चीन युद्ध: नेहरू ने शहीदों का नाम नहीं लिया, PM मोदी गालवान पर जवानों के साथ

3 days ago

Last Updated:August 17, 2025, 10:25 IST

Independence Day Speech: स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री हर साल देश के नाम अपना संबोधन देते हैं. इससे उस सरकार की नीति के साथ ही इरादे का भी पता चलता है. चीन के आक्रामक रवैये पर पूर्व प्रधानमंत्...और पढ़ें

 नेहरू ने शहीदों का नाम नहीं लिया, PM मोदी गालवान पर जवानों के साथजवाहरलाल नेहरू ने चीन युद्ध के बाद दिए भाषण में जवानों की शहादत का जिक्र करने तक से परहेज किया था, ज‍बकि पीएम मोदी ने गालवान घटना के बाद जवानों के साहस और शौर्य को सैल्‍यूट किया था. (फोटो: पीटीआई)

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए प्रधानमंत्रियों के भाषण अक्सर उस समय की राजनीतिक, सुरक्षा और सामरिक परिस्थितियों को प्रतिबिंबित करते हैं. 1962 और 1963 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और साल 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों की तुलना से साफ होता है कि सीमा विवाद और चीन से जुड़ी चुनौतियों पर दोनों नेताओं की सोच और दृष्टिकोण में गहरा अंतर रहा है.

साल 1962 में चीन के साथ युद्ध ने भारत को गहरी चोट दी थाी. उससे ठीक पहले अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में नेहरू ने कहा था, ‘हम सब देशों से मित्रता रखते हैं और आगे भी रखते रहेंगे. लेकिन, दुर्भाग्य है कि हमारे सीमावर्ती भाई कभी-कभी युद्ध की बातें करते हैं. हमें घबराना नहीं है, बल्कि सजग और तैयार रहना है.’ यह बयान उस समय आया जब सीमा पर तनाव बढ़ रहा था, मगर प्रधानमंत्री की भाषा में एक तरह की निष्क्रियता और संतुलन साधने की कोशिश दिखी. युद्ध के अगले वर्ष यानी 1963 में उन्होंने कहा था, ‘अचानक हमारी सीमाओं पर उस देश ने आक्रमण कर दिया, जिसे हम मित्र समझते थे. इससे हमें कठिनाइयां हुईं, लेकिन इसका सकारात्मक पक्ष यह रहा कि हम आत्मसंतोष से बाहर निकले और त्याग व तैयारियों का माहौल बना.’

नेरू की टिप्‍पणी और रिएक्‍शन

नेहरू की इस टिप्पणी को लेकर अक्सर आलोचना होती है कि उन्होंने युद्ध के विनाशकारी परिणामों को भी सकारात्मक बताने की कोशिश की. सबसे बड़ी बात यह कि 1963 के स्वतंत्रता दिवस संबोधन में उन्होंने भारतीय सैनिकों की शहादत या उनके साहस का उल्लेख तक नहीं किया. इतिहासकारों और रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि नेहरू की कई नीतिगत गलतियां 1962 की हार के लिए जिम्मेदार थीं. उन्होंने अपनी बहन विजयलक्ष्मी पंडित को चीन और सोवियत संघ में राजदूत नियुक्त कर कूटनीतिक रिश्तों को निजी दायरे में सीमित किया. रक्षा मंत्रालय में वीके कृष्ण मेनन जैसे विवादित और कथित रूप से कम्युनिस्ट-समर्थक नेता को तैनात रखा गया. नेहरू ने जनरल बीएम कौल को व्यक्तिगत नजदीकी के कारण युद्ध के लिए कमांड दिया, जिसकी अक्षमता युद्ध के दौरान उजागर हुई. सेना की आधुनिकीकरण की जरूरतों की भी अनदेखी की गई, जिससे सैनिकों के पास बुनियादी संसाधन और उपकरण तक नहीं थे.

गोवा की मुक्ति पर नेहरू की स्‍ट्रैटजी

नेहरू की रणनीतिक असफलता सिर्फ चीन तक सीमित नहीं रही. गोवा मुक्ति के सवाल पर भी उन्होंने वर्षों तक सेना के इस्‍तेमाल से परहेज किया और कहा कि समस्या राजनीतिक तरीकों से ही हल होगी. वहीं, संसद में अक्साई चिन पर चीनी कब्जे को लेकर उनका बयान (वहां तो घास का एक तिनका तक नहीं उगता) उनकी उदासीनता का प्रतीक बन गया. युद्ध के दौरान जब चीनी सेना असम की ओर बढ़ रही थी, तब उनका बयान (मेरा दिल असम के लोगों के साथ है) जनता में असुरक्षा की भावना बढ़ाने वाला साबित हुआ.

पीएम मोदी का भाषण और सैनिकों को श्रद्धांजलि

इसके विपरीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2020 में अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में लद्दाख में गलवान घाटी की झड़प में शहीद हुए जवानों का विशेष उल्लेख किया. उन्होंने कहा, ‘देश अपने साहसी जवानों पर गर्व करता है. दुनिया ने देखा है कि लद्दाख में हमारे वीर सैनिक क्या कर सकते हैं और भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए क्या कर सकता है.’ मोदी ने अपने भाषण में सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्र की सामूहिक प्रतिबद्धता और जोश को रेखांकित किया. यह स्पष्ट करता है कि उनकी प्राथमिकता राष्ट्रीय सुरक्षा और बलिदान की पहचान को सम्मान देना है. इसके साथ ही मोदी सरकार ने सीमा क्षेत्रों में सड़क, पुल और हवाई पट्टियों जैसे बुनियादी ढांचे के विकास को तेज गति से आगे बढ़ाया, जिससे भारतीय सेना की तैनाती और प्रतिक्रिया क्षमता मजबूत हुई.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...

और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 17, 2025, 10:25 IST

homenation

चीन युद्ध: नेहरू ने शहीदों का नाम नहीं लिया, PM मोदी गालवान पर जवानों के साथ

Read Full Article at Source