Last Updated:February 21, 2025, 13:18 IST
Parvesh Verama vs Rekha Gupta: परवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को हराया लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री नहीं बन सके. उन्हें लोक निर्माण और जल विभाग मिले. रेखा गुप्ता को महिला नेता और आरएसएस से जुड़ाव के कारण सीएम चु...और पढ़ें

प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को हराया था.
हाइलाइट्स
रेखा गुप्ता बनीं दिल्ली की मुख्यमंत्री.प्रवेश वर्मा को लोक निर्माण और जल विभाग मिले.महिला नेता और आरएसएस से जुड़ाव के कारण रेखा गुप्ता चुनी गईं.Parvesh Verma News: गुरुवार की सुबह थी. परवेश साहिब सिंह वर्मा के घर पर कोई जश्न का माहौल नहीं था. उनके चेहरे पर निराशा साफ झलक रही थी. वो इस बार के विधानसभा चुनाव में जायंट स्लेयर यानी दिग्गज को धूल चटाने के बाद भी दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने का सुनहरा मौका चूक गए. प्रवेश वर्मा डिप्टी सीएम भी नहीं बने. उन्हें लोक निर्माण विभाग और जल जैसे विभाग मिले हैं.
प्रवेश वर्मा को इससे ही संतोष करना पड़ेगा. ये दोनों विभाग नई सरकार के लिए काफी अहम हैं, क्योंकि अच्छी सड़कें और साफ पानी पार्टी के अहम चुनावी वादे रहे हैं. जल विभाग का कार्यभार संभालते हुए यमुना की सफाई में भी उनकी अहम भूमिका होगी.
भाजपा सूत्रों ने कहा कि प्रवेश वर्मा अपनी राजनीतिक विरासत की वजह से रेखा गुप्ता से पिछड़ गए. कारण कि उनके पिता साहिब सिंह वर्मा एक समय दिल्ली के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस दोनों ही ऐसे नेता के साथ अधिक सहज थे, जिनकी कोई पारिवारिक राजनीतिक विरासत न हो. जो पार्टी के पदों पर काम करते हुए ऊपर आए हों. इसके अलावा, महिला नेता को तरजीह दी जा रही थी और इसलिए प्रवेश वर्मा पिछड़ गए.
इस बार चौंक गए लोग
कई सालों से नई दिल्ली सीट से जीतने वाला विधायक ही मुख्यमंत्री बनता आया है. चाहे वो शीला दीक्षित हों या अरविंद केजरीवाल. इसीलिए जब प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को हराकर सबको चौंका दिया, तो कई लोग उन्हें मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे मानने लगे थे.
प्रवेश वर्मा के पास अनुभव की कमी
प्रवेश वर्मा पहली बार 2013 में विधायक बने थे. उसके बाद 2014 और 2019 में पश्चिमी दिल्ली से सांसद चुने गए. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें दिल्ली से टिकट नहीं दिया गया. जाट नेता होने के नाते प्रवेश वर्मा का अच्छा खासा प्रभाव है. लेकिन उनके पास नगरपालिका की राजनीति या बीजेपी की राज्य इकाई का अधिक अनुभव नहीं था.
महिला चेहरा था मकसद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का परिचय कुछ इस तरह कराया, ‘एक ऐसी नेता जो जमीनी स्तर से उठी हैं, छात्र राजनीति और राज्य संगठन में सक्रिय रहीं, नगर निगम में पार्षद के तौर पर काम किया और अब पहली बार विधायक बनी हैं.’ बीजेपी दिल्ली में एक महिला चेहरा चाहती थी. रेखा गुप्ता को छोड़कर अभी देश में बीजेपी की कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं है. हालांकि राजस्थान और ओडिशा में पार्टी की दो महिला उपमुख्यमंत्री हैं. दिल्ली में सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी पहले महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.
महिला वाला फैक्टर काम कर गया
पीएम मोदी अक्सर ‘नारी शक्ति’ की बात करते हैं. उनकी सरकार महिला आरक्षण बिल पास कराने पर गर्व जताती है. दिल्ली एक ऐसा राज्य भी है, जहां इस बार महिलाओं ने भारी संख्या में बीजेपी को वोट दिया है. इसका कारण है कि भाजपा ने महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये देने की योजना का वादा किया था. इसलिए मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता का चयन इस दृष्टिकोण से भी सही बैठता है. वह प्रभावशाली बनिया (व्यापारी) समुदाय से भी हैं, जिसने हमेशा दिल्ली में बीजेपी का समर्थन किया है.
किस फैक्टर से हारे प्रवेश
ऐसा लगता है कि रेखा गुप्ता को सीएम चुनने में एक और वजह ने अहम भूमिका निभाई है. और वो है आरएसएस में उनकी मजबूत पकड़. उनकी बायो में बताया गया है कि वह 32 साल से संघ से जुड़ी हुई हैं और उनके चयन पर आरएसएस की छाप साफ दिखाई देती है. रेखा गुप्ता संघ की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का हिस्सा थीं. 1990 के दशक के अंत में दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन की अध्यक्ष बनीं. ये ऐसा मुद्दा था जो प्रवेश वर्मा के बायोडाटा में नहीं था.
क्या नाराज हैं प्रवेश
बीजेपी के एक नेता ने News18 को बताया कि वर्मा शुरू में निराश हो सकते हैं, लेकिन पार्टी का अनुशासन ऐसा है कि टीम सुचारू रूप से काम करेगी. प्रवेश वर्मा को महत्वपूर्ण विभाग दिए गए हैं और इसलिए वह राजधानी में सड़कों की स्थिति और पीने के पानी की स्थिति में सुधार की देखरेख करेंगे. एक अन्य भाजपा नेता ने समझाया कि प्रवेश वर्मा को प्रदर्शन करने का बड़ा मौका दिया गया है. वैसे प्रवेश वर्मा ने पत्रकारों से कहा था कि वह निराश नहीं हैं.
Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
February 21, 2025, 13:14 IST