गयाजी पितृपक्ष मेला में ई-पिंडदान को लेकर क्यों भड़का है गयापाल पंडा समाज?

5 hours ago

Last Updated:August 27, 2025, 07:45 IST

Gaya Pitrupaksha Mela: बिहार में 6 सितंबर 2025 से शुरू होने वाले विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले की तैयारियां जोरों पर हैं. लाखों श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने आते हैं. लेकिन, बिहा...और पढ़ें

गयाजी पितृपक्ष मेला में ई-पिंडदान को लेकर क्यों भड़का है गयापाल पंडा समाज?गया में पितृपक्ष मेला में ऑनलाइन पिंडदान पर विवाद, पंडा समाज ने उठाई आवाज

गयाजी. बिहार के गयाजी में विश्व विख्यात पितृपक्ष मेला 6 सितंबर से शुरू होने वाला है. इसको लेकर जिला प्रशासन तैयारियों में जुटी है. वहीं, देश-विदेश में रहने वाले जो गयाजी में आकर अपने पूर्वजों का पिंडदान नहीं कर सकते हैं, उनके लिए सरकार ने ई-पिंडदान यानी कि ऑनलाइन पिंडदान की शुरुआत की थी. पिछले तीन सालों से यह क्रम जारी है, लेकिन इस बार ई-पिंडदान का विरोध किया जा रहा है. इस बा ऑनलाइन पिंडदान शुरू होने से पहले ही विवाद खड़ा हो गया है. इस मामले में गया पाल पंडा सब एकजुट होकर इस पर भी विरोध जता रहे हैं. हालांकि, कुछ ऐसे भी पंडा जी है जो इसे सही करार दे रहे हैं.

सुविधा या धार्मिक परंपरा का अपमान?

विरोध करने वाले गया जी पाल पांडा का कहना है कि मोक्ष की प्राप्ति के लिए उनके परिजनों को स्वयं यहां आना पड़ता है. लोग ऑनलाइन पिंडदान करेगें तो पूर्वजों के मोक्ष की कामना पूरी नहीं होगी. इसके लिए गयापाल पांडा के विधिवत रूप से पूजा संपन्न करना और उनका आशीर्वाद लेना जरूरी होता है. वहीं, विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभु लाल विट्ठल ने बताया कि ऑनलाइन पिंडदान होने से उन लोगों को ठेस पहुंचेगी ही ,लेकिन जो लोग ऑनलाइन बुकिंग करवा रहे हैं उनको इसके बारे के विचार करना चाहिए कि इससे उनको कितना फायदा मिलने वाला है.

गया की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर

उन्होंने कहा कि पहले पंडा पुजारी पर आरोप लगता था कि मनमानी ढंग से यात्रियों से पैसे ऐंठते हैं और शोषण करते हैं.लेकिन, पंडा पुजारी का पैसा लूटने और शोषण करना काम नहीं है, हम लोग कर्मकांड को कर करके दक्षिणा लेने का काम करते हैं. हम लोगों को जो ब्राह्मणों के द्वारा अधिकार दिया गया है उस पर हम लोग चलते आ रहे हैं. ब्राह्मणों को अधिकार दिया गया है कि कर्मकांड को करना और दक्षिणा लेना है, लेकिन वही काम अब सरकार और कई संस्थाएं भी कर रहीं हैं.

धार्मिक भावनाएं और आजीविका का सवाल

शंभु लाल बिट्ठल ने कहा कि अब तो यहां आने वाले बड़े-बड़े कथावाचक लोग भी कर रहे हैं, जबकि उनके अधिकार क्षेत्र यह नहीं आता है. अब इसको लोगों ने व्यापार और बिजनेस बना लिया है. यहां के विधायक डॉक्टर प्रेम कुमार को भी इस मामले में विधानसभा में बात रखनी चाहिए और विरोध करना चाहिए था, लेकिन उनका भी ध्यान नहीं रहता है. हम लोग तो सरकार से निवेदन करेंगे अगर नहीं मानेगी तो हम लोग रोएंगे और क्या कर सकते हैं.

क्या है ऑनलाइन पिंडदान योजना?

बिहार सरकार ने उन लोगों के लिए ई-पिंडदान योजना ऐसे लोगों के लिए शुरू की है जो स्वास्थ्य, दूरी या अन्य कारणों से गया नहीं आ सकते. इस योजना के तहत 23,000 रुपये में विष्णुपद मंदिर, अक्षयवट और फल्गु नदी पर पिंडदान कराया जाता है. इसमें वीडियो रिकॉर्डिंग भी दी जाती है. पिछले तीन साल से यह सेवा चल रही है, लेकिन इस बार गयापाल पंडा समाज ने इसका कड़ा विरोध शुरू कर दिया है. हालाकि, कुछ पंडित और तीर्थयात्री इस योजना का समर्थन कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह उन लोगों के लिए वरदान है जो विदेशों में रहते हैं या शारीरिक अक्षमता के कारण गया नहीं आ सकते. वहीं, बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम (BSTDC) का दावा है कि यह योजना पारदर्शी और सुविधाजनक है.

Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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Location :

Gaya,Gaya,Bihar

First Published :

August 27, 2025, 07:45 IST

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