क्यों आज तक भारत या एशिया से भी नहीं चुने गए पोप? असली वजह जान लीजिए

1 month ago

पोप फ्रांसिस की सेहत को लेकर लेकर बुधवार को अहम जानकारी सामने आई है. एक कार्डिनल ने कहा कि पोप फ्रांसिस अपने गृह देश के एक अस्पताल में भर्ती हैं और हालत अभी भी गंभीर लेकिन स्थिर बनी हुई है. एक भारतीय कार्डिनल ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि पोप की हालत अभी भी वैसी ही बनी हुई है. पोप फ्रांसिस की बिगड़ती सेहत को लेकर एक बार फिर से पोप के चुनाव की चर्चा होने लगी है. 

इस संबंध में जब कार्डिनल से पूछा गया तो उन्होंने कहा,'सामान्य नियम यह है कि अगर कोई पोप पद छोड़ने का फैसला करता है, जैसा कि साल 2013 में उनके पूर्ववर्ती पोप बेनेडिक्ट सोलह ने किया था, तो सभी कार्डिनल्स की एक मीटिंग बुलाई जाती है और रिटायर्ड होने का फैसला लिया जाता है. भारतीय कार्डिनल ने पहचान न बताने की शर्त पर कहा,'अभी तक ऐसी कोई बैठक नहीं बुलाई गई है.

कार्डिनल ने बताया कैसे होता है चुनाव?

जब कार्डिनल से पूछा गया कि पोप का चुनाव कैसे होता है तो उन्होंने कहा कि निर्वाचक मंडल में कार्डिनल होते हैं और 80 से कम उम्र के सभी लोग नए पोप के लिए वोटिंग करते हैं. कार्डिनल ने कहा,'वोटिंग अधिकार रखने वाले सभी कार्डिनल पोप के पद के लिए पात्र हैं. अगर मेरी याददाश्त सही है तो लगभग 130 कार्डिनल हैं, जो अगले पोप को चुनने के लिए वोटिंग कर सकते हैं, लेकिन अगर 80 वर्ष से ज्यादा उम्र के कार्डिनल की कुल संख्या ली जाए, तो यह संख्या और भी ज्यादा है.'

क्या भारत और एशिया से चुना जा सकता है नया पोप?

वैसे तो कयास लगाए जा रहे हैं कि पोप फ्रांसिस का उत्तराधिकारी अफ्रीका या फिर एशिया से हो सकता है. इसके पीछे की वजह आबादी बताई जाती है. वेटिकन के मुताबिक 2022 के आखिर में लगभग 1.4 बिलियन की वैश्विक कैथोलिक आबादी में से 31 फीसदी इन दो महाद्वीपों में हैं. हालांकि यह भी कहा जाता है कि ये आंकड़े महाद्वीपों के महत्व को कम करके आंकते हैं क्योंकि इनमें चीन शामिल नहीं है, जहां लगभग 12 मिलियन कैथोलिक रहते हैं.

एशिया में हैं 37 कार्डिनल 

इसके अलावा वोटों की बात करें तो एशिया में सिर्फ 37 कार्डिनल हैं, जो कुल तादाद का 14.7 फीसदी हैं. अफ्रीका में तो ये संख्या और कम है, वहां 29 कार्डिनल हैं, जो 11.5 फीसदी बैठते हैं. भारत में सिर्फ छह कार्डिनल हैं, जिनमें चार के पास मतदान का अधिकार होगा. यूरोपीय देश अकेले इटली के 17 कार्डिनल हैं.

कैथोलिक चर्च का इतिहास भी है वजह

इसके अलावा एक जानकारी यह भी है कि पोप बनने के लिए एक व्यक्ति को कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च पद पर चुना जाता है और अब तक यह पद यूरोपीय (मुख्य रूप से इतालवी) पादरियों के ज़रिए ज्यादा भरा गया है. इसकी एक अहम वजह है यह है कि कैथोलिक चर्च का इतिहास यूरोप में शुरू हुआ था और वहां से इसका विस्तार हुआ था. इसके अलावा चर्च के सर्वोच्च पदों पर पहुंचे पादरी आमतौर पर यूरोप में रहते हैं, क्योंकि चर्च की संरचना और प्रशासन भी मुख्य रूप से यूरोप में स्थापित है.

दूसरे महाद्वपों का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है

हालांकि हाल के वर्षों में चर्च में अन्य महाद्वीपों से प्रतिनिधित्व बढ़ा है. उदाहरण के लिए 2013 में अर्जेंटीना के कार्डिनल जोर्ज मारियो बर्गोग्लियो को पोप फ्रांसिस के रूप में चुना गया, जो पहले गैर-यूरोपीय पॉप की मिसाल थी.  भारत या एशिया से पोप का चुनाव अब तक नहीं हुआ है, लेकिन यह संभावना नहीं नकारा जा सकता, क्योंकि चर्च में विविधता और समावेशन बढ़ता जा रहा है.

कैसे चुना जाता है नया पोप

सभी कार्डिनल वेटिकन के सिस्टीन चैपल (Sistine Chapel) में एक सभा में इकट्ठे होते हैं. जिसे 'कोनक्लेव' कहा जाता है. इस कोनक्लेव का बाहरी दुनिया से कोई संबंध नहीं होता, यही वजह है कि इसको खुफिया रखा जाता है. 

वोटिंग गुप्त बैलेट (Secret Ballot) से होती है.

नया पोप बनने के लिए किसी उम्मीदवार को कम से कम दो-तिहाई बहुमत हासिल करना जरूरी होता है.

अगर पहले दौर में कोई उम्मीदवार नहीं चुना जाता तो मतदान कई दौरों तक चलता है

दिन में चार बार (दो बार सुबह, दो बार शाम) वोटिंग होती है.

धुएं के संकेत (White Smoke & Black Smoke)

हर बार मतदान के बाद बैलेट पेपर जलाए जाते हैं.

यदि कोई नया पोप नहीं चुना गया, तो चिमनी से काला धुआं (Black Smoke) निकलता है.

जब कोई नया पोप चुन लिया जाता है, तो सफेद धुआं (White Smoke) निकलता है, जिससे जनता को संकेत मिलता है कि नया पोप चुना जा चुका है.

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