Last Updated:November 01, 2025, 15:36 IST
Bihar Chunav Cheriyabariarpur Assembly Seat : यूं तो बेगूसराय जिले में सात विधानसभा सीटें हैं. लेकिन चेरियाबरियारपुर विधानसभा सीट उस वक्त चर्चा में आ गई जब महागठबंधन ने राजद के टिकट से पूर्व मुख्यमंत्री सतीश कुमार सिंह के पुत्र सुशील कुमार को चुनावी मैदान में उतार दिया. खास बात यह है कि इसी सीट से जदयू उम्मीदवार के रूप में पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के पुत्र अभिषेक आनंद भी मैदान में हैं.
चेरियाबरियारपुर में दो मंत्री पुत्रों की सियासी जंग. सुशील कुशवाहा और अभिषेक आनंद की सीधी टक्कर. बेगूसराय. बिहार के बेगूसराय जिले की चेरियाबरियारपुर विधानसभा सीट इस बार खास सुर्खियों में है. वजह-यहां मुकाबला दो राजनीतिक घरानों के वारिसों के बीच है. महागठबंधन ने राजद के टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह के पुत्र सुशील कुमार को मैदान में उतारा है तो एनडीए की ओर से जदयू उम्मीदवार के रूप में पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के पुत्र अभिषेक आनंद ताल ठोक रहे हैं. दो मंत्री पुत्रों के बीच यह सियासी जंग बेगूसराय के मतदाताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. मंजू वर्मा और उनके पति पर न्यायिक मुकदमे की गूंज ने इस चुनाव को और रोचक बना दिया है और माना जा रहा है कि इसका प्रभाव मतदाताओं के मन मिजाज पर भी पड़ सकता है.
बिहार की सियासत में दिलचस्प मुकाबला
बेगूसराय का चेरियाबरियारपुर विधानसभा क्षेत्र इस बार चर्चा के केंद्र में है क्योंकि, महागठबंधन ने यहां से पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह के बेटे सुशील कुमार को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. वहीं, एनडीए की ओर से जदयू ने पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के पुत्र अभिषेक आनंद पर भरोसा जताया है. बता दें कि हाल के दिनों में मंजू वर्मा और उनके पति चंद्रशेखर वर्मा पर न्यायिक मुकदमे का फैसला आने वाला था, लेकिन किसी वजह से उसे टाल दिया गया. आरोप सिद्ध होने के बाद मंजू वर्मा को जनता की नाराजगी भी झेलनी पड़ी थी. कयास लगाए जा रहे हैं कि इसका लाभ राजद प्रत्याशी सुशील कुमार को मिल सकता है. बता दें कि बिहार में पांच दिनों के लिए मुख्यमंत्री रहे सतीश प्रसाद सिंह का नाम आज की पीढ़ी के लिए भले ही इतिहास का एक पन्ना भर हो, लेकिन बिहार की सामाजिक न्याय की यात्रा में उनका स्थान बेहद अहम रहा है.
सुशील कुशवाहा ने थामी पिता की विरासत
सतीश प्रसाद सिंह ने सिर्फ पांच दिनों के कार्यकाल में सत्ता के दरवाजे पर पिछड़ों के लिए पहली दस्तक दी थी. सतीश प्रसाद सिंह को पिछड़ों का मसीहा कहा गया जिन्होंने दलित और वंचित समाज को राजनीति में भागीदारी का रास्ता दिखाया. बता दें कि 28 जनवरी 1968 को बिहार के राजभवन में वह ऐतिहासिक क्षण आया था जब एक गरीब परिवार में जन्मे सतीश प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. वे सिर्फ पांच दिनों के लिए- 28 जनवरी से 1 फरवरी 1968 तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन इन पांच दिनों ने बिहार की राजनीति की दिशा बदल दी थी. अब उनके पुत्र सुशील कुशवाहा अब पिता के सपनों को मंजिल तक पहुंचाने की कोशिश में हैं. इस बार उन्हें राजद ने चेरियाबरियारपुर से उम्मीदवार बनाया है.
राजनीति में फिर गूंजा सतीश प्रसाद सिंह का नाम
बता दें कि यह सीट पहले से ही राजद की रही है, जिस पर इस बार मौजूदा विधायक का टिकट काटकर पार्टी ने सुशील को मैदान में उतारा है. उम्मीदवार घोषित होने के बाद से ही सुशील कुशवाहा लगातार जनसंपर्क में जुटे हुए हैं और उन्हें अपनी जीत को लेकर भरोसा है. सुशील कुशवाहा ने बताया कि चेरियाबरियारपुर में बेरोजगारी, डिग्री कॉलेज और कॉरिडोर जैसे मुद्दे प्रमुख हैं, जिन पर वे काम कर रहे हैं. विपक्ष द्वारा बाहरी होने के आरोप पर उन्होंने कहा कि विरोधियों का यही आरोप अब उनके लिए लाभदायक साबित हो रहा है, क्योंकि इसी बहाने जनता ने उन्हें और करीब से अपनाया है.
नई उम्मीद बनना चाहते हैं सुशील कुशवाहा
अपनी जीत को लेकर आत्मविश्वास जताते हुए उन्होंने कहा कि वे युवाओं के लिए काम करना चाहते हैं- डिग्री कॉलेज, खेल मैदान और तकनीकी संस्थानों की स्थापना उनका लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि जनता का स्नेह और आशीर्वाद उनके लिए सबसे बड़ी पूंजी है. एनडीए प्रत्याशी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि जनता ने उन्हें पहले ही खारिज कर दिया है, लेकिन वे फिर कोशिश कर रहे हैं. उनके ऊपर लगे आरोपों से जनता आहत है. जनता का मूड बदल चुका है और अब वे बदलाव चाहती है. राजनीतिक सफर के बारे में उन्होंने कहा कि उनके पिता समाजवादी सोच के थे. वे मानते थे कि मेहनत और जनता का विश्वास ही असली पूंजी है.
पिता की सोच को आगे बढ़ाऊंगा-सुशील कुशवाहा
सुशील कुशवाहा ने बताया कि टिकट के लिए उन्होंने किसी से सिफारिश नहीं की, बल्कि जनसेवा के बल पर मैदान में हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार के लिए बहुत काम किया और जनता ने उन्हें भरपूर मौका दिया. अब जनता तेजस्वी यादव में नई उम्मीद देख रही है-नई नीति, नई नीयत और नए नेतृत्व के साथ. सुशील कुशवाहा ने कहा कि उनके पिता हमेशा ‘हैव’ और ‘हैव नॉट्स’ के बीच की दूरी घटाने की सोच रखते थे. वे गरीबों की बात सुनने और उनके लिए काम करने पर जोर देते थे.
जनता तय करेगी किसे दे आशीर्वाद
सुशील कुशवाहा ने कहा कि एमपी या एमएलए बनना मायने नहीं रखता, मायने रखता है कि आप जनता के लिए क्या काम करते हैं. कुल मिलाकर, सुशील कुशवाहा अपने पिता की सोच और विरासत को आगे बढ़ाने के लिए राजनीति में उतरे हैं. दोनों के बीच सीधा मुकाबला है और जनता बारीकी से देख रही है कि पुराने चेहरों की विरासत किसे नई मंजिल तक पहुंचाती है. फिलहाल इन दो मंत्री पुत्रों के बीच चुनावी नतीजा क्या रहेगा इस पर जनता की खास नजर है. अब देखना यह है कि जनता उनके विचारों को कितना स्वीकार करती है और क्या वे जीत का सेहरा पहन पाते है- इसका फैसला 14 नवंबर को होगा.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
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Location :
Begusarai,Begusarai,Bihar
First Published :
November 01, 2025, 15:36 IST

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