जेलेंस्की ने टेक दिए घुटने... यूरोप की नाकामी या ट्रंप-पुतिन का खौफ, आखिरकार असली कारण क्या है?

1 month ago

Zelensky Trump meeting: आखिरकार वही हुआ जिसका अंदाजा दुनियाभर के राजनीतिक पंडित लगा रहे थे. व्हाइट हाउस में बगावती तेवर दिखा चुके यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अब अमेरिका के सामने घुटने टेक दिए हैं. जेलेंस्की की तरफ यूरोपीय देशों ने मदद का झुनझुना भी दिखाया लेकिन लगता है अपने घर पहुंचते ही जेलेंस्की को भविष्य दिख गया. उन्होंने एक तरह से सरेंडर करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि अमेरिका और यूक्रेन के बीच चीजों को सही दिशा में आगे बढ़ाया जाए. उनकी यह टिप्पणी तब आई जब ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली अमेरिकी सैन्य सहायता को भी रोक दिया था. उन्होंने एक लंबा चौड़ा बयान देते हुए अमेरिका की सभी शर्त मानने की बात कही है. लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर इसके पीछे असली वजह क्या है. क्योंकि जेलेंस्की तो वाक ओवर देने के मूड में नहीं दिख रहे थे. इसे समझने की जरूरत है. 

जेलेंस्की ने क्या कहा?

असल में यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि व्हाइट हाउस में उनकी बैठक उम्मीद के मुताबिक नहीं रही और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसा हुआ. उन्होंने कहा कि अब वह अमेरिका और ट्रंप प्रशासन के साथ सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं. उन्होंने ट्रंप को मजबूत नेता बताया और कहा कि उनकी टीम उनके नेतृत्व में स्थायी शांति के लिए काम करने को तैयार है. उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन जल्द से जल्द शांति वार्ता के लिए तैयार है क्योंकि उनके देश के लोगों से ज्यादा कोई भी शांति नहीं चाहता.

युद्ध खत्म करने के लिए प्रस्ताव

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने युद्ध समाप्त करने के लिए कुछ प्रस्ताव भी सामने रखे. उन्होंने कहा कि पहला कदम युद्धबंदियों की रिहाई हो सकता है. इसके बाद आसमानी संघर्ष विराम एयर ट्रूस लागू किया जाए. इसका मतलब यह होगा कि मिसाइल, लंबी दूरी के ड्रोन और बमबारी को रोका जाए. खासकर ऊर्जा और नागरिक बुनियादी ढांचे पर. उन्होंने कहा कि यदि रूस भी इसी तरह कदम उठाए तो यूक्रेन इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने को तैयार है. इसके अलावा जेलेंस्की ने अमेरिका को अपने देश के खनिज संसाधनों तक विशेष पहुंच देने का प्रस्ताव भी दिया है. जिससे संकेत मिलता है कि वे आर्थिक और सुरक्षा सहयोग के नए समझौतों की ओर बढ़ सकते हैं.

क्या पुतिन-ट्रंप की नजदीकियों का डर?

जेलेंस्की के इस बदले रुख के पीछे की वजह क्या है. इसका जवाब दो पहलुओं में छिपा है. एक तरफ यूरोप से उम्मीद के मुताबिक मदद नहीं मिल पाई. या यूरोप दे भी नहीं पाएगा. और दूसरी तरफ ट्रंप और पुतिन की संभावित नजदीकियां. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने पहले ही कहा कि अमेरिका द्वारा यूक्रेन की मदद रोकना शांति की दिशा में सबसे बड़ा योगदान है. सबको पता है कि अमेरिकी और रूसी अधिकारियों के बीच युद्ध समाप्त करने को लेकर गुप्त बातचीत हो रही है. ट्रंप पहले ही तय कर चुके हैं कि वे किसी भी कीमत पर रूस के साथहोंगे. साफ है कि यूक्रेन खुद को अलग-थलग पा सकता है.

यूरोप की नाकामी और फिर जेलेंस्की का सरेंडर..

पहले से ही राजनीतिक एक्सपर्ट्स बता चुके थे कि यूरोपीय देश कितना भी कोशिश कर डलें बिना अमेरिका के वे आगे नहीं बढ़ पाएंगे. यूरोप ने यूक्रेन को समर्थन देने का वादा किया लेकिन लंबे समय तक युद्ध खिंचने के बाद उनकी सैन्य और आर्थिक मदद सीमित होती जा रही है. कई यूरोपीय देशों में अब यूक्रेन को मदद जारी रखने पर मतभेद उभरने लगे हैं. दूसरी ओर अमेरिका की सहायता रोकने से यूक्रेन की सेना पर तत्काल असर पड़ सकता है जिससे रूस को बढ़त मिल सकती है. इस दबाव के बीच जेलेंस्की के पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे थे. 

यूक्रेन की स्थिति अब क्या होगी?
अब सवाल उठता है कि आगे क्या होगा? जेलेंस्की ने अमेरिका के साथ सहयोग जारी रखने की बात कहकर स्पष्ट संकेत दिया है कि वह ट्रंप की रणनीति के अनुसार चलने को मजबूर हैं. इसका मतलब यूक्रेन के खनिज भी अब अमेरिका के ही होंगे. हालांकि यह देखना होगा कि क्या ट्रंप यूक्रेन की मदद फिर से शुरू करेंगे या रूस के साथ किसी बड़े समझौते की ओर बढ़ेंगे. ट्रंप की निगाहें यूरोप के साथ-साथ चीन पर भी होंगी. फिलहाल ट्रंप अमेरिकी कांग्रेस में अपना पहला संबोधन देने वाले हैं. देखना है कि क्या नए ऐलान होने वाले हैं.

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