पीएम-श्री स्कूल योजना को मंजूरी देकर क्या सच में फंस गई पिनराई विजयन सरकार?

11 hours ago

तिरुवनंतपुरम. केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) को उथल-पुथल का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उसके घटक भाकपा ने राज्य के सामान्य शिक्षा विभाग द्वारा पीएम श्री स्कूल योजना में शामिल होने के फैसले को लेकर शुक्रवार को अपनी प्रमुख सहयोगी माकपा के खिलाफ पूरी तरह विद्रोह शुरू कर दिया है. इस योजना पर एक दिन पहले ही हस्ताक्षर किए गए थे. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के प्रदेश सचिव बिनय विश्वम ने कहा कि उनकी पार्टी और अन्य एलडीएफ घटकों को इस निर्णय के बारे में ‘अंधेरे में’ रखा गया. उन्होंने इस कदम को वाम मोर्चे के सामूहिक अनुशासन का उल्लंघन बताया.

विश्वम ने यहां भाकपा की सचिवालय बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि आज तक मंत्रिमंडल की बैठक में ‘प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री)’ के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई, इसके बावजूद परियोजना के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर ‘असामान्य हड़बड़ी’ में हस्ताक्षर किए गए. उन्होंने कहा, “यह असामान्य हड़बड़ी क्यों है? यह सवाल हर किसी के मन में है.”

भाकपा नेता ने कहा कि पीएमश्री समझौता ज्ञापन तथा उसके तहत राज्य को दिये गये आश्वासन के बारे में एलडीएफ घटक दलों को अंधेरे में रखने के पीछे के तर्क को उनकी पार्टी नहीं समझ पा रही है. विश्वम ने सवाल किया कि अगर मोर्चा बिना किसी चर्चा या परामर्श के तथा घटक दलों को अंधेरे में रखकर निर्णय लेता है तो एलडीएफ कैसे आगे बढ़ सकता है.

भाकपा ने चेतावनी दी है कि इस कदम से केरल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन का रास्ता साफ हो सकता है– जो ऐसा विषय है जिसका वामपंथी लंबे समय से विरोध करते रहे हैं. संस्थानों को पीएम श्री स्कूल के रूप में चिह्नित करने वाले बोर्ड लगाने की अनिवार्यता ने भी पार्टी नेताओं में बेचैनी पैदा कर दी है.

हालांकि, केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने इस योजना पर हस्ताक्षर करने के सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह राज्य की शिक्षा नीतियों की रक्षा करते हुए केंद्रीय निधियां प्राप्त करने का एक रणनीतिक कदम था. यहां संवाददाता सम्मेलन में शिवनकुट्टी ने कहा कि यह निर्णय केंद्र द्वारा “बच्चों के लिए निर्धारित हजारों करोड़ रुपये की धनराशि रोकने” के प्रयास के जवाब में लिया गया था.

उन्होंने कहा, “यह सरकार ऐसे किसी भी कदम की अनुमति नहीं देगी जो सार्वजनिक शिक्षा को कमजोर करे या बच्चों को उनके उचित धन से वंचित करे. हमारे बच्चों को अपने हक़ का एक भी रुपया नहीं गंवाना पड़ेगा.” उन्होंने दावा किया कि केंद्र ने समग्र शिक्षा कार्यक्रम के तहत धनराशि रोक दी थी क्योंकि केरल पीएम श्री योजना में शामिल नहीं हुआ था. उन्होंने कहा कि रोकी गई धनराशि में 2023-24 के लिए 188.58 करोड़ रुपये, 2024-25 के लिए 513.54 करोड़ रुपये और इससे पहले के वर्षों के 456.01 करोड़ रुपये शामिल हैं.

मंत्री ने कहा कि कुल मिलाकर नुकसान 1,158.13 करोड़ रुपये है. उन्होंने बताया कि पीएम श्री योजना पर अभी हस्ताक्षर करने से राज्य को वर्तमान कार्यक्रम के लिए आवंटन के साथ-साथ ये लंबित धनराशि भी मिल सकेगी, जिसमें से 971.01 करोड़ रुपये केंद्र द्वारा पहले ही स्वीकृत किए जा चुके हैं.

मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अपने पाठ्यक्रम पर पूर्ण नियंत्रण रखती है. केरल ने बाबरी मस्जिद विध्वंस और मुगल इतिहास जैसे विषयों को अपनी पाठ्यपुस्तकों और मूल्यांकनों में शामिल किया है, जिन्हें एनसीईआरटी ने हटा दिया था. शिवनकुट्टी ने कहा कि चुनिंदा स्कूलों पर ‘पीएम श्री’ लेबल लगाने की आवश्यकता केवल तकनीकी है, और कहा कि इस योजना में प्रधानमंत्री का नाम या तस्वीर प्रदर्शित करना अनिवार्य नहीं है.

पिनराई विजयन नीत राज्य सरकार में भाकपा के चार मंत्री हैं. सहयोगी दल को शांत करने का प्रयास करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने अपने हिस्से की धनराशि प्राप्त करने के लिए केंद्र के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर जरूर किए हैं, लेकिन वह पीएम श्री योजना और उससे जुड़े प्रावधानों का अब भी विरोध करती है.

माकपा के प्रदेश सचिव एमवी गोविंदन ने कहा कि राज्य सरकार को केंद्रीय निधियों से अपना उचित हिस्सा प्राप्त करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वह पीएम श्री जैसी योजनाओं से जुड़े प्रतिबंधात्मक प्रावधानों को स्वीकार नहीं कर सकती. उन्होंने कहा, “हमें अपनी बकाया धनराशि मिलने को लेकर कोई संदेह नहीं है. लेकिन इससे पहले केंद्र ने कभी ऐसी शर्तें नहीं लगाईं. अब यह सरकार हर क्षेत्र में शर्तें लगा रही है, जिससे केरल समेत कई राज्य प्रभावित हो रहे हैं.”

गोविंदन ने आरोप लगाया कि केरल को विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के तहत मिलने वाली लगभग 8,000 करोड़ रुपये की राशि अभी तक जारी नहीं की गई है. उन्होंने कहा, “केंद्र को उचित धनराशि जारी करनी चाहिए. उसका शर्तें थोपने का रवैया स्वीकार नहीं किया जा सकता.” गोविंदन ने इस मुद्दे पर चुप्पी साधने के लिए कांग्रेस की आलोचना की. उन्होंने कहा, “केंद्र के रुख का विरोध किया जाना चाहिए, लेकिन कांग्रेस ने अब तक कोई आपत्ति नहीं जताई है.”

माकपा नेता ने कहा, “कांग्रेस के शासन के दौरान राजस्थान ने सबसे पहले पीएम श्री समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. यह उसके दोहरे मापदंड को दर्शाता है. उसकी राजनीति इसी बात पर केंद्रित प्रतीत होती है कि केरल में कोई विकास नहीं होना चाहिए.” विपक्षी कांग्रेस ने कहा कि यह कदम “एलडीएफ के घटक दलों के बीच गहरे विभाजन” को दर्शाता है.

कांग्रेस के नेता और केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने दावा किया कि माकपा के राज्य सचिव गोविंदन ने योजना पर भाकपा की आपत्ति के जवाब में सवाल किया कि “कौन सी भाकपा”. उन्होंने कहा, “भाकपा को तय करना चाहिए कि यह अपमान और शर्मिंदगी सहन करनी है या नहीं.”

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