Last Updated:May 15, 2025, 23:32 IST
Chandrayaan-5 Mission News: चंद्रयान-5 मिशन में भारत के साथ-साथ जापान की भी अहम भूमिका होगी. लॉन्च वीइकल जापान का होगा और लैंडर इसरो का, उसके भीतर जापानी रोवर रहेगा.

भारत और जापान का साझा होगा चंद्रयान-5 मिशन. (Concept Pic with AI)
हाइलाइट्स
भारत और जापान मिलकर चंद्रयान-5 मिशन करेंगे.मिशन में जापान का लॉन्च व्हीकल और इसरो का लैंडर होगा.चंद्रयान-5 का मुख्य उद्देश्य चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अध्ययन करना है.बेंगलुरु: भारत और जापान मिलकर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखने की तैयारी कर रहे हैं. इसरो (ISRO) और जापान की स्पेस एजेंसी जैक्सा (JAXA) के बीच चंद्रयान-5/लुपेक्स (LUPEX) मिशन को लेकर 13-14 मई को बेंगलुरु में तीसरी तकनीकी बैठक (TIM-3) हुई. इसमें मिशन की तमाम तकनीकी बारीकियों, लॉन्च योजना और रोवर-लैंडर इंटरफेस पर चर्चा की गई. इसरो ने गुरुवार को इस अहम बैठक की जानकारी साझा की. बैठक में ISRO, JAXA और जापान की मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज़ (MHI) के सीनियर अधिकारी, टेक्निकल टीम और प्रोजेक्ट लीडर्स शामिल हुए. मिशन में जापान का H3-24L लॉन्च व्हीकल इस्तेमाल किया जाएगा, जो इसरो द्वारा बनाए गए लैंडर को लेकर चांद तक जाएगा. इस लैंडर में मित्सुबिशी द्वारा बनाया गया जापानी रोवर सवार होगा, जो चांद की सतह पर सटीक अध्ययन करेगा.
चंद्रयान-5, भारत के अब तक के सबसे जटिल और महत्वाकांक्षी मून मिशन के तौर पर देखा जा रहा है. यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अभियान को नए मुकाम तक ले जाएगा.
क्या है चंद्रयान-5 मिशन का टारगेट?
इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-5 का मुख्य उद्देश्य चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में स्थित ‘पर्मानेंटली शैडोड रीजन’ (PSR) में मौजूद वाष्पशील (volatile) तत्वों, विशेषकर जल-बर्फ की खोज और एनालिसिस है. यह इलाका अब तक वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है और भविष्य के मून बेस के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है. मिशन में वैज्ञानिक उपकरण इसरो, JAXA, NASA, ESA यानी यूरोपियन स्पेस एजेंसी द्वारा दिए जाएंगे. सभी उपकरणों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वे चंद्र सतह पर मौजूद वोलाटाइल्स की इन-साइट स्टडी कर सकें.
ISRO के साइंटिफिक सेक्रेटरी एम गणेश पिल्लई ने दोनों टीमों को अब तक की तकनीकी प्रगति के लिए बधाई दी और कहा कि यह सहयोगात्मक प्रयास न केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए अहम होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय साझेदारी का भी उदाहरण बनेगा. इसरो साइंस प्रोग्राम ऑफिस के डायरेक्टर तिर्थ प्रतिम दास ने बताया कि अब तक लैंडिंग साइट का चयन, पेलोड ऑप्टिमाइजेशन, मिशन डिजाइन, ग्राउंड सेगमेंट और कम्युनिकेशन से जुड़े बड़े माइलस्टोन हासिल किए जा चुके हैं.
ISRO ने लॉन्च किया एक और सैटेलाइट
जहां एक ओर चंद्रयान-5 भविष्य की बड़ी छलांग है, वहीं इसरो ने हाल ही में NVS-02 नेविगेशन सैटेलाइट को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर एक और मील का पत्थर हासिल किया है. यह सैटेलाइट भारत के ‘नाविक’ सिस्टम को मजबूती देगा, जो अमेरिका के GPS, चीन के BeiDou और यूरोप के Galileo जैसी वैश्विक नेविगेशन प्रणालियों के बराबर है. ISRO की यह 100वीं लॉन्च थी, जो श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से GSLV-F15 रॉकेट के जरिए की गई.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...
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