Last Updated:August 25, 2025, 14:35 IST
Bihar Chunav Chirag Paswan:बिहार चुनाव में एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी जेडीयू और एलजेपी (आरवी) के पेच फंसा हुआ है. चिराग पासवान 40 सीटें मांग रहे हैं, लेकिन उन्हें इतनी ज्यादा सीटें मिलने की संभावना बि...और पढ़ें

बिहार विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बचे हैं और एनडीए के भीतर सीट बंटवारे पर बातचीत अंतिम दौर में पहुंच चुकी है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (यूनाइटेड) के बीच तकरीबन सहमति बन चुकी है कि दोनों दल 100 से 105 सीटों के बीच चुनाव लड़ेंगे. लेकिन सबसे बड़ा पेंच चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) यानी एलजेपी (आरवी) की 40 सीटों की मांग को लेकर है. सवाल यह है कि क्या यह डिमांड पूरी होगी? राजनीतिक समीकरण और पिछली चुनावी परफॉर्मेंस बताती है कि एलजेपी (आरवी) को 25 सीटों से ज़्यादा मिलना मुश्किल है.
एलजेपी (आरवी) ने पिछले लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया और सभी 5 सीटें जीतीं. इसके साथ ही पार्टी का वोट शेयर 6% से ज़्यादा रहा और 30 विधानसभा क्षेत्रों में से 29 में बढ़त बनाई. इसी प्रदर्शन के आधार पर चिराग 40 सीटों की डिमांड कर रहे हैं. लेकिन विधानसभा और लोकसभा की राजनीति में ज़मीन-आसमान का फर्क है.
चिराग की मुराद में कहां रोड़ा?
2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग की पार्टी ने 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ एक मतिहानी सीट जीत पाई थी. उनका वोट शेयर 5.66% जरूर रहा, लेकिन नुकसान ज्यादा हुआ. 64 सीटों पर एलजेपी तीसरे या चौथे स्थान पर रही, लेकिन वहां उसके वोट इतने थे कि नतीजों का गणित बदल गया. इनमें 27 सीटें ऐसी थीं, जहां सीधे तौर पर जेडीयू को नुकसान हुआ और एलजेपी के कारण वह हार गई. यही वजह है कि एनडीए के अंदर उसकी डिमांड को लेकर शंका है.
बीजेपी-जेडीयू का संतुलन
2020 में बीजेपी ने 110 और जेडीयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था. नतीजों में बीजेपी 74 सीटें जीतकर बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि जेडीयू सिर्फ 43 सीटों पर सिमट गई. इसके बावजूद इस बार नीतीश कुमार की पार्टी 100 से कम सीटों पर उतरने को तैयार नहीं है, क्योंकि चुनाव नीतीश के चेहरे पर लड़ा जाना है. ऐसे में बीजेपी और जेडीयू दोनों का फोकस है कि छोटे दलों को ज़रूरत से ज़्यादा सीटें न देकर संतुलन बनाए रखा जाए.
कैसे तय होगी सीटें?
एलजेपी (आरवी) के पास 5 लोकसभा सांसद हैं और यही उसका सबसे बड़ा तर्क है. बीजेपी और जेडीयू भी मानते हैं कि इस प्रदर्शन को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. लेकिन विधानसभा चुनाव में ग्राउंड स्ट्रेंथ और कार्यकर्ताओं की पकड़ मायने रखती है. इसलिए 40 सीटों की मांग अव्यावहारिक मानी जा रही है. एनडीए रणनीतिकारों का मानना है कि पार्टी को 20–25 सीटों के बीच एडजस्ट करना ही सही होगा.
चिराग पासवान की एलजेपी (आरवी) अपने प्रदर्शन और राजनीतिक महत्वाकांक्षा के दम पर 40 सीटों की डिमांड भले ही कर रही हो, लेकिन एनडीए का ‘आंकड़ों का खेल’ साफ कह रहा है कि पार्टी 25 सीटों के आसपास ही सिमट जाएगी. एनडीए के लिए यह सीट बंटवारा सिर्फ़ संख्या का नहीं बल्कि तालमेल और संतुलन का भी सवाल है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
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First Published :
August 25, 2025, 14:30 IST