Amit Shah Interview live: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश के ताजा राजनीतिक हालत पर अपनी बात रखी है. समाचार एजेंसी एएनआई को दिए खास इंटरव्यू में उन्होंने 130वें संविधान संशोधन विधेयक, जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे, एसआईआर विवाद और चुनाव आयोग से जुड़े तमाम मसलों पर अपनी बात रखी है. उन्होंने कहा कि बीते कुछ समय से अनुभव को देखते हुए 130वें संविधान संशोधन की जरूरत पड़ी है. उन्होंने कहा कि आरोपी पीएम, सीएम और मंत्रियों को पद से हटाने की संबंधी विधेयक में क्या कमी है. उन्होंने खुद आरोप लगने पर गुजरात में गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था.
नीतीश-नायडू 130वें संशोधन विधेयक का समर्थन करते हैं: अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एनडीए के सहयोगी दल जिनमें चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार शामिल हैं, संविधान (130वां संशोधन) विधेयक का समर्थन करते हैं. शाह ने बताया कि सभी सहयोगी इस विधेयक से सहमत हैं, लेकिन संसद में हंगामे के कारण उन्हें समर्थन जताने का मौका नहीं मिला. उन्होंने कहा कि हां, सभी सहमत हैं. उन्हें आगे आने का अवसर नहीं मिला. संसद में बहस नहीं होने दी गई. जब JPC बनेगी और संसद में चर्चा होगी, तब सभी दल अपनी राय रखेंगे. यह विधेयक गंभीर अपराधों में 30 दिन से अधिक जेल में रहने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान करता है. विपक्ष इसे असंवैधानिक बताकर विरोध कर रहा है. शाह ने जोर दिया कि JPC में सभी दलों को अपनी बात रखने का मौका मिलेगा.
जेपीसी एक पारदर्शी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया
शाह ने जोर देकर कहा कि JPC एक पारदर्शी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया है जिसमें सभी पक्षों को अपनी बात रखने का मौका मिलता है. शाह ने विपक्ष के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर वे इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनते तो यह उनकी जिम्मेदारी है. सरकार ने विधेयक को JPC को भेजकर एक समावेशी दृष्टिकोण अपनाया है, ताकि सभी दलों की राय सुनी जा सके. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि विपक्ष इस चर्चा में शामिल हो और अपनी राय दे. लेकिन अगर वे बहिष्कार करते हैं तो सरकार क्या करे? यह विधेयक देश के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए है और हम इसे पूरी पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाएंगे. यह बयान उस समय आया है जब विपक्ष ने 130वें संशोधन विधेयक को असंवैधानिक बताकर इसका विरोध किया है. इस विधेयक में प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर अपराध के लिए 30 दिनों से अधिक जेल में रहता है और उसे जमानत नहीं मिलती, तो उसे अपने पद से हटना होगा.
130वां संशोधन विधेयक JPC को भेजने और विपक्ष के बहिष्कार पर अमित शाह का बयान
अमित शाह ने संविधान (130वां संशोधन) विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने और विपक्ष द्वारा JPC का बहिष्कार करने की स्थिति पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष को JPC का हिस्सा बनने का पूरा अवसर दे रही है, लेकिन अगर विपक्ष संसद के स्थापित नियमों को स्वीकार नहीं करता और अल्पमत में होने के बावजूद अपनी मर्जी थोपने की कोशिश करता है, तो यह संभव नहीं है. शाह ने कहा कि कौन कह रहा है कि विपक्ष JPC का हिस्सा न बने? हम तो पहले ही कह रहे हैं कि आपको इसमें शामिल होना चाहिए. अगर आप संसद को चलाने के लिए बनाए गए नियमों को नहीं मानते और कहते हैं कि अल्पमत में होने के बावजूद हमारी इच्छा ही अंतिम होनी चाहिए तो यह नहीं हो सकता. सरकार उन्हें मौका दे सकती है. अगर वे इस मौके को स्वीकार नहीं करते तो हम क्या कर सकते हैं? हम तो नुकसान में हैं. अगर JPC गठन का फैसला होने के बाद भी वे इसका बहिष्कार करते हैं तो सरकार के पास क्या विकल्प है? उन्होंने आगे बताया कि JPC में कई गवाहों को बुलाया जाता है और सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोगों को भी शामिल किया जाता है. सभी तर्कों और सबूतों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसके आधार पर विधेयक में बदलाव किए जाते हैं.
जेपीसी में शामिल नहीं होगा विपक्ष तब क्या होगा?
अमित शाह ने कहा कि संविधान (130वां संशोधन) विधेयक की जांच के लिए लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की एक संयुक्त समिति गठित की जाएगी, जिसमें सभी दलों के सदस्य शामिल होंगे. इस समिति का गठन लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति करेंगे. शाह ने कहा कि यह समिति सभी पक्षों की राय सुनेगी और विधेयक पर चर्चा करेगी. उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष इसमें शामिल नहीं होगा तब भी जेपीसी अपना काम करेगी.
आम आदमी पार्टी का मामला
अमित शाह ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी जिक्र किया, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने कहा कि जेल जाने के बाद भी इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था. शाह ने इसे विपक्ष के दोहरे रवैये का उदाहरण बताया.
दोहरे मापदंड का लगाया आरोप
अमित शाह ने विपक्ष खासकर कांग्रेस पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया. उन्होंने यूपीए सरकार के समय का जिक्र किया, जब मनमोहन सिंह सरकार ने सजायाफ्ता सांसदों को बचाने के लिए एक अध्यादेश लाया था. शाह ने कहा कि सत्येंद्र जैन (आप नेता) के मामले में उन्हें चार मामलों में जेल हुई और सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की. वे मुकदमे का सामना कर रहे हैं. लेकिन कांग्रेस ने भी ऐसा किया. जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और लालू प्रसाद यादव को सजा हुई थी, तब यूपीए सरकार ने एक अध्यादेश लाया कि दो साल की सजा होने पर भी सांसद की सदस्यता तब तक रद्द नहीं होगी, जब तक अपील की प्रक्रिया पूरी न हो. शाह ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी ने उस अध्यादेश को बकवास कहकर सार्वजनिक रूप से फाड़ दिया था. उनके अपने प्रधानमंत्री का फैसला दुनिया के सामने मजाक बन गया. लेकिन अब वही राहुल गांधी बिहार में सरकार बनाने के लिए लालू यादव को गले लगा रहे हैं. क्या यह दोहरा मापदंड नहीं है?
संयुक्त समिति में हर कोई अपनी राय दे सकता था
शाह ने संसद में विधेयक पेश करते समय विपक्ष के विरोध और नारेबाजी को गलत ठहराया. उन्होंने कहा कि जब एक चुनी हुई सरकार संसद में संवैधानिक संशोधन लाती है, तो विरोध की अनुमति है. मैंने पहले ही कहा है कि यह विधेयक दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेजा जाएगा. वहां हर कोई अपनी राय दे सकता है. यह संवैधानिक संशोधन है, इसके लिए दो-तिहाई बहुमत चाहिए. लेकिन क्या यह लोकतंत्र में उचित है कि विधेयक को संसद में पेश भी न करने दिया जाए? क्या दोनों सदन चर्चा के लिए हैं या सिर्फ हंगामा और व्यवधान के लिए? उन्होंने कहा कि हमने भी कई मुद्दों पर विरोध किया है, लेकिन संसद में विधेयक पेश करने से रोकना लोकतांत्रिक नहीं है. विपक्ष को जनता को जवाब देना होगा.
130वां संशोधन विधेयक: क्या है प्रावधान?
अमित शाह ने देश को 130वें संशोधन के बारे में बताया- हमने इसमें प्रावधान किया है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या केंद्र व राज्य सरकार का कोई नेता गंभीर आरोपों का सामना करता है और गिरफ्तार होता है और यदि उसे 30 दिनों में जमानत नहीं मिलती है तो उसे अपने पद से इस्तीफा देना होगा. अगर वह इस्तीफा नहीं देता है तो कानून के तहत उसे हटा दिया जाएगा. शाह ने यह भी बताया कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विधेयक में प्रधानमंत्री के पद को शामिल करने पर जोर दिया था. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने 39वां संशोधन लाकर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और स्पीकर को अदालती समीक्षा से बचाने की कोशिश की थी. लेकिन नरेंद्र मोदी जी ने अपने खिलाफ एक संवैधानिक संशोधन लाया कि अगर प्रधानमंत्री जेल जाते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना होगा.
संसद या विधानसभा में किसी की बहुमत पर कोई असर नहीं पड़ेगा
अमित शाह ने आगे कहा कि इससे संसद या विधानसभा में किसी की बहुमत पर कोई असर नहीं पड़ेगा. एक सदस्य जाएगा, तो पार्टी के अन्य सदस्य सरकार चलाएंगे. जब उन्हें जमानत मिल जाएगी तो वे वापस आकर शपथ ले सकते हैं. इसमें आपत्ति क्या है?
क्या कोई PM, CM या कोई नेता जेल से देश चला सकता है?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान (130वां संशोधन) विधेयक के खिलाफ विपक्ष के ‘ब्लैक बिल’ विरोध पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि वह और उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस विचार को पूरी तरह खारिज करते हैं कि देश को उस व्यक्ति के बिना नहीं चलाया जा सकता जो जेल में है. शाह ने सवाल उठाया, “क्या कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई नेता जेल से देश चला सकता है? क्या यह हमारी लोकतांत्रिक गरिमा के अनुकूल है?” एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में अमित शाह ने कहा, “मैं पूरे देश और विपक्ष से पूछना चाहता हूं… क्या कोई मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या कोई नेता जेल से देश चला सकता है? क्या यह हमारी लोकतांत्रिक गरिमा के अनुरूप है? आज भी विपक्ष की कोशिश है कि अगर उन्हें जेल जाना पड़े, तो वे जेल से ही सरकार बनाएं. जेल को मुख्यमंत्री आवास या प्रधानमंत्री आवास बना दिया जाए और डीजीपी, मुख्य सचिव, कैबिनेट सचिव या गृह सचिव जेल से आदेश लें. मेरी पार्टी और मैं इस विचार को पूरी तरह खारिज करते हैं कि देश को उस व्यक्ति के बिना नहीं चलाया जा सकता जो वहां बैठा है.”
धनखड़ ने व्यक्तिगत स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- धनखड़ जी एक संवैधानिक पद पर आसीन थे और अपने कार्यकाल में उन्होंने संविधान के अनुरूप अच्छा काम किया. उन्होंने अपनी व्यक्तिगत स्वास्थ्य समस्या के कारण इस्तीफा दिया है.
सुदर्शन रेड्डी की वजह से दो दशक तक चला नक्सलवाद
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि INDIA गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी ने बतौर सुप्रीम कोर्ट जज सलवा जुडूम को खारिज कर दिया और आदिवासियों के आत्मरक्षा के अधिकार को खत्म कर दिया. इसी वजह से इस देश में नक्सलवाद दो दशकों से ज्यादा समय तक चला… मेरा मानना है कि वामपंथी विचारधारा ही (सुदर्शन रेड्डी को चुनने का) मानदंड रही होगी.
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