जाते-जाते भारत के 'दुश्मन' को मेडल दे गए बाइडेन, मचा बवाल; क्या सच है डीप स्टेट की थ्योरी?

1 day ago

George Soros: अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में बाइडेन प्रशासन की तरफ से हाल ही में 19 हस्तियों को 'प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम' दिया गया है. मेडल दिए जाने से पहले इन 19 लोगों की लिस्ट जारी की गई थी. लिस्ट सामने आने के बाद से ही कुछ नामों को लेकर विवाद शुरू हो गया. इनमें सबसे विवादित नाम जॉर्ज सोरोस का है. यहां तक कि कंजर्वेटिव्स में भारी गुस्सा देखने को मिल रहा है. शनिवार की दोपहर को व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राजनीति, खेल, मनोरंजन, नागरिक अधिकार, LGBTQ+ वकालत और साइंस के 19 सबसे मशहूर नामों को इस मेडल से नवाजा गया है.

सोशल मीडिया पर हो रहा विरोध

जॉर्ज सोरोस लंबे समय से कंजर्वेटिव्स के निशाने पर हैं. इसके अलावा एक विवादास्पद व्यक्ति हैं और दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल देने के लिए बदनाम हैं. सोरोस पर कुछ विपक्षी पार्टियों और नेताओं के साथ मिलकर भारत समेत कई अन्य देशों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों को सपोर्ट करके अशांति पैदा करने का आरोप लगाया गया है. सोशल मीडिया पर भी आलोचनाओं की बाढ़ आ गई और कई लोगों ने पूछा कि इतने विवादास्पद लोगों को यह प्रतिष्ठित सम्मान क्यों दिया जा रहा है?

Today, I was given the privilege of accepting the Presidential Medal of Freedom on behalf of my father, @georgesoros. My father is an American patriot who has spent his life fighting for freedom and human rights. I am incredibly proud that his legacy is now recognized with our… pic.twitter.com/UD2kA2VWZM

— Alex Soros (@AlexanderSoros) January 4, 2025

बाइडेन प्रशासन पर उठने लगे सवाल

आरोप लग रहा है कि बाइडेन प्रशासन ने अपनी सियासी वफादारी निभाते हुए यह सम्मान दिया है. आरोप लगा है कि सोरोस को मेरिट के बजाय राजनीतिक पक्षपात की मिसाल देते हुए अपने करीबियों को इस सम्मान से नवाजा गया है. हालांकि व्हाइट हाउस ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि ये पुरस्कार पब्लिक सर्विस, मानव अधिकारों और वैश्विक लोकतंत्र के लिए योगदान देने वालों को दिए गए हैं, लेकिन कंजर्वेटिव्स और फॉक्स एंड फ्रेंड्स के लिए सोरोस का नाम इस सम्मान के लिए अति-विवादास्पद था, जिसके चलते बाइडेन प्रशासन की तीखी आलोचना की गई.

कौन है जॉर्ज सोरोस?

जॉर्ज सोरोस अमेरिका के अरबति कारोबारी हैं. हालांकि उनकी छवि बेहद विवादित है, उनपर अक्सर भारत और दूसरे देशों में विवाद खड़े करने के आरोप लगते रहे हैं. आरोप है कि उन्होंने कई देशों में चुनावों को प्रभावित करने के लिए जमकर फंडिंग की है. यूरोप और अरब के कई देशों में जॉर्ज सोरोस की संस्थाओं पर जुर्माने के साथ-साथ पाबंदी भी लगा दी गई है. आरोप है कि सोरोस दुनिया कई देशों में कारोबार और समाजसेवा की आड़ में पैसे की ताकत पर वहां की राजनीति में दखल देते हैं. यही आरोप भारतीय जनता पार्टी भी सोरोस भी लगाती है. भाजपा का कहना है कि जोर्ज सोरोस और गांधी परिवार के बीच गहरा नाता है और गांधी परिवार सोरोस के साथ मिलकर भारत की कमजोर की साजिशें कर रहा है.

क्या सच हो रही है डीप स्टेट की थ्योरी?

ऐसे में एक बार फिर ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या डीप स्टेट की थ्योरी सच साबित होती दिखाई दे रही है? क्योंकि ऐसे एक व्यक्ति को सम्मान देना अपने आप में विवादत है जो दूसरे देशों के राजनीतिक माहौल को बिगाड़ता है. बाइडेन की तरफ से दिए गए इस सम्मान को लेकर ना सिर्फ अमेरिकी विरोध कर रहे हैं बल्कि अमेरिका से बाहर भारत समेत कई देशों में इसकी चर्चा करते हुए डीप स्टेट की परिभाषा को फिर से याद किया जाने लगा है. 

क्या है डीप स्टेट?

डीप स्टेट एक शब्द है जिसका इस्तेमाल अक्सर तब किया जाता है जब किसी देश या सरकार के अंदर कुछ ताकतवर और खुफिया ग्रुप होते हैं और वो राजनीतिक फैसलों को प्रभावित या कंट्रेल करते हैं, भले ही वह देश की लोकतांत्रिक संरचना के बाहर होते हैं. यह समूह आम तौर पर फौजी, खुफिया एजेंसियों, बड़ी इंडस्ट्रीज या अन्य उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों से होते हैं. डीप स्टेट का विचार अक्सर यह जाहिर करता है कि जनता के चुनावी नेताओं या अफसरों की तुलना में कुछ छिपी हुई ताकतें ज्यादा असरदार साबित होती है. यह शब्द आम तौर पर सरकारों की पारदर्शिता, भ्रष्टाचार या सत्ता की छिपी साजिशों को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसके बारे में कोई ठोस प्रमाण या परिभाषित तथ्य नहीं होते हैं.

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