क्‍या EVM में अब नहीं दिखेगा NOTA का बटन? EC ने सुप्रीम कोर्ट में कही बड़ी बात

7 hours ago

Last Updated:April 25, 2025, 10:29 IST

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट में NOTA की उपयोगिता और चुनाव जीतने वाले कैंडिडेट के लिए मिनिमम वोट परसेंटेज का मुद्दा उठा. एक गैर सरकारी संस्‍था की याचिका पर चुनाव आयोग और अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में अ...और पढ़ें

क्‍या EVM में अब नहीं दिखेगा NOTA का बटन? EC ने सुप्रीम कोर्ट में कही बड़ी बात

सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने NOTA की उपयोगिता पर सवाल उठाया.

हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट में NOTA का उठा मुद्दा, चुनाव आयोग बोला- यह फेल आइडियाचुनाव जीतने वाले कैंडिडेट के लिए वोट परसेंटज तय करने का भी उठा सवालइस मसले पर केंद्र की तरफ से अटॉनी जनरल ने आर वेंकटरमानी ने रखा पक्ष

नई दिल्‍ली. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कई गंभीर सवाल उठे हैं. चुनाव आयोग ने शीर्ष अदालत में NOTA को फेल आइडिया बताया. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्‍या चुनाव जीतने वाले कैंडिडेट के लिए मिनिम वोट परसेंटेज तय नहीं किया जा सकता है? अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को इसपर केंद्र की तरफ से जवाब देना पड़ा. अटॉनी जनरल ने कहा कि इस मुद्दे पर चुनाव आयोग ने विस्तार से विचार-विमर्श किया और वन नेशन-वन इलेक्‍शन पर रिपोर्ट दी है. इसपर सांसदों के बीच व्‍यापक विचार-विमर्श हुआ और विभिन्‍न तरह की राय भी सामने आई. एक गैर सरकारी संस्‍था ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव मैदान में एक उम्‍मीदवार रहने की स्थिति में भी चुनाव कराने की मांग की है. इस याचिका पर बहस के दौरान चुनाव आयोग ने NOTA की उपयोगिता पर अपनी बात रखी है.

चुनाव आयोग और केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मतदाताओं को NOTA का विकल्प देने का SC का साल 2013 का आदेश एक ‘फेल आइडिया’ साबित हुआ है. चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वकील राकेश द्विवेदी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि NOTA… ने कभी किसी चुनाव को प्रभावित नहीं किया, क्योंकि बहुत कम मतदाताओं ने इस विकल्प का इस्तेमाल किया. हर जीतने वाले उम्मीदवार को NOTA से कहीं ज़्यादा वोट मिले हैं. केंद्र की तरफ से कोर्ट में पेश हुए अटॉनी जनरल आर. वेंकटरमणी और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय ने भी चुनाव आयोग की इस दलील पर अपनी सहमति जताई. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्‍वर सिंह की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है.

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा सवाल
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने केंद्र और चुनाव आयोग से बड़ा सवाल पूछा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘क्या केंद्र सरकार और चुनाव आयोग विनिंग कैंडिडेट्स के लिए न्यूनतम वोट प्रतिशत का बेंचमार्क निर्धारित करने पर विचार कर सकते हैं? सरकार इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सांसदों और इस क्षेत्र के एक्‍सपर्ट से मिलकर एक बॉडी गठित करने के बारे में सोच सकती है. चूंकि हमारा संविधान ‘डेमोक्रेस बाय मेजोरिटी’ यानी ‘बहुमत से लोकतंत्र’ की व्यवस्था करता है, लेकिन क्‍या ऐसा नहीं हो सकता कि संसद की ओर से चुनाव में जीतने वाले उम्‍मीदवारों के लिए न्‍यूनतम परसेंटेज की व्‍यवस्‍था की जाए.’ इसपर अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ‘वन नेशन, वन इलेक्‍शन’ पर चर्चा के दौरान चुनाव आयोग ने व्‍यापक चर्चा की थी. सांसदों की ओर से इसपर विभिन्‍न राय रखी गई थी.

चुनव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में रखे आंकड़े
अपने हलफनामे में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि किसी लोकसभा क्षेत्र से किसी उम्मीदवार का निर्विरोध चुना जाना बहुत दुर्लभ है. सीनियर एडवोकेट द्विवेदी ने कहा कि साल 1991 के बाद से लोकसभा के लिए किसी उम्मीदवार के निर्विरोध चुने जाने का सिर्फ़ एक ही उदाहरण है. उन्होंने कहा, ‘साल 1971 से लेकर आज तक यानी पिछले 54 सालों में कुल छह बार निर्विरोध चुनाव हुए हैं. 1951 से अब तक हुए 20 आम चुनावों में सिर्फ़ नौ बार निर्विरोध चुनाव हुए हैं.’ गैर सरकारी संस्‍था ‘विधि सेंटर फॉल लीगल पॉलिसी’ की ओर से दायर जनहित याचिका में एक कैंडिडेट के भी चुनाव मैदान में होने पर इलेक्‍शन कराने की मांग की गई है.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

April 25, 2025, 10:13 IST

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