चुप्पी, दबंगई और मतभेद...पराए छोड़िए, टैरिफ पर अब तो अपने भी ट्रंप को सुना रहे

3 hours ago

Last Updated:August 22, 2025, 05:48 IST

India-US Relation: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ वॉर में अब खुद घिरते जा रहे हैं. अमेरिका से ही विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं. अब अमेरिकी ही डोनाल्ड ट्रंप को भारत पर टैरिफ लगाने के फैसले पर सुना रहे...और पढ़ें

चुप्पी, दबंगई और मतभेद...पराए छोड़िए, टैरिफ पर अब तो अपने भी ट्रंप को सुना रहेडोनाल्ड ट्रंप टैरिफ वॉर में अब घिरते जा रहे हैं.

India-US Relation: अमेरिका और भारत के रिश्ते तल्ख हो चुके हैं. डोनाल्ड ट्रंप कै टैरिफ वाली सनक ने भारत-अमेरिका रिश्तों की लंका लगा दी है. अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी टैक्स लगाया है. 25 फीसदी टैक्स लागू है. बाकी 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैक्स 27 अगस्त से लागू होगा. मगर उससे पहले ही अमेरिका को चेतावनी मिलने लगी है. पराए तो पराए, अब तो उसके अपने भी ऐसा न करने की चेतावनी दे रहे हैं. भारत पर टैरिफ लगाए जाने का चीन ने पुरजोर तरीके से विरोध किया है. चीन ने तो यहां तक कह दिया कि चुप्पी केवल दबंगई को बल देती है. चीन का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब खुद निक्की हेली ने डोनाल्ड ट्रंप को अच्छे से सुनाया है.

दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ को लेकर अब अपने घर से लेकर बाहर तक घिर चुके हैं. यूएन में अमेरिका की कभी राजदूत रह चुकीं निक्की हेली ने तो साफ-साफ कहा है कि अगर भारत और अमेरिका के बीच कारोबारी विवाद बढ़ा तो यह मतभेद में बदल जाएगा. और अगर ऐसा हुआ तो यह बहुत बड़ी गलती होगी. यानी वह डोनाल्ड ट्रंप को समझा रही हैं कि अमेरिका ने जो टैरिफ पर कदम उठाया है वह गलत है. ऐसा करने से अमेरिका को भी नुकसान हो सकता है. निक्की हेली के बाद अब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भी भारत के साथ संबंधों को लेकर वाशिंगटन के रवैये की आलोचना की है.

निक्की हेली ने ट्रंप को क्या चेताया

पहले निक्की हेली की ट्रंप को चेतावनी जान लेते हैं. UN में पूर्व अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने भारत अमेरिका संबंध को मजबूत करने की वकालत की. उन्होंने कहा कि चीन को काउंटर करने के लिए अमेरिका के लिए भारत बहुत जरूरी है. चीन को काउंटर करने के लिए अमेरिका और भारत के संबंध का पुनर्निमाण हो. अमेरिका और भारत के बीच चीन का मुकाबला करने के लिए साझेदारी होना बिल्कुल स्वाभाविक है. भारत और चीन असहज पड़ोसी हैं, जिनके बीच आर्थिक हितों का टकराव और लगातार सीमा विवाद मौजूद हैं. अमेरिका के हित में यही होगा कि वह भारत को अपने उत्तरी पड़ोसी की बढ़ती आक्रामकता का सामना करने में आर्थिक और सैन्य दोनों रूपों में मदद करे. अगर अमेरिका और भारत के बीच व्यापार विवाद बढ़कर लंबे समय तक चलने वाले मतभेद में बदल गया तो यह एक बड़ी और टाली जा सकने वाली गलती होगी.

अमेरिका के पूर्व एनएसए बाल्टन ने क्या कहा?

पूर्व एनएसए जॉन बोल्टन ने भारत पर अमेरिकी टैरिफ की आलोचना की और ट्रंप को ‘असामान्य राष्ट्रपति’ बताया. उन्होंने इसकी नीति को भ्रमित बताया है और नई दिल्ली पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ पर सवाल उठाए हैं. हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में जॉन बोल्टन ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध इस समय बहुत खराब स्थिति में हैं और उन्होंने चेतावनी दी है कि नई दिल्ली के मास्को और बीजिंग के करीब जाने का खतरा है. उन्होंने ट्रंप के टैरिफ वाले फैसले को असामान्य ट्रंप राष्ट्रपतित्व का हिस्सा बताया और तर्क दिया कि व्हाइट हाउस ने व्यापार और ऊर्जा प्रतिबंधों पर असंगत रुख अपनाया है.

भारत का साथ देकर चीन ने कैसे अमेरिका को घेरा

भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने का चीन ने भी विरोध किया है. भारत में चीनी राजदूत शू फेइहोंग ने कहा कि अमेरिका ने भारत पर 50% तक के शुल्क लगाए. चीन ने इसका विरोध दृढ़ता से किया है. उन्होंने साफ-साफ कहा कि चुप्पी केवल दबंग को और बढ़ावा देती है. चीन भारत के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा. उन्होंने आगे कहा कि भारत-चीन संबंध एशिया के लिए फायदेमंद हैं. हम एशिया की आर्थिक वृद्धि के दोहरे इंजन हैं. बता दें कि भारत ने भी अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ को अनुचित और तर्कहीन बताया है और इसका विरोध किया है.

क्या टैरिफ वाली लाइन बदलेंगे ट्रंप?

अब सवाल है कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन चेतावनियों पर ध्यान देंगे? क्या वह टैरिफ वाली लाइन से पीछे हटेंगे. खुद अमेरिकियों को भी डर सता रहा है कि भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने से उनका भी अच्छा खासा नुकसान होने वाला है. भारत ने तो पहले ही कह दिया है कि हम अमेरिका की शर्तों को मानने वाले नहीं हैं. दरअसल, अमेरिका भारत के कृषि और डेयरी सेक्टर में सीधी पहुंच चाहता है. भारत यही नहीं चाहता. इसलिए अमेरिका खार खाए बैठा है. पीएम मोदी ने तो साफ-साफ कह दिया था कि चाहे जो कीमत चुकानी पड़े, भारत अपने किसानों के हितों से समझौता नहीं करेगा.

Shankar Pandit

Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें

Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...

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First Published :

August 22, 2025, 05:48 IST

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