Signal chat leak: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पूरी टीम लगातार चर्चा में बनी हुई है. हाल ही में यमन में हूती विद्रोहियों पर हवाई हमले की योजना लीक होने के बाद से अटकलें तेज थीं कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज को हटा सकते हैं. उनके अलोचक लगातार कह रहे थे कि जल्द ही सरकार का पहला विकेट गिर जाएगा. अब इस पूरे मामले में डोनाल्ड ट्रंप ने अटकलों पर विराम लगाते हुए साफ कर दिया कि वह किसी को भी पद से नहीं हटाएंगे. उन्होंने फाइनल बयान दे दिया है.
असल में डोनाल्ड ट्रंप ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह फर्जी खबरों और साजिशों के आधार पर किसी को भी बर्खास्त नहीं करते. हालांकि व्हाइट हाउस ने इस लीक की पुष्टि कर दी थी. उन्होंने एनबीसी न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि मैं झूठी खबरों और जासूसी के कारण किसी को नौकरी से नहीं निकालता. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और पेंटागन प्रमुख पीट हेगसेथ पर पूरा भरोसा है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या वाल्ट्ज को हटाने की कोई चर्चा हुई थी तो ट्रंप ने कहा कि मैंने ऐसा कभी नहीं सुना. यह फैसला सिर्फ मेरा होता है. उन्होंने साफ किया कि इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
क्या है पूरा मामला..
दरअसल लीक विवाद की जड़ सिग्नल एप पर हुई एक गलती थी. हुआ यह था कि माइक वाल्ट्ज ने गलती से ‘द अटलांटिक’ पत्रिका के संपादक जेफरी गोल्डबर्ग को एक टॉप सीक्रेट ग्रुप चैट में जोड़ दिया जहां अमेरिकी रक्षा अधिकारी यमन में हूतियों पर हवाई हमले की योजना पर चर्चा कर रहे थे. इस दौरान पेंटागन प्रमुख पीट हेगसेथ ने हमले की रणनीति से जुड़े अहम ब्योरे साझा कर दिए.
इस चूक के बाद गोल्डबर्ग ने ‘द अटलांटिक’ में एक विस्तृत लेख प्रकाशित किया जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें अमेरिकी हमले की जानकारी पहले ही मिल गई थी. इस खुलासे ने राष्ट्रीय सुरक्षा महकमे में हड़कंप मचा दिया और अमेरिकी प्रशासन को तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा.
लीक के बाद क्या हुआ..
इस घटना के बाद अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां सख्त हो गईं और संवेदनशील सूचनाओं को सुरक्षित रखने के उपायों की समीक्षा शुरू कर दी गई. हालांकि अब डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया कि इस लीक को लेकर वह अपने किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं करेंगे.