Last Updated:August 22, 2025, 18:52 IST
Reason on 3rd World War : चीन ने पिछले दिनों जिस तरह से भारत सहित दुनिया के कई देशों को रेयर अर्थ के लिए ब्लैकमेल किया, उससे यही अनुमान लगाए जा रहे कि इस बार तीसरे विश्व युद्ध का कारण यही रेयर अर्थ बन सकता है...और पढ़ें

नई दिल्ली. काफी दिनों से कयास लगाए जा रहे थे कि तीसरे विश्व युद्ध का कारण आखिर क्या होगा. बढ़ती जनसंख्या और लगातार होती कमी से कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार विश्व युद्ध का कारण पानी बनेगा. लेकिन, अब सौ बात की एक बात ये कि तीसरे विश्व युद्ध का कारण रेयर अर्थ बन सकता है और इस बार वजह बनेगा चीन. चीन ने पूरी दुनिया का टेटुआ दबा रखा है और रेयर अर्थ नहीं दे रहा है. उसने तो देशों को ब्लैकमेल करना भी शुरू कर दिया है. आखिर ये क्या चीज है, जिसे चीन ने दबा रखा है. ये रेयर अर्थ मिनरल क्या होते हैं और इतनी हाय तौबा क्यों मची हुई है इनपर? एक्सपर्ट यहां तक कहने लगे हैं कि इनकी वजह से वर्ल्ड वॉर ही ना हो जाए?
चीन ने पिछले दिनों भारत को भी रेयर अर्थ की सप्लाई बंद कर दी थी, लेकिन बातचीत फिर से शुरू हुई तो भारत को रेयर अर्थ मिनरल देने पर राजी हो गया. इस उपयोगिता समझने से पहले जानते हैं कि आखिर होते क्या हैं रेयर अर्थ. जमीन के नीचे मिलने वाली 17 धातुएं हैं, जो रेयर अर्थ में आती हैं. जैसे लोहा होता है, तांबा होता है, सोना होता है, चांदी होती है ये भी वैसे ही मिनरल हैं. ये भी धरती में पाए जाते हैं और इनकी भी माइनिंग होती है. इन 17 धातुओं की भी खदानें होती हैं. लेकिन, इन्हें आसानी से धरती से निकाला नहीं जा सकता और इनको रिफाइन करना भी टेढ़ी खीर होती है, जिसकी तकनीक ज्यादातर देशों के पास नहीं है.
क्यों इतनी जरूरी हो गईं ये धातुएं
सोने-चांदी का खनन तो लंबे समय से होता रहा है, लेकिन इन रेयर अर्थ का इस्तेमाल कुछ समय पहले ही शुरू हुआ है और आज इनके बगैर किसी का काम भी नहीं चल रहा. हर देश को यह मिनरल चाहिए. असल इनमें होता है मैगनेट यानी चुंबक और इस चुंबल का इस्तेमाल स्मार्टफोन से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों और लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक चीजों में होता है. फोन और ई-वाहनों की तकनीक ही ऐसी है कि बिना चुंबक के इसका काम नहीं चल सकता है. इसका इस्तेमाल जिन पुर्जों में होता है, उसके बिना ई-कार चल ही नहीं सकती है.
कहां-कहां होता है इस्तेमाल
वैसे तो हवाई जहाज के इंजन के लिए ये चुंबक चाहिए, टीवी की स्क्रीन पर तड़कते-भड़कते रंग दिखाने के लिए भी ये चुंबक चाहिए, फोन की स्क्रीन, बिजली के प्लांट में टर्बाइन चलाने के लिए और भी कई प्रोडक्ट में इसका इस्तेमाल होता है. सीधा मतलब यह है कि एलन मस्क की टेस्ला हो या कोई और कंपनी, बिना इस रेयर अर्थ के उन पर ताला लग जाएगा. कमोबेश यही हालत मोबाइल फोन की भी है.
क्यों इतना चढ़ रहा चीन
आखिर रेयर अर्थ को लेकर चीन इतना क्यों मुखर है, इसका जवाब ये है कि इन चुंबक वाली धातुओं की दुनियाभर की 60-70% खदानें चीन में हैं. जहां तक रिफाइनिंग की बात है तो वो दुनियाभर का 90% चीन में होता है. यानी हर 10 में 9 चुंबक चीन से आते हैं. ये सिचुएशन बनी 30-40 साल में, क्योंकि चीन ने 30-40 साल पहले देख लिया था कि ये जो रेयर अर्थ वाले खनिज हैं, इनको दुनिया में ज़्यादा देश तो निकाल ही नहीं रहे ज़मीन से क्योंकि इनको निकालना महंगा होता है. 70 के दशक से दुनिया तेल के खेल में फंसी है. तब जिसके पास तेल था, वो दुनिया के बाकी देशों को ब्लैकमेल कर सकता था. चीन ने तभी से ऐसा विकल्प खोजना शुरू कर दिया था, जो तेल की जगह ले सके.
चीन ने देख लिया था भविष्य
चीन ने कई चीजों पर दांव लगाया और उसकी नजर इलेक्ट्रॉनिक्स पर जाकर टिकी. मोबाइल फोन स्मार्ट हो रहे थे और इलेक्ट्रिक वाहनों की खोज चालू थी. चीन ने देखा कि इन दोनों के लिए ही बैटरी चाहिए. अन्य कलपुर्जों के निर्माण के लिए भी रेयर अर्थ चाहिए, लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा. बस थोड़ा-बहुत अमेरिका बनाता था. चीन ने इसी चुंबक पर दांव लगाया और अपनी जमीन का सर्वे किया. खोज के बाद बड़े पैमाने पर खदानें लगाईं और रेयर अर्थ को निकालना शुरू किया. मुश्किल ये थी कि ट्रकभर मिट्टी निकालने पर भी मुश्किल से कुछ ग्राम ही रेयर अर्थ मिलता था. बावजूद इसके चीन ने हार नहीं मानीं और इसके उत्पादन के लिए सारे घोड़े खोल दिए.
रंग लाई चीन की मेहनत
चीन ने 40 साल पहले रेयर अर्थ पर इतनी मेहनत कर डाली कि दुनिया का सबसे सस्ता मैगनेट बनाने लगा. आलम ये हो गया कि अमेरिका ने साल 2002 में अपनी खदानें ही बंद कर दी. चीन ने इनकी कीमतें भी कम कर दीं तो दुनिया के सभी देश खुद बनाना छोड़, चीन से खरीदना शुरू कर दिए. तब इसका इस्तेमाल भी कम होता था. अब जबकि ई-कारों का बोलबाला हो गया और पेट्रोल-डीजल की कारें बंद करने की प्लानिंग हो रही तो इन मैगनेट की डिमांड भी खूब बढ़ गई. क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग से निपटने के प्लान में दुनियाभर में कई सरकारें तो पूरी तरह ई-कारों पर निर्भर होने की बात करने लगी हैं और यह सारा तामझाम रेयर अर्थ चुंबक पर टिका हुआ है, 90% चीन बना रहा.
…तो चीन बन गया इसका सुपर पॉवर
आलम ये हो गया कि जिस तरह पहले अरब देश तेल को लेकर ताकतवर थे, वही ताकत अब चीन के पास आ गई. ट्रंप ने जब उसे टैरिफ की धमकी दी तो चीन ने रेयर अर्थ की सप्लाई बंद करने की बात कह दी. यही हालत भारत की भी हो गई, जब चीन ने इसकी सप्लाई कुछ महीनों के लिए बंद कर दी. अब जाकर दुनिया ने सोचा कि चीन के पास ही इसका कंट्रोल आ चुका है. भारत सहित कई देशों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी, लेकिन इसमें समय लगेगा और चीन तो 40 साल पहले से ही तैयार हो चुका है. चीन सिर्फ अपने देशों में ही नहीं, बल्कि उन देशों पर भी शिकंजा कस चुका है, जहां की जमीन में रेयर अर्थ है.
दुनियाभर में कब्जा कर रहा चीन
रेयर अर्थ का बड़ा भंडार म्यांमार में हैं, जहां की सरकार चीन के इशारे पर चलती है. कई अफ्रीकी देशों के रेयर अर्थ पर भी चीन का शिकंजा है. चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर का मकसद भी इसी रेयर अर्थ पर कब्जा करना है, क्योंकि इसके रास्ते में पड़ने वाले ब्लूचिस्तान में रेयर अर्थ का बड़ा भंडार है. अब जबकि दुनिया इसे लेकर सजग हो चुकी है तो चीन अन्य देशों की जमीन से तो नहीं निकाल सकेगा, लेकिन उन्हें तैयार होने में समय लगेगा.
किन देशों में कितना है भंडार
सबसे ज्यादा रेयर अर्थ तो चीन में ही है. अनुमान है कि उसकी जमीन में 4.4 करोड़ टन रेयर अर्थ मिनरल हैं. दूसरे नंबर पर है ब्राजील, जहां 2.1 करोड़ टन रेयर अर्थ हैं. तीसरा सबसे बड़ा भंडार भारत में बताया जा रहा है, जहां करीब 70 लाख टन रेयर अर्थ मिनरल होने का अनुमान है. हालांकि, इसे निकालने, रिफाइन करने और तैयार करने के लिए पूरा सिस्टम बनाना पड़ेगा, जिसमें टाइम तो लगेगा लेकिन आने वाले समय में यह नया भारत बना सकता है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 22, 2025, 18:52 IST