तुर्की में एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि जो भी वहां जाता है, वह कभी वापस नहीं आता. यह मंदिर प्राचीन शहर हेरापोलिस में स्थित है और इसे प्लूटो का मंदिर या मौत के देवता का मंदिर कहा जाता था. पहले लोगों का मानना था कि मंदिर के आसपास मौत का साया रहता है और यहां आने वाले इंसान या जानवर भी सुरक्षित नहीं रहते. समय के साथ यह जगह खौफनाक और रहस्यमयी बन गई. अब इस मंदिर के पीछे का असली विज्ञान और कारण भी सामने आया है, जिसे जानकर लोग हैरान हो गए.
मौत का मंदिर और स्थानीय मान्यताएं
माना जाता था कि मंदिर के आसपास रहने वाले इंसानों और पशु-पक्षियों तक की मौत हो जाती थी. लंबे समय तक स्थानीय लोग और सैलानी यहां जाने से डरते थे. रोमन माइथोलॉजी में प्लूटो धरती के नीचे के राजा थे और उनके नाम पर बने इस मंदिर को जानलेवा माना जाता था. ऐसा ही अनुभव ग्रीक स्कॉलर स्ट्रैबो ने भी किया था, जिन्होंने मंदिर के करीब जाकर धुएं के कारण लौटना ही बेहतर समझा.
जानें क्या है मंदिर का रहस्य
फरवरी 2018 में शोधकर्ताओं ने मंदिर का रहस्य उजागर किया. मंदिर के नीचे बनी गुफा और पास के गर्म पानी के सोते से भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड और जहरीली गैसें निकलती थीं. इस गैस की मात्रा 91 प्रतिशत तक थी, जबकि वातावरण में इसकी सामान्य मात्रा मात्र 0.039 प्रतिशत होती है. यह गैस ऑक्सीजन से भारी होने के कारण जमीन पर जमा रहती और मंदिर के भीतर गहरा धुआं बनाती. यही कारण था कि यहां आने वाले लोगों की मौत हो जाती थी.
इतिहास थर्मल स्पा और हेरापोलिस की विशेषताएं
हेरापोलिस शहर में गर्म पानी के सोते और थर्मल स्पा लोगों को बीमारियों के इलाज के लिए आकर्षित करते थे. यहां 15 हजार लोगों के बैठने के लिए थिएटर भी बनवाया गया था. लेकिन इसी शहर का दूसरा पहलू था प्लूटो का मंदिर जो अपने रहस्यमयी और जानलेवा प्रभाव के लिए प्रसिद्ध था. आज यह मंदिर इतिहास और विज्ञान दोनों के दृष्टिकोण से अध्ययन का विषय बना हुआ है, जिससे हमें प्राचीन सभ्यताओं की अजीब और खतरनाक परंपराओं का पता चलता है.