Last Updated:April 18, 2025, 09:48 IST
Ranjana Sonawane Faces Identity Issues: रंजना सोनवणे, जिन्हें देश का पहला आधार कार्ड मिला था, आज सरकारी योजनाओं से वंचित हैं. उनकी आधार संख्या किसी और के बैंक खाते से लिंक है, जिससे ₹1500 की मदद नहीं मिल रही.

देश की पहली आधारधारी महिला सरकारी योजनाओं से वंचित!
हाइलाइट्स
रंजना सोनवणे सरकारी योजनाओं से वंचित हैं.उनकी आधार संख्या किसी और के बैंक खाते से लिंक है.रंजना का परिवार सालाना सिर्फ ₹40,000 कमाता है.नंदुरबार: देश में आधार कार्ड की शुरुआत जिनके हाथों से हुई, वही महिला आज सरकारी योजनाओं से वंचित है. रंजना सोनवणे, महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के टेंभली गांव की रहने वाली हैं. 29 सितंबर 2010 को उन्हें देश का पहला आधार कार्ड मिला था. उस समय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी उनके साथ फोटो में दिखे थे, लेकिन आज 15 साल बाद भी, रंजना को उस पहचान का कोई फायदा नहीं मिला.
₹1500 की मदद नहीं मिल रही
महाराष्ट्र सरकार की मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना के तहत महिलाओं को हर महीने ₹1500 मिलते हैं. रंजना भी इस योजना के लिए पात्र हैं, लेकिन समस्या यह है कि उनकी आधार संख्या किसी और के बैंक खाते से लिंक है. अधिकारी कहते हैं कि पैसा भेज दिया गया, लेकिन रंजना के पास कुछ नहीं पहुंचा.
“कागज दिखाते हैं, लेकिन पैसा नहीं मिलता”
रंजना का कहना है कि जब बैंक जाती हूं तो अधिकारी कहते हैं कि पैसा भेजा गया है, लेकिन वो पैसा मेरे पास नहीं आता. मेरा आधार किसी और के खाते से जुड़ा है, ऐसा लग रहा है. बता दें कि रंजना का पूरा परिवार सालाना सिर्फ ₹40,000 कमाता है. उनके पति छोटे खिलौने बेचते हैं. रंजना खुद दिहाड़ी मजदूरी करके घर चलाती हैं. उनके तीन बेटे हैं. एक नौकरी करता है, बाकी पढ़ाई कर रहे हैं.
सरकारी दफ्तरों के कई चक्कर लगाए
रंजना ने इस साल ही सात बार तालुका ऑफिस के चक्कर लगाए हैं. हर बार बस आश्वासन मिलता है कि “जल्द ठीक हो जाएगा”. उसके बेटे उमेश ने बैंक में कई बार जाकर मदद मांगी. बैंक वाले हर बार कहते हैं कि अगले महीने से ठीक हो जाएगा, लेकिन अब एक साल हो गया और कोई समाधान नहीं निकला.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, महिला और बाल विकास विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि रंजना की शिकायत मिलने पर ही वे पैसे की ट्रांजेक्शन रोक सकते हैं. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि शायद उनके बैंक खाते जॉइंट नाम में होंगे, जिससे आधार किसी और खाते से लिंक हो गया होगा. कुछ अधिकारी ये भी कह रहे हैं कि फार्म भरते वक्त आंगनवाड़ी सेविका ने गलत खाता नंबर दे दिया होगा.
और भी महिलाएं प्रभावित
बता दें कि रंजना अकेली नहीं हैं. महाराष्ट्र के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में कई महिलाएं ऐसी हैं जिनका पैसा या तो गलत खाते में चला जाता है या फिर उन्हें जानकारी ही नहीं मिलती. बहुतों के पास न तो खुद का बैंक खाता है, न मोबाइल नंबर जिससे वो जानकारी ले सकें. सरकार ने अब तक 15 लाख अपात्र लाभार्थियों को हटाया है, जिनको ₹225 करोड़ गलत तरीके से मिले थे. लेकिन जिन पात्र महिलाओं को मदद नहीं मिली, उनके लिए कोई ठोस प्रक्रिया नहीं बनी है.
रंजना की उम्मीद अब सरकार से नहीं, अपने बेटों से है
रंजना कहती हैं, “मुझे अब सरकार से ज्यादा उम्मीद नहीं रही. लेकिन मेरे बेटे मेहनती हैं. हम किसी तरह जिंदगी चला लेंगे. फिर भी दिल में उम्मीद है कि एक दिन कुछ अच्छा जरूर होगा.”
First Published :
April 18, 2025, 09:48 IST