बारामती (महाराष्ट्र). चमचमाती दुकानों और बढ़िया सड़कों वाले बारामती विधानसभा क्षेत्र में अब तक के सबसे आक्रामक प्रचार अभियान के बीच अजित पवार के लिए इस बार करो या मरो जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. अजित पवार उर्फ दादा के विकास के एजेंडे का सामना शरद पवार उर्फ साहेब की मतदाताओं से भावुक अपील से होगा. बारामती में लोकसभा चुनाव की तरह ही विधानसभा चुनाव में भी पवार बनाम पवार की लड़ाई है. चाचा और भतीजे की राजनीतिक रसूख दांव पर लगी है. शरद पवार लोकसभा चुनाव वाला प्रदर्शन दोहराने की कोशिश में जुटे हैं, वहीं अजित पवार खोई जमीन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं.
बारामती में एक किसान संदीप जगताप (32) ने कहा कि ‘दादा’ के नाम से मशहूर डिप्टी सीएम की खास तरह की छवि है. वह प्रचार अभियानों में ज्यादा वक्त देने की जहमत भी नहीं उठाते हैं. उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘अब वह मुस्करा रहे हैं, झुक रहे हैं और हाथ जोड़कर हमारे वोट मांग रहे हैं.’ जगताप के मित्र अमोल कुलांगे ने कहा कि चुनाव में पवार परिवार के सदस्यों की भी अप्रत्याशित भागीदारी देखी गई है, जो ज्यादातर शरद पवार के पोते युगेंद्र पवार का समर्थन कर रहे हैं. युगेंद्र को उपमुख्यमंत्री अजित पवार से मुकाबले के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा गया है.
शरद पवार की पत्नी की सक्रियता
कुलांगे ने कहा कि शरद पवार की पत्नी प्रतिभा पवार भी प्रचार अभियान में उतर आई हैं. वह पहले के चुनावों में ज्यादा दिखाई नहीं दी थीं. परिवार के अन्य सदस्य भी प्रचार अभियान में भाग ले रहे हैं. ‘साहेब’ के नाम से लोकप्रिय और प्रदेश के चार बार मुख्यमंत्री रह चुके शरद पवार का पश्चिमी महाराष्ट्र में उनके गढ़ में सम्मान साफ तौर पर देखा जा सकता है. लेकिन, उनसे अलग हो चुके उनके भतीजे अजित पवार का भी बारामती में कद ऊंचा है. शरद पवार ने छह बार बारामती का प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने साल 1991 में इस क्षेत्र की कमान अजित पवार को सौंप दी थी.
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अजित पवार का गढ़
अजित पवार अब लगातार आठवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं और पार्टी के 40 विधायकों के साथ 2023 में अपने चाचा से अलग होने के बाद यह उनका पहला चुनावी मुकाबला है. उनके धड़े को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का दर्जा प्राप्त है. पेशे से शिक्षक श्रीकृष्ण बोरकर ने कहा कि वीपी कॉलेज समेत बारामती के विकास में अजित पवार का बड़ा योगदान है. उन्होंने कहा कि वीपी कॉलेज का बुनियादी ढांचा बहुत अच्छा है. हालांकि, लोगों का एक वर्ग सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिलाने के लिए अपने चाचा की पार्टी हथियाने को लेकर अजित पवार की आलोचना करता है.
शरद पवार का भावनात्मक संबंध
करीब 60 वर्ष की आयु के किसान मोहन अखाड़े ने दावा किया कि NCP के पक्के समर्थक कभी साहेब को नहीं छाड़ेंगे. उन्होंने कहा कि शरद पवार ही थे, जिन्होंने बारामती को विकास के मॉडल के रूप में पेश किया. शरद पवार (83) से लोगों का भावनात्मक संबंध ही है कि हाल में हुए लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले के खिलाफ अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को हार का मुंह देखना पड़ा. इस विधानसभा चुनाव में युगेंद्र पवार बेशक उपमुख्यमंत्री के खिलाफ NCP (SP) उम्मीदवार हैं, लेकिन किसी को इसमें संदेह नहीं है कि यह लड़ाई साहेब और दादा के बीच है.
अजित पवार भी कम नहीं
ऐसे मतदाता भी हैं जो कहते हैं कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में शरद पवार के प्रति अपनी वफादारी के लिए सुले को वोट दिया था, जब उन्हें अपने सबसे बड़े राजनीतिक संकटों में से एक का सामना करना पड़ा था. अब वे अजित पवार को उनके काम के लिए समर्थन देंगे. अब सभी की निगाहें 18 नवंबर को बारामती में शरद पवार की जनसभा पर है. उसी दिन 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार खत्म हो जाएगा.
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FIRST PUBLISHED :
November 16, 2024, 16:44 IST