जर्मनी की राजनीति में बड़ी हलचल, विश्वयुद्ध के बाद पहली बार दक्षिणपंथियों का जलवा

1 month ago

Germany Elections: जर्मनी में रविवार 23 फरवरी 2025 को हुए संसदीय चुनाव में कंजरवेटिव गठंबधन को सबसे ज्यादा वोट मिले हैं. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ( SPD) को हार का सामना करना पड़ा है. उन्होंने विपक्षी कंजर्वेटिव नेता फ्रेडरिक मर्ज को जीत की बधाई दी है. बता दें कि जर्मनी के चुनाव में विपक्षी रूढ़िवादी गठबंधन क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन ( CDU) और क्रिश्चमियन सोशल यूनियन  ( CSU) को 28.5 प्रतिशत वोट मिले है. इससे वह सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. वहीं दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी ( AfD) को 20 फीसदी वोट मिले हैं. द्वितिय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में पहली बार राष्ट्रीय चुनाव में किसी दक्षिणपंथी पार्टी ने मजबूद प्रदर्शन किया है. 

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जर्मनी में बढ़ रही दक्षिणपंथी विचारधारा? 
बता दें कि जर्मनी में दक्षिणपंथी और कट्टर राष्ट्रवादी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी ( AfD) की भूमिका और बेहतर पदर्शन से कई पार्टियां नाखुश नजर आईं. कई मुख्यधारा की पार्टियां AfD के साथ गठबंधन करने के लिए राजी नहीं है. बता दें कि जर्मनी का इतिहास दक्षिणपंथी राजनीति से भी प्रभावित रहा है. द्वितिय विश्व युद्ध के बाद पहली बार इस विचारधारा को तेजी से उभरते हुए देखा जा रहा है. पिछले चुनाव में यह पार्टी सातवें स्थान पर थी, जो इस बार सीधे दूसरे नंबर पर पहुंची है. चुनाव में इस साल युवाओं खासतौर पर 50 साल से कम उम्र के 70 प्रतिशत लोगों में इस पार्टी को वोट देने की बात हुई थी.  

गठबंधन के लिए तैयार AfD 
बता दें कि साल 2015 में जर्मनी ने काफी संख्या में शरणार्थियों का स्वागत किया था. अब वहां की जनता में इसको लेकर नजरिया बदल चुका है.  AfD ने इसी का लाभ उठाते हुए अपनी स्थिति मजबूत की है, हालांकि पार्टी अभी भी सरकार में शामिल होने से बाहर रह सकती है.  AfD की चांसलर पद की उम्मीदवार एलि वीडेल ने कहा,' हम दूसरी सबसे मजबूत ताकत बन गए हैं.' उन्होंने चुनाव जीतने वाले कंजर्वेटिव नेता फ्रेडरिक मर्ज की पार्टी से गठंबधन के लिए बातचीत करने की इच्छा जाहिर की है, हालांकि मर्ज की पार्टी ने AfD के साथ किसी भी सहयोग के लिए मना किया है.  

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दक्षिणपंथी विचारधारा का बढ़ रहा बोलबाला? 
'द बिजनेस लाइन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2024 में G20 के 7 बड़े देशों में आम चुनाव हुए थे. इनमें से 3 देशों में दक्षिणपंथी सरकार चुनी गई. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी ने वापसी की, भारत में दक्षिणपंथी विचारधारा वाली नरेंद्र मोदी की भाजपा पार्टी की वापसी और ब्रिटेन में सालों बाद कीयर स्टार्मर की लेबर पार्टी ने सत्ता पर कब्जा जमाया. 'प्यू रिसर्च सेंटर' की ग्लोबल इलेक्शंस इन 2024 की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में नेताओं अविश्वास और राजनीतिक अंसतोष ने दक्षिणपंथ को बढ़ावा दिया है. 

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