तलाक के बाद पत्‍नी ने नहीं की शादी तो गुजारा भत्‍ता की हकदार

1 day ago

Last Updated:June 11, 2025, 13:29 IST

Divorce News: तलाक कोई नई और बड़ी बात नहीं है, पर सुप्रीम कोर्ट ने इसपर अब बड़ा फैसला दिया है. संपत्ति में हक और गुजरा भत्‍ता को लेकर यह निर्णय काफी महत्‍वपूर्ण है.

तलाक के बाद पत्‍नी ने नहीं की शादी तो गुजारा भत्‍ता की हकदार

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक को लेकर बड़ी व्‍यवस्‍था दी है. (सांकेतिक तस्‍वीर)

हाइलाइट्स

तलाकशुदा महिला ने दोबारा शादी नहीं की तो 50 हजार महीने गुजारा भत्‍ता की हकदारसंपत्ति में भी देना होगा हिस्‍सा, डिवोर्स मामले में सुप्रीम कोर्ट का आया सुप्रीम फैसलागुजारा भत्‍ते की राशि हर दो साल में होगी रिवाइज, 5 फीसद तक बढ़ाना होगा एलिमनी

Divorce News: सुप्रीम कोर्ट ने तलाक यानी डिवोर्स पर बड़ा फैसला दिया है. कोट ने गुजारा भत्‍ता और प्रॉपर्टी में हिस्‍सेदारी को लेकर अहम व्‍यवस्‍था दी है. तलाकशुदा पत्नी के गुजारे भत्ते में महंगाई और पति की बढ़ती मंथली सैलरी को भी ध्यान में रखा. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तलाकशुदा पत्नी को दिए जाने वाले 20,000 रुपये के गुजारे भत्ते को बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया. साथ ही हर 2 साल में गुजारा भत्‍ता में 5 फीसदी के बढ़ोतरी के नियम को भी जोड़ दिया. साथ ही पति के दूसरी शादी करने के बाद भी पहली पत्नी के बेटे को पिता की पैतृक संपत्ति में अधिकार होने की बात को स्वीकार किया गया है.

29 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पति को अपनी पूर्व पत्नी को हर महीने 50,000 रुपये पर्मानेंट एलिमनी देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस अमाउंट में हर दो साल में 5% की बढ़ोतरी होगी. यह फैसला उस समय आया जब पत्नी ने पहले से तय 20,000 रुपये के अमाउंट को नाकाफी बताते हुए इसे बढ़ाने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्नी जो अब तक अविवाहित और स्वतंत्र रूप से रह रही हैं, उन्हें ऐसा भरण-पोषण मिलना चाहिए जो उनके वैवाहिक जीवन के स्तर को दर्शाता हो और उनके भविष्य को सुरक्षित रखे. कोर्ट ने यह भी माना कि पति की आमदनी में समय के साथ बढ़ोतरी हुई है और वह अधिक भरण-पोषण देने की स्थिति में है. इसलिए पहले तय की गई अमाउंट को बढ़ाया जाना जरूरी है. ये डिवोर्स का मामला 17 साल से चल रह है.

डेढ़ दशक पुराना मामला

18 जून 1997: दोनों की शादी हिंदू रीति-रिवाज से हुई.

5 अगस्त 1998: दंपति को एक बेटा हुआ.

जुलाई 2008: पति ने तलाक के लिए केस दायर किया. पत्नी ने भी भरण-पोषण के लिए अलग से केस दाखिल किया.

14 जनवरी 2010: ट्रायल कोर्ट ने पत्नी को 8,000 रुपये मंथली अंतरिम भरण-पोषण और 10,000 रुपये वकील खर्च के लिए देने का आदेश दिया.

28 मार्च 2014: कोर्ट ने पति को पत्नी को 8,000 रुपये और बेटे को 6,000 रुपये मंथली देने का आदेश दिया.

14 मई 2015: हाईकोर्ट ने यह अमाउंट बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दिया.

1 जनवरी 2016: कोर्ट ने पति के दायर तलाक का केस खारिज कर दिया.

14 जुलाई 2016: हाईकोर्ट ने पत्नी के लिए भरण-पोषण 20,000 रुपये मंथली तय कर दिया.

25 जून 2019: हाईकोर्ट ने तलाक की मंजूरी दी.

7 नवंबर 2023: सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में भरण-पोषण अमाउंट 75,000 रुपये मंथली कर दी थी, जिसे बाद में चुनौती दी गई.

29 मई 2025: सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम आदेश में 50,000 रुपये मंथली कर दिया. इसमें हर 2 साल में 5% बढ़ोतरी का प्रावधान भी जोड़ा गया.

पत्नी की दलील

पत्नी की ओर से कहा गया कि 20,000 रुपये का अमाउंट तब तय किया था जब पति की इनकम बहुत कम थी, लेकिन अब उनकी मंथली इनकम 4 लाख रुपये के आसपास है, फिर भी इतने कम पैसे में गुजारा करना मुश्किल है. पत्नी के वकीलों ने कहा कि यह अमाउंट अंतरिम भरण-पोषण के तौर पर तय हुई थी, स्‍थाई नहीं और इसे अब जरूर बढ़ाया जाना चाहिए.

पति की दलील

पति ने कहा कि वह अब दोबारा शादी कर चुके हैं और उन्हें अपने बुजुर्ग माता-पिता और नई पत्नी की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है. उन्होंने यह भी कहा कि उनका बेटा अब 26 साल का है और स्वतंत्र है, इसलिए उसे किसी भी तरह का भरण-पोषण देना जरूरी नहीं है. उन्होंने अपनी सैलरी स्लिप, बैंक स्टेटमेंट और इनकम टैक्स रिटर्न भी अदालत के सामने पेश किए.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

तलाकशुदा पत्नी को 50,000 रुपये मंथली मिलेंगे और यह अमाउंट हर दो साल में 5% बढ़ेगी. बेटे के लिए अब कोई अनिवार्य भरण-पोषण नहीं देना होगा, लेकिन पति यदि चाहें तो स्वेच्छा से उसकी पढ़ाई या जरूरतों में मदद कर सकते हैं. बेटे का पैतृक संपत्ति में अधिकार बना रहेगा. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला यह दर्शाता है कि भरण-पोषण केवल सिर्फ नाम के लिए नहीं होना चाहिए. यह व्यावहारिक और न्यायपूर्ण होना चाहिए. यह फैसला उन महिलाओं के लिए राहत भरा संदेश है, जो तलाक के बाद अकेले जीवन बिता रही हैं और अपने पूर्व पति की फाइनेंशियल स्टेटस के तौर पर न्याय की उम्मीद रखती है.

authorimg

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...

और पढ़ें

Location :

New Delhi,Delhi

homenation

तलाक के बाद पत्‍नी ने नहीं की शादी तो गुजारा भत्‍ता की हकदार

Read Full Article at Source