Last Updated:August 18, 2025, 12:24 IST
बिहार में SIR अभियान और 'वोट चोरी' के आरोपों पर विपक्ष ने चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. खबर है कि विपक्षी दल मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को हटाने के लिए प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं. तो चलिये जानत...और पढ़ें

बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR अभियान और ‘वोट चोरी’ जैसे आरोपों को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ विपक्ष इंडिया गठबंधन ने मोर्चा खोल रखा है. इस बीच खबर है कि विपक्षी दल मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है. सूत्रों के अनुसार, विपक्षी दलों ने सोमवार सुबह संसद भवन में बड़ी बैठक की, जिसमें चुनाव आयोग प्रमुख को हटाने के प्रस्ताव पर चर्चा की.
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि पार्टी लोकतंत्र के सभी संवैधानिक हथियारों का इस्तेमाल करने को तैयार है. उन्होंने कहा , ‘जरूरत पड़ी तो हम लोकतंत्र के तहत उपलब्ध सभी हथियारों का इस्तेमाल करेंगे. अभी तक महाभियोग पर कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई है, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो हम कुछ भी कर सकते हैं.’
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है और इसकी क्या प्रक्रिया है…
पद से कैसे हटाए जा सकते हैं मुख्य चुनाव आयुक्त?
भारतीय संविधान में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों को हटाने की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से तय है. संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को स्वतंत्र संस्था का दर्जा देता है. मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के जज के समान ही है. इसका मतलब है कि उन्हें केवल महाभियोग (impeachment) के जरिये ही हटाया जा सकता है.
क्या है महाभियोग की प्रक्रिया?
मुख्य चुनाव आयुक्त को उनके पद से हटाने के लिए लोकसभा या राज्यसभा यानी दोनों में से किसी एक सदन में प्रस्ताव लाया जा सकता है. इस प्रस्ताव को सदन में मौजूद और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित होना होगा. इसके बाद प्रस्ताव दूसरे सदन में जाएगा और वहां भी दो-तिहाई बहुमत से पारित होना अनिवार्य है.
दोनों सदनों से महाभियोग प्रस्ताव पास होने के बाद ही राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने का आदेश जारी कर सकते हैं.
कितना मुश्किल है यह रास्ता?
व्यवहारिक रूप से देखा जाए तो किसी मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाना बेहद कठिन प्रक्रिया है, क्योंकि इसके लिए संसद के दोनों सदनों में भारी बहुमत की आवश्यकता होती है. संसद के मौजूदा संख्याबल को देखते हुए विपक्ष के लिए इतना समर्थन जुटाना आसान नहीं होगा.
शायद यही वजह है कि विपक्षी दल भी अभी मुख्य निर्वाचन आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर खुलकर बोलने से बच रही है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 18, 2025, 12:23 IST