क्‍या महंगाई में शामिल होगा मुफ्त राशन? सरकार बदलने जा रही इसकी परिभाषा

2 weeks ago

Last Updated:October 06, 2025, 14:34 IST

Inflation New Definition : महंगाई की नई परिभाषा तय करने के लिए सरकार इसमें मुफ्त अनाज को भी शामिल करने की तैयारी में है. इस पर 22 अक्‍टूबर तक सुझाव मांगे हैं.

क्‍या महंगाई में शामिल होगा मुफ्त राशन? सरकार बदलने जा रही इसकी परिभाषाखुदरा महंगाई की नई परिभाषा तय करने के लिए सरकार बदलाव करेगी.

नई दिल्‍ली. सरकार ने खुदरा महंगाई की परिभाषा में बदलाव करना शुरू कर दिया है. पहले तो इसका आधार वर्ष साल 2012 से बदलकर 2024 कर दिया गया है और अब इसमें शामिल की जाने वाली चीजों की लिस्‍ट बदलने की तैयारी है. सरकार की मंशा है कि इस लिस्‍ट से मुफ्त राशन को हटा दिया जाए. सरकार को सुझाव देने वाली समिति ने कहा है कि मुफ्त अनाज पर आम आदमी का कोई पैसा खर्च नहीं होता है, लिहाजा इसका महंगाई से कोई लेना-देना भी नहीं है. ऐसे में मुफ्त अनाज को खुदरा महंगाई की गणना से बाहर किया जाना चाहिए.

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्‍वयन मंत्रालय ने खुदरा महंगाई की नई परिभाषा गढ़ने के लिए सभी हितधारकों से सुझाव मांगे हैं. मंत्रालय ने पूछा है कि पीडीएस के जरिये लोगों को बांटे जाने वाले गेहूं-चावल जैसे मुफ्त अनाज को महंगाई की सूची से बाहर किया जाए अथवा नहीं. इसी सूची के आधार पर खुदरा महंगाई की गणना की जाती है और हर महीने उसका आंकड़ा पेश किया जाता है. अगर मुफ्त अनाज को इस सूची से बाहर किया जाता है तो इसका असर खुदरा महंगाई के आंकड़ों पर भी पड़ेगा.

क्‍या है सरकार की तैयारी
केंद्र सरकार ने खुदरा महंगाई की परिभाषा को बदलने की तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसके लिए सबसे पहले तो महंगाई के आधार वर्ष को साल 2012 से बदलकर 2024 कर दिया है. सरकार ने नई सीरीज में खुदरा महंगाई तय करने वाली चीजों की लिस्‍ट भी बदलने की तैयारी कर रही है. खुदरा महंगाई तय करने वाली यह चीजें घरेलू उपभोग खर्च के सर्वे पर आधारित होंगी. नई सीरीज साल 2026 की पहली तिमाही में प्रकाशित होगी. इसमें मुफ्त बांटे जाने वाले अनाज और उसके बाजार मूल्‍य दोनों को आधार बनाकर नए आंकड़े तैयार करने की मंशा है. मुफ्त चीजों की कीमत शून्‍य मानते हुए महंगाई का आकलन किया जाएगा. फिलहाल इस पर 22 अक्‍टूबर तक राय मांगी गई है.

फ्री की चीजों पर क्‍यों हो रहा मंथन
मंत्रालय की ओर से जारी पेपर में कहा गया है कि मुफ्त की चीजों को महंगाई के आंकड़ों से बाहर रखने पर आईएमएफ, विश्‍व बैंक और मंत्रालय के विशेषज्ञों ने भी मंथन किया है. इन सभी का मानना है कि पीडीएस में बांटी जानी वाली चीजें परिवारों के उपभोग पर बड़ा असर डालती हैं, लेकिन इनसे महंगाई में कोई योगदान नहीं होता. इसे शामिल किए बिना अगर महंगाई का आंकड़ा निकाला जाएगा तो वह ज्‍यादा दिखेगा, लेकिन इन चीजों को भी शामिल करके आंकड़े निकालें तो इसमें निश्चित रूप से गिरावट दिखेगी.

अभी क्‍या है व्‍यवस्‍था
खुदरा महंगाई तय करने वाली चीजों में अभी मुफ्त राशन को शामिल नहीं किया जाता है. इसकी वजह यह है कि इन चीजों पर लोगों को खर्चा नहीं करना पड़ता है, लेकिन उनके उपभोग में यह चीजें शामिल होती हैं. बावजूद इसके इफ्लेशन इंडेक्‍स में इन चीजों का वेटेज शून्‍य होता है. ग्‍लोबल लेवल पर भी मुफ्त की चीजों को लेकर यही रवैया अपनाया जाता है, लेकिन मंत्रालय की ओर से जारी पेपर में कहा गया है कि देश में चल रही मुफ्त योजना में ग्रामीण क्षेत्र की 75 फीसदी तो शहरी क्षेत्र की 50 फीसदी आबादी शामिल है. यहां योजना का दायरा इतना बड़ा होने की वजह से इसे खुदरा महंगाई के बास्‍केट में शामिल करना जरूरी है.

किन चीजों पर तय होती है महंगाई
खुदरा महंगाई के आंकड़े तय करने के लिए कई फैक्‍टर पर नजर रखी जाती है. इसमें खाने-पीने की चीजों के अलावा ईंधन, बिजली, मकान बनाने की लागत, परिवहन और माल ढुलाई जैसी जरूरी चीजों को शामिल किया जाता है. इन चीजों की कीमतों में बदलाव आने के साथ ही खुदरा महंगाई के आंकड़े भी बदलते हैं. सरकार हर महीने इन चीजों की कीमतों में बदलाव के आधार पर खुदरा महंगाई के आंकड़े तय करती है और उसे सार्वजनिक करती है.

क्‍यों फ्री की चीजों को शामिल करना जरूरी
मंत्रालय का कहना है कि खुदरा महंगाई के आधार पर ही रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीतियां तय करता है और कर्ज की ब्‍याज दरों में बदलाव करता है. इसके अलावा लिविंग कॉस्‍ट, महंगाई भत्‍ता, पेंशन तय करने वाली स्‍कीमों में भी इन आंकड़ों का इस्‍तेमाल किया जाता है. मंत्रालय का यही कहना है कि फ्री चीजों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए, ताकि महंगाई के असल आंकड़े सामने आ सकें. अभी इन चीजों पर कोई खर्चा नहीं करना पड़ता, लेकिन इसका उपभोग पूरा किया जाता है.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

October 06, 2025, 14:34 IST

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