तेजस्वी यादव CM बनेंगे या नहीं?राहुल गांधी की रहस्यमयी चुप्पी की इनसाइड स्टोरी

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Last Updated:August 26, 2025, 13:57 IST

Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए ने जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने गठबंधन का चेहरा घोषित कर दिया है, वहीं महागठबंधन में तेजस्वी यादव के नाम पर असमंजस बरकरार है. इस बीच पत्रकारों के सव...और पढ़ें

तेजस्वी यादव CM बनेंगे या नहीं?राहुल गांधी की रहस्यमयी चुप्पी की इनसाइड स्टोरीसीएम फेस को लेकर तेजस्वी यादव के नाम पर राहुल गांधी की चुप्पी पर उठ रहे सवाल.

पटना. बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को गठबंधन का चेहरा माना जा रहा है, लेकिन राहुल गांधी ने 24 अगस्त, 2025 को अररिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी के नाम पर साफ जवाब नहीं दिया. राहुल ने कहा, हमारे गठबंधन के सभी दलों में बेहतर समन्वय है और हम मिलकर काम कर रहे हैं, वोट चोरी रोकना प्राथमिकता है. अब पत्रकार के सीधे सवाल पर भी राहुल गांधी के सवाल से कन्नी काट लेने या फिर रहस्यमयी तरीके से अपने पत्ते नहीं खोलने, या फिर सीएण फेस पर उनकी चुप्पी ने बिहार के सियासी हलकों में नई तरह की चर्चा छेड़ दी है. सवाल पूछे जा रहे हैं कि आखिर क्या वजह है जो कांग्रेस खुलकर तेजस्वी यादव के नाम का ऐलान नहीं कर रही है, जबकि अंदरखाने सभी मानते हैं कि तेजस्वी यादव ही महागठबंधन का चेहरा हैं?

कांग्रेस का सतर्क रुख, आधार मजबूत करने की कोशिश

राजनीति के जानकार इस रणनीति को लेकर कहते हैं कि, दरअसल कांग्रेस बिहार में अपने कमजोर आधार को मजबूत करने की कोशिश में है. लंबे समय के बाद वह अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रही है. वर्ष 2020 में 70 सीटों पर लड़ने के बावजूद उसे सिर्फ 19 सीटें मिली थीं. इस बार भी कांग्रेस 70 सीटें तो कम से कम चाहती ही है. तेजस्वी को सीएम चेहरा घोषित करने में कांग्रेस की हिचक की वजह लालू यादव के जंगलराज की छवि हो सकती है, जो तेजस्वी यादव के नाम से जुड़ जाता है. कांग्रेस को डर है कि तेजस्वी यादव का नाम दलित, सवर्ण और कुछ गैर-यादव पिछड़े वोटरों को बीजेपी-जेडीयू की ओर धकेल सकता है. इसलिए, कांग्रेस सतर्कता बरतते हुए रणनीति बना रही है.

लालू यादव की छवि और दलित, सवर्ण वोटों का डर

इसके अतिरिक्त लालू यादव का जंगलराज बिहार की सियासत में अब भी एक बड़ा मुद्दा है. बीजेपी पहले ही ‘लालू-राबड़ी राज’ का हवाला देकर सवर्ण और गैर-यादव ओबीसी वोटरों को लुभाने में लगी हुई है. तेजस्वी यादव ने जिस तरह से ए टू जेड की राजनीति से खुद को शिफ्ट कर मुस्लिम-यादव के साथ पिछड़ी राजनीति पर फोकस किया है, ऐसे में उनके नाम पर सीएम चेहरा घोषित करने से सवर्ण वोटरों के कांग्रेस से दूर जाने का खतरा है. बता दें कि वर्ष 2020 में सवर्ण वोटों का बड़ा हिस्सा एनडीए को गया था, लेकिन यह भी सियासी सच है कि कांग्रेस पर अगर भरोसा हो जाए तो वह दोबारा कांग्रेस की ओर शिफ्ट हो सकते हैं. बता दें कि कांग्रेस इस बार सवर्णों को साथ लाने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व और राष्ट्रीय नेतृत्व पर जोर दे रही है.

राहुल गांधी और मुस्लिम-दलित वोटों पर फोकस

राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों का मुद्दा उठाकर मुस्लिम और दलित वोटरों को लुभाने की कोशिश साफ दिख रही है. बिहार में 18% मुस्लिम और 17% दलित वोटर अहम हैं. इतना ही नहीं सवर्ण भी करीब 15% (मुस्लिम सवर्ण मिलाकर) हैं जो कभी कांग्रेस के कोर वोट हुआ करते थे. जानकार कहते हैं कि राहुल गांधी का राष्ट्रीय चेहरा अब बिहार में इन समुदायों को एकजुट करने में मदद कर सकता है. कांग्रेस को लगता है कि तेजस्वी के नेतृत्व में यादव-मुस्लिम समीकरण तो मजबूत होगा, लेकिन दलित, सवर्ण और गैर-यादव ओबीसी वोट छिटक सकते हैं. तेजस्वी की लोकप्रियता मजबूत है, लेकिन लालू की छवि सवर्णों को दूर कर सकती है.

तेजस्वी पर सहमति, लेकिन कांग्रेस पत्ते छिपा रही

कांग्रेस की एक और उलझन है जो काफी गंभीर है. दरअसल, सासाराम सांसद मनोज कुमार, पूर्व अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह जैसे कुछ नेता तो तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा मानने को तैयार हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो तेजस्वी यादव को अपना नेता नहीं मानते हैं. हालांकि, कन्हैया कुमार ने बीते जून में तेजस्वी यादव को महागठबंधन का चेहरा बताया था, लेकिन कांग्रेस हाईकमान सतर्क है. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव की तर्ज पर बिना चेहरा घोषित किए चुनाव लड़ना चाहती है. कहा जाता है कि आम सहमति भी है कि अगर आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो तेजस्वी को सीएम बनाया जा सकता है.

सीट बंटवारा और कांग्रेस की दबाव की राजनीति

दूसरी ओर, एक और राजनीतिक पेंच फंसा हुआ है और महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर भी खींचतान जारी है. आरजेडी 2020 की तरह कांग्रेस को 70 सीटें देने के मूड में नहीं है, जबकि कांग्रेस लोकसभा चुनाव 2024 में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर ज्यादा सीटें मांग रही है. जानकारों की नजर में कांग्रेस के तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा न घोषित करना पार्टी की इस दबाव की रणनीति हो सकती है. जाहिर है इससे गठबंधन में कांग्रेस की अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश साफ दिखती है.

वर्तमान चुनौतियां और भविष्य का समीकरण

कांग्रेस की रणनीति साफ है कि वह तेजस्वी यादव के नेतृत्व को स्वीकार करते हुए भी अपने विकल्प खुले रखना चाहती है. बिहार में एनडीए की मजबूती और नीतीश कुमार की स्थापित छवि के सामने महागठबंधन को एकजुटता दिखानी होगी. तेजस्वी यादव की लोकप्रियता, खासकर युवाओं और यादव-मुस्लिम वोटरों में एक बड़ी ताकत है. लेकिन सवर्ण, दलित और गैर-यादव ओबीसी वोटों को साधने के लिए कांग्रेस को सधे हुए कदम उठाने होंगे. फिलहाल कांग्रेस बिना चेहरा घोषित किए चुनाव लड़ना चाहती है, ताकि बाद में समीकरण साधे जा स

Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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First Published :

August 26, 2025, 13:57 IST

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