Gwadar airport is ready in Pakistan: पाकिस्तान में खरबों रुपये की लागत से बना सबसे नया एयरपोर्ट वीरान पड़ा है. इस हवाईअड्डे में दुनिया की सारी सुविधाएं और साजोसामान मौजूद है, इसके बावजूद यहां पसरा सन्नाटा बहुत गहरे सवाल उठाता है. गले तक कर्ज में डूबे पाकिस्तान की औकात ही नहीं थी कि वो ऐसा शानदार एयरपोर्ट बनवा पाता, अब तैयार होने के बाद यहां पसरा सन्नाटा बहुत से लोगों को खल रहा है. क्यों इसकी हालत ऐसी है, आइए पड़ताल करते हैं.
इतने में उतर जाता पाकिस्तान का काफी कर्जा
ग्वादर एयरपोर्ट पूरी तरह से चीन के फंड से बना है. इसकी लागत $240 मिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा है. अक्टूबर 2024 में इसका निर्माण पूरा होने के बावजूद इस एयरपोर्ट में कुत्ते यूरीन कर रहे हैं. 20,78,38,80,960 रुपयों के खर्च और दुनिया की हर सुख-सुविधा होने के बावजूद ये एयरपोर्ट चार महीने से बंद पड़ा है. यहां कुछ सिक्योरिटी वाले कभी-कभार दिख जाते हैं, वरना कबूतर और कौवे यहां बीटकरके इसकी खूबसूरती बिगाड़ रहे हैं.
खासियत जानकर उड़ जाएंगे होश!
ये एयरपोर्ट 4,300 एकड़ जमीन में फैला है. यह एयरपोर्ट पाकिस्तान का सबसे बड़ा और एडवांस्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट है. आधिकारिक तौर पर इसका उद्घाटन 20 जनवरी को हुआ था. उसके बाद से यहां मेन गेट पर ताला लटक रहा है. अंदर हवाई पट्टी से लेकर तमाम हैंगर्स तैयार हैं. हर चीज का माकूल इंतजाम है. एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम बहुत शानदार है. उसमें अत्याधुनिक राडार और मशीने लगी हैं. लेकिन यहां से किसी तरह की फ्लाइट का कोई संचालन नहीं होता है.
न एक यात्री न कोई फ्लाइट
ग्वादर एयरपोर्ट पर 2019 में काम शुरू हुआ था. आज ये तैयार होकर वीरान पड़ा है. अपने शानदार निर्माम के चलते 21 करोड़ पाकिस्तानी इसे देख-देखकर अपना जी जुड़ा लेते हैं, लेकिन यहां से किसी को कोई काम धंधा यानी रोजगार न मिलने के चलते लोग परेशान हैं. उनका मानना है कि ऐसे ही बंद पड़ा रहा तो आज नहीं तो कल ये एयरपोर्ट एक खंडहर में बदल जाएगा.
पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) PK 503 विमान वाणिज्यिक यात्रियों और उच्च पदस्थ अधिकारियों को लेकर उद्घाटन के बाद नए हवाई अड्डे पर पहुंचने वाली पहली वाणिज्यिक उड़ान थी.
क्या चीन यहां बनाएगा मिलिट्री बेस?
सालाना 400,000 यात्रियों को संभालने के लिए डिज़ाइन इस एयरपोर्ट पर आज तक कोई फ्लाइट शेड्यूल नहीं हुई. आगे की भी किसी निर्धारित उड़ान का अता-पता दूर-दूरतक नहीं है. न्यू ग्वादर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का हिस्सा है, जो अरबों डॉलर की एक परियोजना है, जिसका उद्देश्य चीन के शिनजियांग प्रांत को अरब सागर से जोड़ना है.
हालांकि पाकिस्तान की सरकार और अफसर इसकी तारीफ करते नहीं थकते, लेकिन असल में ये यूजलेस पड़ा है. ग्वादर के आम लोगों का कहना है कि इससे उन्हें या पाकिस्तान को कोई खास फायदा होता नहीं दिख रहा है. पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित ग्वादर में स्थिर बिजली आपूर्ति और स्वच्छ पानी जैसे बुनियादी ढांचे का अभाव है.
'हवाई अड्डा चीन के लिए बनाया गया, स्थानीय लोगों के लिए नहीं'
स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि इस एयरपोर्ट को चीन के लिए बनाया गया है. इसलिए यहां पाकिस्तानियों की एंट्री नहीं है. न ही इसमें आज तक कोई कमर्सियल फ्लाइट लैंड हुई ना ही किसी दूसरे शहर के लिए यहां से किसी फ्लाइट का टेकऑफ हुआ.
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट में पाकिस्तान-चीन रिलेशंस के एक्सपर्ट अजीम खालिद के हवाले से दावा किया गया है कि, ये एयरपोर्ट पाकिस्तान या ग्वादर के लोगों के लिए नहीं बल्कि चीन के पर्सनल यूज के लिए बना है. यहां से चीनी लोग अपने नागरिकों के लिए ग्वादर और बलूचिस्तान तक का सुरक्षित एक्सेस हासिल कर सकते हैं.
थोक के भाव मारे जा रहे चीनी लोग
यहां एयरपोर्ट बनाना आसान नहीं था. बलूचिस्तान में दशकों से जारी मुक्ति आंदोलन और बवाल के बीच चला ये प्रोजेक्ट हमेशा असुरक्षित रहा है. इस प्रांत में अलगाववादी समूह के लाखों नेता और जनता स्थानीय संसाधनों के शोषण का विरोध करते हैं. यहां आए दिन पाकिस्तानी फौज और चीन के फौजियों के साथ-साथी चीनी मजदूर भी धमाकों में मारे जाते हैं या उन्हें गोलियों से भून दिया जाता है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस समस्या से बहुत परेशान हैं.
पाकिस्तान ने चीनी निवेश की सुरक्षा के लिए ग्वादर में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है. जिससे स्थानीय लोगों की आवाजाही पर अघोषित प्रतिबंध लग गया है. चीनी श्रमिकों और अफसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यहां सड़कें अक्सर बंद कर दी जाती हैं. ग्वादर के मूल लोग पाकिस्तान के अत्याचार से तंग आकर और चीन की चालबाजी को समझकर दोनों देशों के हुक्मरानों को जी भरके कोसने के साथ बद्दुआ भी देते हैं.