COVID-19 cases are rising again: आपने पिछले कुछ दिनों में ‘भारत में फिर से बढ़ रहे हैं कोविड-19 के मामले’, जैसी हेडलाइन अखबारों या वेब मीडिया में जरूर देखी होंगी. हालांकि इस तरह की खबरें किसी को भी चिंता में डाल सकती हैं. लेकिन जमीनी हकीकत इससे कहीं ज्यादा आश्वस्त करने वाली है. मामलों में वृद्धि कम है, बीमारी आम तौर पर हल्की है और भारत का हेल्थ सिस्टम अच्छी तरह से तैयार है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब हमारे पास इस तरह के हालात को बिना किसी डर के मैनेज करने के लिए टूल्स और नॉलेज है.
फिलहाल हम एक ऐसे दौर में हैं जहां सार्स-कोव-2 (वह वायरस जो कोविड-19 का कारण बनता है) कई अन्य रेस्पिट्री वायरसों की तरह व्यवहार कर रहा है. इसमें मौसमी उतार-चढ़ाव, क्षेत्रीय भिन्नताएं और बार-बार संक्रमण की लहरें शामिल हैं. इसका एक मुख्य कारण यह है कि हर्ड इम्यूनिटी (सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता) कम हो रही है, चाहे वह पहले के संक्रमण से मिली हो या टीकाकरण से. कई व्यक्ति जिन्हें शुरुआती लहरों के दौरान टीका लगाया गया था उन्होंने एक साल या उससे अधिक समय से बूस्टर खुराक नहीं ली है. रोग प्रतिरोधक क्षमता चाहे टीके से मिली हो या स्वाभाविक रूप से प्राप्त हुई हो समय के साथ कम होती जाती है. इसकी वजह से दोबारा संक्रमण संभव है, भले ही संक्रमण हल्का रहे.
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क्यों नहीं है घबराने की जरूरत
26 मई, 2025 तक भारत में कुल 1009 सक्रिय कोविड-19 मामले सामने आए हैं. 19 मई को यह संख्या 257 थी, जिसमें केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में मामलों में वृद्धि दर्ज की गई. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दैनिक अपडेट से पता चलता है कि इस महीने की शुरुआत से संख्या में थोड़ी वृद्धि हुई है, लेकिन स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है. 140 करोड़ से ज्यादा जनसंख्या वाले देश में ये आंकड़े चिंताजनक नहीं हैं. भारत के पास सांस संबंधी बीमारियों के लिए दुनिया की सबसे मजबूत निगरानी प्रणालियों में से एक है.
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कौन से वेरिएंट कर रहे परेशान?
ओमिक्रॉन का एक उप-संस्करण JN.1 संस्करण वर्तमान में भारत में सबसे अधिक प्रभावी स्ट्रेन है. भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के अनुसार हाल के मामलों में इसका योगदान लगभग 53 फीसदी है. यह आसानी से फैलता है, लेकिन अन्य ओमिक्रॉन उप-संस्करणों की तरह अधिकांश लोगों में हल्की बीमारी का कारण बनता है. NB.1.8.1 और LF.7 जैसे अन्य वेरिएंट भी कम संख्या में पाए गए हैं. ये वैश्विक स्तर पर निगरानी में हैं, लेकिन अभी तक इनसे गंभीर बीमारी होने के कोई संकेत नहीं मिले हैं.
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हल्के लक्षण और जल्दी सुधार
अच्छी खबर यह है कि ज्यादातर लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं हो रहे हैं. लक्षण सामान्य सर्दी या मौसमी फ्लू जैसे ही होते हैं और इनमें शामिल हैं:
बुखार या ठंड लगना
खांसी (आमतौर पर सूखी)
गले में खराश और नाक बहना
थकान
सिरदर्द और शरीर में दर्द
दस्त (अधिक सामान्यतः JN.1 के साथ रिपोर्ट किया गया)
खुजली या लाल आंखें
महत्वपूर्ण बात यह है कि ज्यादातर मामलों का इलाज घर पर ही किया जा रहा है. बहुत कम लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है. कोविड से होने वाली मौतें दुर्लभ हैं और आमतौर पर ऐसे लोग शामिल होते हैं जिन्हें कई बीमारियां पहले से होती हैं जैसे हार्ट डिजीज, डॉयबीटिज या बुढ़ापे से संबंधित दिक्कतें.
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अब क्यों अलग हैं हालात
महामारी के शुरुआती समय के विपरीत आज भारत में व्यापक टीकाकरण और पिछले संक्रमणों के संयोजन से मजबूत इम्युनिटी विकसित हुई है. जिसे हाइब्रिड इम्युनिटी भी कहा जाता है. भारत में अब तक 2.2 अरब से अधिक वैक्सीन खुराकें दी जा चुकी हैं, जिनमें प्राइमरी और बूस्टर खुराकें शामिल हैं. इससे संक्रमण होने पर भी बीमारी की गंभीरता को कम करने में मदद मिली है. प्रत्येक जिले में एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) की टीमें नियमित रूप से असामान्य समूहों और मौसमी उछालों पर नजर रखती हैं. जिससे सरकार को नए प्रकोपों से एक कदम आगे रहने में मदद मिलती है.
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क्या कहना है विशेषज्ञों का
देश के मशहूर हेल्थ एक्सपर्ट ने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि चिंता की कोई बात नहीं है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट डॉ. टी. जैकब जॉन के अनुसार, “मामलों में वृद्धि अपेक्षित है और यह चिंताजनक नहीं है. वायरस म्यूटेट होते रहेंगे और लोगों के बीच मौजूद रहेंगे, लेकिन मौजूदा इम्युनिटी के कारण स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव न्यूनतम है.” विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन वेरिएंट के बारे में कोई वैश्विक चेतावनी नहीं दी है.
छोटी सावधानियां करती हैं काम
हमें लॉकडाउन या बड़े पैमाने पर प्रतिबंधों की जरूरत नहीं है. लेकिन कुछ बुनियादी सावधानियां काफी मददगार साबित हो सकती हैं:
अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन या सैनिटाइजर से धोएं
खांसते या छींकते समय अपना मुंह और नाक ढकें.
भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर या अस्पताल जाते समय मास्क पहनें.
अपने कमरों में अच्छा वेंटिलेशन रखें.
यदि आप अस्वस्थ हैं तो बीमारी फैलने से बचने के लिए घर पर ही रहें
अपने टीकाकरण की स्थिति की जांच करें – यदि पात्र हों तो अपना बूस्टर टीका लगवाएं.
याद रखें, परिवार के बुजुर्ग सदस्यों या पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों की देखभाल करना महत्वपूर्ण है. अगर आप ऐसे लोगों से मिलने जा रहे हैं तो साफ-सफाई और मास्क पहनने का विशेष ध्यान रखें.
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एक संतुलित नजरिये की जरूरत
कोविड-19 अब कई अन्य रेस्पिट्री वायरस की तरह व्यवहार कर रहा है- मौसमी, कभी-कभी बढ़ता हुआ, लेकिन काफी हद तक संभाले जाने लायक. यह अब पब्लिक हेल्थ इमर्जेंसी नहीं है, बल्कि एक ऐसी बीमारी है जिससे हम निपटना जानते हैं. हमें जानकारी रखनी चाहिए लेकिन चिंतित नहीं होना चाहिए. सुर्खियों से हमें अपनी प्रतिक्रिया निर्धारित नहीं करनी चाहिए. इसके बजाय आंकड़ों डेटा पर भरोसा करें और सावधानी बरतें. ऐसा करके हम न केवल खुद को बल्कि अपने आस-पास के लोगों भी सुरक्षित रखते हैं.