर सकता है. मैंने दूर से ही यमन के जिम्मेदार स्कॉलर्स से संपर्क कर उन्हें हालात समझाए. उन्होंने कहा कि वे इस दिशा में प्रयास करेंगे.’

मुफ्ती मुसलियान ने क्या कहा जो मान गए यमनी धर्मगुरु?

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस्लाम में हत्या के बदले दीया (मुआवज़ा) देने का भी रिवाज है. मैंने उनसे दीया स्वीकार करने का अनुरोध किया, क्योंकि यहां लोग इसके लिए तैयार है. इस पर बातचीत चल रही है कि क्या मेरी मांग मान ली जाए… फांसी की तारीख कल थी, लेकिन अब इसे कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया है. हमने इंसानियत के नाते यह मांग की है. अगर ऐसी मांग मान ली जाती है, तो भारत में मुसलमानों के लिए बहुत आसानी होगी. यहां मुसलमान और हिंदू, सभी एक ही साथ मिलकर रहते हैं…’

उनके ही इस दखल के बाद यमनी धर्मगुरुओं की एक बैठक हुई, जिसमें तय किया गया कि फांसी की तारीख फिलहाल स्थगित की जाएगी, ताकि बातचीत और माफी समझौते का रास्ता खुला रहे.

मौलाना मुसलियार ने इस घटनाक्रम की जानकारी भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय को भी दी और कहा कि इस मानवीय प्रयास को सरकार से सपोर्ट की जरूरत है. उन्होंने एक औपचारिक पत्र भी पीएमओ को भेजा. उनकी यह पहल, सरकार की कानूनी कोशिशों और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर चल रही सामूहिक कोशिश का हिस्सा बनी.

निमिषा प्रिया का क्या पूरा मामला?

निमिषा प्रिया केरल की रहने वाली एक नर्स हैं, जो 2008 में नौकरी के लिए यमन गई थीं. 2017 में उन्होंने कथित तौर पर अपने यमनी बिज़नेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी की हत्या कर दी थी. दावा है कि वह उनसे लगातार प्रताड़ित हो रही थीं और उनके ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स जब्त कर लिए गए थे. वह उन्हें बेहोश करके दस्तावेज़ वापस लेने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन ड्रग ओवरडोज़ से मौत हो गई.

अब फांसी की घड़ी टल चुकी है और निमिषा की मां प्रेमा कुमारी यमन में मौजूद हैं, ताकि पीड़ित परिवार से ‘ब्लड मनी’ पर सहमति बन सके. यमनी समाज में धार्मिक नेताओं का बड़ा प्रभाव होता है और कंथापुरम मुसलियार जैसे स्कॉलर्स की बातों को वहां सम्मानपूर्वक सुना जाता है.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

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