Last Updated:August 27, 2025, 13:36 IST
Sacred Coconut Auction: भारत देश अजूबों और अचंभों वाला देश है. देश के विभिन्न हिस्सों में अक्सर ही ऐसी घटनाएं होती रहती हैं, जो आपको अचंभित करती हैं. ऐसा ही एक वाकया कर्नाटक में सामने आया है.

Sacred Coconut Auction: एक नारियल की कीमत कितनी हो सकती है? आमतौर पर एक नारियल सामान्य दिनों में अधिकतम 70 से 80 रुपये में मिल जाता है. पर्व-त्योहारों के समय 10-20 रुपये ज्यादा में बिकने लगता है. आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि कर्नाटक में एक नारियल 5,71,001 रुपये में बिका है. इतने रुपये में कोई भी एक या दो नहीं बल्कि 5 iPhone 16 खरीद सकता है. बता दें कि एक iPhone 16 की कीमत तकरीबन 1.09 लाख रुपये है.
तकरीबन पौने छह लाख रुपये में बिकने वाला यह नारियत काफी खास है. बागलकोट (कर्नाटक) के जामखंडी तालुक स्थित चिक्कलाकी गांव का वार्षिक मालिंगाराया जत्रा इस बार भी अनोखी घटना का गवाह बना. श्रावण मास में पूरे महीने भगवान मालिंगाराया की वेदी पर पूजित पवित्र नारियल की नीलामी बुधवार को हुई. इस नारियल को 5,71,001 रुपये की बोली पर एक भक्त ने हासिल किया. जानकारी के अनुसार, विजयपुर जिले के टिकोटा गांव के महावीर हराके इस नीलामी के विजेता बने. खास बात यह रही कि हराके ने पिछले साल भी 6,51,001 रुपये की बोली लगाकर यही नारियल खरीदा था. लगातार दूसरे साल उनकी बोली सबसे ऊंची रही, जिससे उनकी गहरी भक्ति और आस्था झलकती है.
परंपरा और आस्था का केंद्र
हर साल श्रावण मास के दौरान यह नारियल गांव में भगवान मालिंगाराया को अर्पित कर पूरे महीने पूजा जाता है. महीनेभर की आराधना के बाद इसे नीलाम किया जाता है. माना जाता है कि यह नारियल दैवीय आशीर्वाद का प्रतीक होता है और इसे जीतना भक्तों के लिए सौभाग्य की बात मानी जाती है. इस बार की नीलामी में तीन प्रमुख भक्तों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा रही. महावीर हराके, चिक्कलाकी के मुदुकप्पा मलप्पा पठेदार और गोट्टे गांव के सदाशिवा मैगुरु ने इस बोली में हिस्सा लिया था. आखिरकार महावीर हराके ने सबसे बड़ी बोली लगाकर नारियल हासिल किया.
आस्था और सामाजिक संगम
मालिंगाराया जत्रा सिर्फ धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी अहम मानी जाती है. जत्रा के दौरान मेले में मिठाइयों, खिलौनों, हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों की दुकानों की लंबी कतारें लगती हैं. किसान अपनी पैदावार बेचते हैं, वहीं लोक नृत्य और भक्ति गीतों के कार्यक्रम देर रात तक चलते रहते हैं. गांव के बुजुर्ग, ग्राम पंचायत प्रतिनिधि और समुदाय के नेता इस आयोजन में शामिल होकर इसकी गरिमा बढ़ाते हैं. इस बार गुरु मुत्या बाबलाडी, आर्चक सिद्धना पुजारी, बुजुर्ग दुंडप्पा बाबलाडी और कल्लप्पा गिडगिंची समेत पंचायत सदस्य बसवराज अलागुरा और संतोष ममदपुरा मौजूद रहे.
नीलामी में थम जाती हैं सांसें
जत्रा का सबसे अहम क्षण यही नीलामी होती है, जब पूरा गांव सांस रोके ऊंची बोली का इंतजार करता है. यह न केवल धार्मिक अनुष्ठान है बल्कि गांव की सामाजिक एकजुटता और सांस्कृतिक जीवंतता का भी प्रतीक है. इस साल महावीर हराके की 5.71 लाख रुपये की बोली ने फिर दिखा दिया कि श्रद्धा और भक्ति की कोई कीमत नहीं होती, और जब समुदाय साथ आता है तो एक साधारण नारियल भी आस्था का अमूल्य प्रतीक बन जाता है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...
और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
Location :
Bangalore,Karnataka
First Published :
August 27, 2025, 13:36 IST