Last Updated:July 09, 2025, 13:47 IST
केरल की रहने वाली 37 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में फांसी की सजा सुनाई गई है. ऐसे में सवाल यह है कि भारत की इस बेटी ने यमन में ऐसा क्या किया जिसके चलते उसे फांसी की सज़ा सुना दी गई? और क्या अब भी कोई रास्...और पढ़ें

केरल की रहने वाली 37 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में फांसी की सजा सुनाई गई है.
केरल की रहने वाली 37 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया यमन की राजधानी सना में मौत की सजा का सामना कर रही हैं. खबर है कि एक महीने के अंदर फांसी हो सकती है, जिससे परिवार सदमे में है और उसे बचाने के लिए की कोशिश कर रहा है. निमिषा की 57 वर्षीय मां प्रेमा कुमारी उसकी सजा माफ करवाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं. इस साल की शुरुआत में वह यमन की राजधानी सना भी गई थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
अब निमिषा का परिवार भारत सरकार से उसे किसी तरह बचाने की गुहार लगा रहा है. यह मामला न केवल कानूनी उलझनों से भरा है, बल्कि कूटनीतिक रिश्तों की जटिलता ने भी भारत सरकार के प्रयासों को मुश्किल बना दिया है.
ऐसे में सवाल यह है कि भारत की इस बेटी ने यमन में ऐसा क्या किया जिसके चलते उसे फांसी की सज़ा सुना दी गई? और क्या अब भी कोई रास्ता बचा है, जिससे उसकी जान बचाई जा सके? चलिये जानते हैं पूरा मामला…
दर्द भरी है निमिषा की दास्तां
निमिषा प्रिया 2008 में यमन गई थीं, जहां उन्होंने एक नर्स के रूप में काम शुरू किया. 2011 में उन्होंने एक भारतीय नागरिक से शादी की और एक बेटी हुई. लेकिन 2014 में आर्थिक परेशानियों के चलते पति और बेटी को भारत लौटना पड़ा, जबकि निमिषा वहीं रुक गईं और अपना खुद का क्लिनिक खोलने की कोशिश करने लगीं.
चूंकि यमन के कानून के अनुसार विदेशी महिलाएं अकेले कारोबार नहीं चला सकतीं, उन्होंने एक स्थानीय व्यापारी तलाल अब्दो महदी के साथ साझेदारी की. यहीं से उनकी परेशानियों की शुरुआत हुई. निमिषा का आरोप है कि महदी ने कागज़ी तौर पर खुद को उसका पति घोषित कर दिया, और फिर शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न करने लगा.
महदी ने न केवल उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया, बल्कि उनकी कमाई पर भी अधिकार जताने लगा. निमिषा का यह भी आरोप है कि वह नशे का इस्तेमाल कर उन्हें नियंत्रण में रखता था. इसी पीड़ा से निकलने के लिए उन्होंने एक स्थानीय जेल अधिकारी की मदद से तलाल को नींद की दवा देकर बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन यह ओवरडोज़ बन गई और महदी की मौत हो गई.
यमन की अदालत ने इस मामले को हत्या करार देते हुए निमिषा को मौत की सज़ा सुनाई. 2023 में हूती विद्रोहियों की शीर्ष न्यायिक संस्था ने भी यह सज़ा बरकरार रखी.
बचाने की राह में कहा रोड़ा?
भारत सरकार की इस मामले में सबसे बड़ी चुनौती है कि भारत और हूती विद्रोहियों के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं. भारत की आधिकारिक बातचीत यमन के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद से होती है, जबकि सना जैसे कई हिस्सों पर हूती नियंत्रण में हैं.
फिर भी भारत सरकार ने संसद में कहा था कि निमिषा प्रिया के परिवार को हर संभव मदद दी जा रही है. सूत्रों के अनुसार, भारत पर्दे के पीछे लगातार बातचीत कर रहा है और इस मामले पर बारीकी से नजर रखी जा रही है.
ब्लड मनी का रास्ता?
यमन के कानून में ‘खून-बख्शी’ या ब्लड मनी का विकल्प मौजूद है. इसका मतलब यह होता है कि मृतक के परिवार को आर्थिक मुआवज़ा देकर आरोपी को फांसी से बचाया जा सकता है. निमिषा की मां प्रेमकुमारी पिछले साल स्थानीय संपर्कों के ज़रिए यमन पहुंचीं और इस विकल्प को आज़माने की कोशिश की.
उधर एक मानवाधिकार समूह ने उसे बचाने के लिए ब्लड मनी की फंडिंग में भी जुटा हुआ है. उसने बताया कि उन्होंने 10 लाख डॉलर (करीब 8.5 करोड़ रुपये) की पेशकश की है, लेकिन मृतक के परिवार ने अब तक जवाब नहीं दिया है कि वे कितनी रकम चाहते हैं.
मानवाधिकार कार्यकर्ता सैमुएल जेरोम बास्करन यमन में इस परिवार और अधिकारियों से संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि जेल प्रशासन को फांसी की प्रक्रिया शुरू करने का पत्र मिल चुका है, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है.
क्या कोई उम्मीद बाकी है?
निमिषा प्रिया की कहानी केवल एक अपराध की नहीं, एक महिला की पीड़ा, संघर्ष और आत्मरक्षा की कोशिशों की भी कहानी है. सवाल यह उठता है कि क्या उसकी नियत हत्या की थी, या वह एक सताई हुई महिला द्वारा अपनी आज़ादी पाने की आखिरी कोशिश थी?
भारत की जनता, मानवाधिकार कार्यकर्ता और निमिषा का परिवार अब अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं और भारत सरकार से आखिरी कोशिश की उम्मीद लगाए बैठे हैं. अभी भी ब्लड मनी के जरिए समझौते की उम्मीद बाकी है, लेकिन समय तेजी से निकलता जा रहा है.
निमिषा प्रिया के पास शायद कानूनन ज्यादा रास्ते न बचे हों, लेकिन इंसानियत और कूटनीति अब भी उसकी आखिरी उम्मीद हैं.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi