क्या भारत और पाक के बीच पानी पर होगी जंग? कैसे सिंधु संधि बनेगी संग्राम की वजह

1 day ago

‘पाकिस्तान को भारत के हक का पानी नहीं मिलेगा, भारतीयों के खून से खेलना पाकिस्तान को अब महंगा पड़ेगा’- कुछ दिन पहले बीकानेर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहते हुए साफ कर दिया कि सिंधु जल समझौता स्थगित रहेगा. उन्होंने यह भी कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ खत्म नहीं हुआ है, बस फिलहाल रुका हुआ है. भले ही दुश्मनी कुछ देर के लिए थम गई हो, लेकिन पानी का मुद्दा पाकिस्तान को बहुत परेशान कर रहा है. तो क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत-पाकिस्तान के बीच अगला संघर्ष यानी युद्ध पानी को लेकर होगा? सिंधु, झेलम और चेनाब नए फ्लैशपॉइंट बन सकते हैं.

आइए जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच 21वीं सदी का सबसे बड़ा पानी का संघर्ष क्या हो सकता है?

दरअसल, सिंधु जल समझौते को खत्म करना आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक पुराना वैचारिक प्रोजेक्ट रहा है. आरएसएस का मानना ​​है कि 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अयूब कान के बीच हुए इस समझौते से भारत के साथ अन्याय हुआ. इस संधि को रद्द करना कारगिल के बाद अटल बिहारी वाजपेयी और उरी और पुलवामा आतंकी हमलों के बाद नरेंद्र मोदी के जेहन में भी था. पहलगाम के बाद भारत ने आखिरकार यह कदम उठा ही लिया.

‘तुम हमारा पानी बंद कर दोगे, हम तुम्हारी सांस बंद कर देंगे’- पाकिस्तान के डीजी आईएसपीआर ने भारत को पाकिस्तान बहने वाली नदियों का पानी रोकने पर साफ तौर पर धमकी दी थी. हालात ऐसे हैं कि डीजी आईएसपीआर लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी भी भारत के खिलाफ वैसी ही नफरत भरी बातें कर रहे हैं, जैसी पहले आतंकवादी हाफिज सईद किया करता था.

भारत की ओर से सिंधु जल संधि को रोकने पर पाकिस्तान की सरकार और सेना पर किसानों का भारी दबाव है. इसके चलते ही पाकिस्तान से यह धमकी आ रही है कि ‘अगर आपने हमारा पानी रोका, तो हम आपकी सांस रोक देंगे.’ इस पर भारत ने स्पष्ट कहा है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. पीएम मोदी ने कहा है कि सिंधु जल समझौता तब तक स्थगित रहेगा, जब तक पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकवाद के खिलाफ ठोस, विश्वसनीय और सत्‍यापनीय कार्रवाई नहीं करता. भारत जानता है कि ऐसा कभी नहीं होगा. तो सिंधु जल संधि अब खत्म ही समझिए. भारत जानता है कि उसका पलड़ा भारी है.

और पाकिस्तान यही सोचकर चिंतित है या सच कहें तो बहुत अधिक चिंतित है. इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ से ताल्लुक रखने वाले पाकिस्तानी सीनेटर सैयद अली जफर ने कहा है कि भारत ने पाकिस्तान पर ‘वाटर बम’ फेंका है, जिसे तुरंत डिफ्यूज यानी निष्क्रिय करने की जरूरत है.

सैयद अली जफर ने पाकिस्तान असेंबली में कहा है, ‘अगर हमने तुरंत इस पानी के संकट का समाधान नहीं किया तो हम भूखे मर जाएंगे. सिंधु बेसिन हमारी लाइफ लाइन है. हमारा 3/4 पानी यहीं से आता है. हमारे 10 में से 9 लोग अपना जीवन यापन करने के लिए सिंधु नदी बेसिन पर निर्भर हैं. हमारी 90 प्रतिशत फसलें सिंधु नदी बेसिन पर निर्भर हैं. हमारी सभी परियोजनाएं और बांध सिंधु नदी बेसिन में बने हैं.’

ऐसे में अगर हालात बिगड़े तो पाकिस्तान सिंधु जल संधि को लेकर भारत के साथ फिर से हिंसक संघर्ष शुरू कर सकता है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में अपनी विफलता पर उसे पहले ही बहुत अपमानित महसूस हो रहा है. इसलिए भारत को उम्मीद है कि पाकिस्तान कुछ करेगा और वह हाई अलर्ट पर है.

पाकिस्तान ने एक पत्र के जरिए भारत के साथ बातचीत शुरू करने की कोशिश की, जिसे भारत ने ठुकरा दिया. पाकिस्तान सरकार अब इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय बना रही है और उसने सिंधु जल संधि पर भारत के कदम को ‘एक्ट ऑफ वॉर’ बताया है.

बिलावल भुट्टो ने धमकी दी है कि सिंधु में या तो हमारा पानी बहेगा या उनका (भारत का) खन. ऐसे में अगले 5-6 महीने भारत-पाकिस्तान मोर्चे पर कापी अहम हो सकते हैं. भारत दुनिया को बता रहा है कि वह पिछले कई सालों से सिंधु जल संधि की समीक्षा पर काम कर रहा है, क्योंकि आबादी में बदलाव और भौगोलिक बदलाव हुए हैं.

तो भारत का क्या प्लान है?

पहले तथ्यों पर नजर डालते हैं. पश्चिमी नदियों के ऊपरी इलाकों में भौगोलिक चुनौतियों को देखते हुए भारत की बांध बनाने की क्षमता हमेशा से एक मुद्दा रही है. पाकिस्तान को जाने वाली तीन पश्चिमी नदियों के पानी की भारत की वर्तमान भंडारण क्षमता 1 प्रतिशत से भी कम है. संक्षेप में कहें तो यह बहुत सीमित है.

पाकिस्तान को जाने वाली पश्चिमी नदियों पर भारत की सभी मौजूदा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स यानी जलविद्युत परियोजनाएं ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ परियोजनाएं हैं. इसलिए इनमें भंडारण क्षमता बहुत कम है. भारत यहां अपने जलाशयों को ऊपर तक भरकर केवल 2-3 दिनों के लिए ही पानी रोक सकता है. लेकिन अब भारत के पास अपर हैंड क्योंकि उसे पाकिस्तान को यह बताने की जरूरत नहीं है कि वह कब पानी रोकेगा और कब छोड़ेगा. इससे पाकिस्तान में सीमित सूखे और बाढ़ की अनिश्चितता पैदा हो गई है.

पिछले एक महीने में भारत की ओर से नियमित रूप से बांधों को खोलने से पाकिस्तान को पानी के बहाव में उतार-चढ़ाव आया है. इसी बात ने पाकिस्तान को और डरा दिया है.

2026 से पाकिस्तान के लिए चीजें और बदतर हो सकती हैं. इन नदियों पर पाकल दुल भारत की पहली स्टोरेज परियोजना होगी, जो प्रभावी ढंग से बड़ी मात्रा में पानी जमा कर सकती है और अगले साल तक तैयार हो जाएगी. पाकल दुल किश्तवाड़ में चिनाब नदी की एक सहायक नदी पर बन रहा है. 167 मीटर की ऊंचाई के साथ यह भारत में अपनी तरह का सबसे ऊंचा बांध है. यह सिंधु जल संधि के तहत 0.1 MAF के अनुमेय भंडारण का उपयोग करने में सक्षम होगा, और शायद अब और भी अधिक, क्योंकि सिंधु जल संधि स्थगित है. इस महीने की शुरुआत में पीएम मोदी सरकार ने इस परियोजना को तेजी से पूरा करने के लिए इसके तहत ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइनों को बिछाने की अनुमति दी थी.

भारत किशनगंगा और रतले जैसी अपनी जलविद्युत परियोजनाओं को भी तेज़ी से पूरा कर रहा है ताकि उनका उपयोग न केवल एनर्जी इनिशिएटिव यानी ऊर्जा पहल के रूप में बल्कि रणनीतिक दबाव के साधनों के रूप में भी किया जा सके. भारत के इस कदम का मनोवैज्ञानिक प्रभाव अब दिखाई देने लगा है. पाकिस्तान के राजनीतिक वर्ग पर भारत की ओर से पश्चिमी नदियों के पानी के प्रवाह को नियंत्रित किए जाने के संभावित निहितार्थ को लेकर उनकी आबादी का दबाव है.

पहले तो भारत को अब किशनगंगा, रातले और पॉल दुल यानी पाकल दुल जलविद्युत परियोजनाओं के लिए इंटरनेशनल फोरम पर पाकिस्तान की आपत्तियों के बारे में परेशान होने की जरूरत नहीं है. इन परियोजनाओं का संयुक्त हाइड्रोलॉजिकल प्रभाव भारत को पाकिस्तान को घेरने के लिए एक मजबूत भू-राजनीतिक संकेत और रणनीतिक गणना प्रदान करता है. पहलगाम में नागरिकों पर पाकिस्तान स्पॉन्सर्ड आतंकी हमले ने खेल के नियमों को बदल दिया है. भारत ने पाकिस्तान के नागरिकों को उनकी सेना के दुस्साहस का अंजाम भुगतान के लिए मजबूर कर दिया है.

भारत ने पहले ही झेलम नदी का पानी किशनगंगा परियोजना के जरिए 23 किलोमीटर लंबी सुरंग के माध्यम से मोड़ दिया था. इसका उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने 2018 में बांदीपोरा में किया था. उसी दिन पीएम मोदी ने 1,000 मेगावाट क्षमता वाली जम्मू-कश्मीर की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना और जम्मू-कश्मीर की पहली भंडारण परियोजना पाकल दुल पावर प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी.

पाक की एक और समस्या

पाकिस्तान के लिए एक और बड़ी समस्या जम्मू-कश्मीर में 850 मेगावाट का रातले हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट है. खासकर पिछले साल से जब किश्तवाड़ जिले के ड्राब्शल्ला में डायवर्जन सुरंगों के जरिए चेनाब नदी के मोड़ के साथ यहां एक बड़ा मुकाम हासिल किया गया है. नदी के मोड़ ने बांध क्षेत्र को नदी तल पर अलग-थलग करने में सक्षम बनाया है ताकि खुदाई और बांध के निर्माण की महत्वपूर्ण गतिविधि शुरू हो सके. स्पिलवे की ऊंचाई और परियोजना के ड्रॉडाउन स्तरों से संबंधित पाकिस्तान की डिजाइन आपत्तियों के बावजूद भारत अब बांध के साथ आगे बढ़ सकता है. मोदी सरकार ने 2021 में 5,282 करोड़ रुपये की लागत से रातले परियोजना को मंजूरी दी थी.

पाक की टीम आई थी भारत

लास्ट टाइम भारत और पाकिस्तान की टीमें पिछले साल जून में वार्षिक सिंधु जल संधि वार्ता के लिए मिली थीं, जब एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने भारत की यात्रा की थी और विभिन्न बांध स्थलों को देखने के लिए किश्तवाड़ का दौरा किया था. पाकिस्तान ने भारत की ओर से किशनगंगा, रातले और पाकल दुल पनबिजली संयंत्रों पर यह कहते हुए आपत्ति जताई कि वे संधि के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं. फिलहाल 1960 में समझौते पर हस्ताक्षरकर्ता के रूप में विश्व बैंक के साथ हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि, इतिहास बन चुकी है.

भारत और पाकिस्तान की टीमें पिछली बार सिंधु जल संधि पर बातचीत के लिए पिछले साल जून में मिली थीं. तब एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने भारत की यात्रा की थी और विभिन्न बांध स्थलों को देखने के लिए किश्तवाड़ गए थे. पाकिस्तान ने भारत की ओर से किशनगंगा, रातले और पाकल दुल पनबिजली संयंत्रों पर आपत्ति जताना जारी रखा है. पाकिस्तान का कहना है कि ये संयंत्र संधि के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं. अभी के लिए 1960 में हुए सिंधु जल समझौते का कोई मतलब नहीं रह गया है. इस समझौते पर विश्व बैंक ने भी हस्ताक्षर किए थे.

Read Full Article at Source