गोपाल खेमका हत्याकांड को लेकर पटना पुलिस के दावों पर क्यों उठ रहे सवाल?

4 hours ago

Last Updated:July 09, 2025, 14:50 IST

Gopal Khamka Murder Case: मशहूर कारोबारी गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या ने न केवल बिहार में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए, बल्कि सियासी तूफान भी ला दिया. गांधी मैदान थाने से महज 400 मीटर दूर ट्विन टावर के पा...और पढ़ें

गोपाल खेमका हत्याकांड को लेकर पटना पुलिस के दावों पर क्यों उठ रहे सवाल?

पटना में गोपाल खेमका हत्याकांड के खुलासे के बावजूद कई अनसुलझे सवाल हैं.

हाइलाइट्स

पुलिस का दावा है कि अशोक साह ने उमेश यादव को सुपारी देकर गोपाल खेमका की हत्या कराई. शूटर उमेश यादव का का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना पुलिस की थ्योरी पर सवाल उठाता है. हथियार सप्लायर विकास उर्फ राजा की मुठभेड़ में मौत और पुलिस की जल्दबाजी पर उठे सवाल.

पटना. बिहार के बड़े व्यवसायी गोपाल खेमका की सनसनीखेज हत्या ने सियासी भूचाल ला दिया. पटना पुलिस ने सुपारी किलिंग की थ्योरी पेश कर शूटर उमेश यादव की गिरफ्तारी और विकास उर्फ राजा की मुठभेड़ का दावा किया, लेकिन पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने अपने तीखे ट्वीट्स से पुलिस की कहानी को “झूठ का प्लॉट” करार दिया. रात 2 बजे घटनास्थल पर पहुंचने वाले पप्पू यादव ने नीतीश सरकार पर भी निशाना साधा और पूछा-क्या यह “महा गुंडाराज” नहीं? उनके ट्वीट्स ने पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं. दरअसल, 4 जुलाई 2025 की रात 11:38 बजे, जब गोपाल खेमका अपनी मरून रंग की कार से बांकीपुर क्लब से लौटकर ट्विन टावर अपार्टमेंट के गेट पर उतरे एक हेलमेटधारी शूटर ने महज 6 सेकंड में उनकी सिर में गोली दाग दी. सीसीटीवी फुटेज में यह नृशंस दृश्य कैद हुआ जिसके बाद शूटर बाइक पर सवार होकर फरार हो गया. यह घटना 2018 में गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका की हाजीपुर में हत्या की याद दिलाती है, जिसका रहस्य आज तक अनसुलझा है. इस हत्याकांड ने बिहार की सियासत को गरमा दिया है.

हालांकि, पटना पुलिस ने त्वरित कार्रवाई का दावा करते हुए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया, जिसकी अगुआई सिटी एसपी दीक्षा ने की. 7 जुलाई को शूटर उमेश यादव को पटना सिटी से गिरफ्तार किया गया और अगले दिन मालसलामी थाना क्षेत्र में मुठभेड़ में हथियार सप्लायर विकास उर्फ राजा मारा गया. डीजीपी विनय कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि हत्या की साजिश अशोक साह ने रची थी जो खेमका के साथ प्रॉपर्टी और बांकीपुर क्लब से जुड़े विवाद में उलझे थे. इसके लिए उमेश यादव को 4 लाख रुपये की सुपारी दी गई जिसमें 50 हजार रुपये एडवांस थे. पुलिस ने बेऊर जेल से तीन मोबाइल, सिम कार्ड और संदिग्ध नंबरों की पर्ची बरामद की, जिससे साजिश के तार जेल तक जुड़े होने का दावा किया गया. लेकिन पुलिस की इस थ्योरी पर सवाल उठ रहे हैं.

पप्पू यादव ने पटना पुलिस की थ्योरी पर सवाल उठाए हैं.

पटना पुलिस की किलिंग की थ्योरी पर सवाल

पहला सवाल यह कि उमेश यादव का कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था तो आखिर उसने पहली बार पिस्टल उठाकर इतनी सटीकता से हत्या कैसे की? दूसरा यह कि विकास उर्फ राजा, जिसे हथियार सप्लायर बताया गया उसको मुठभेड़ में मारने की जल्दबाजी पर सवाल उठे. अगर विकास को 40 हजार रुपये की जरूरत थी तो उसके बेचे पिस्टल के पैसे कहां गए? तीसरा यह कि सीसीटीवी फुटेज से उमेश यादव की पहचान का दावा किया गया, लेकिन पुलिस ने गोपाल खेमका के घर के अलावा अन्य फुटेज क्यों सार्वजनिक नहीं किए? चौथा सवाल यह कि बेऊर जेल में छापेमारी से जेल के भीतर साजिश के तार सामने आए, लेकिन अजय वर्मा जैसे गैंगस्टर का नाम उछलने के बावजूद पुलिस ने इसकी गहराई से जांच क्यों नहीं की? सोशल मीडिया पर लोग पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं.

सोशल मीडिया में सवाल ही सवाल

बिहार के प्रतिष्ठित पत्रकार ज्ञानेंद्र ने X पर लिखा कि यह “ऑर्गेनाइज्ड क्राइम” है और पुलिस का रिस्पांस सिस्टम “तमाशा” है. वहीं, एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार ने सवाल किया कि क्या व्यापारियों को साजिशन निशाना बनाया जा रहा है? बिहार डीजीपी के दावों पर संदेह इसलिए भी गहरा रहा है, क्योंकि गोपाल खेमका की सुरक्षा 2018 में उनके बेटे की हत्या के बाद दी गई थी, लेकिन अप्रैल 2024 में हटा ली गई. डीजीपी का कहना है कि गोपाल खेमका ने खुद सुरक्षा वापस की थी, लेकिन परिजनों ने इस पर सवाल उठाए कि थाने से 400 मीटर दूर ऐसी वारदात कैसे हो सकती है? सियासी मोर्चे पर यह हत्याकांड नीतीश सरकार के लिए मुसीबत बन गया है.

बिहार के बड़े बिजनेसमैन गोपाल खेमका की हत्या से पटना के व्यवसायियों में दहशत.

क्या आपराधिक-राजनीतिक गठजोड़ है?

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने दावा किया कि “अपराधियों को घर में घुसकर मारा जाएगा,” लेकिन विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने इसे “जंगलराज की वापसी” करार दिया. केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी घटना को निंदनीय बताया. गोपाल खेमका की सामाजिक और व्यापारिक हैसियत उनके मगध अस्पताल के मालिक होने और बीजेपी से जुड़ाव ने इस मामले को और संवेदनशील मुद्दा बना दिया. पुलिस की जांच में जमीन विवाद और कारोबारी रंजिश को मुख्य वजह बताया गया, लेकिन कई सवाल के जवाब आने हैं. अशोक साह, जो पहले मनोज कामलिया हत्याकांड में भी नामजद था, उसका आपराधिक इतिहास और बेऊर जेल से साजिश के तार इस मामले को गहरी सियासी और माफिया साठगांठ की ओर इशारा करते हैं. क्या यह सिर्फ प्रॉपर्टी विवाद था या इसके पीछे बड़ा आपराधिक नेटवर्क काम कर रहा है?

क्या सबूत मिटाने की कोशिश थी?

बहरहाल, गोपाल खेमका हत्याकांड ने बिहार की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. पुलिस की त्वरित कार्रवाई के दावे और सुपारी किलिंग की थ्योरी पर सवालों का साया है. बेऊर जेल से साजिश के तार और विकास की मुठभेड़ ने पुलिस की विश्वसनीयता को कठघरे में ला खड़ा किया है. यह हत्याकांड न केवल नीतीश सरकार के लिए चुनौती है, बल्कि बिहार में संगठित अपराध की गहरी जड़ों को भी उजागर करता है.

Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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