Last Updated:January 19, 2025, 15:28 IST
Disapperance of Saraswati river: सरस्वती नदी का नाम भारतीय पौराणिक और धार्मिक कथाओं में अनमोल स्थान रखता है. इसका रहस्यमय गायब होना और धार्मिक महत्व आज भी आस्था और विज्ञान के बीच का विषय बना हुआ है.
फाइल फोटो
भारत की पवित्र नदियों में सरस्वती नदी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. प्राचीन ग्रंथों और वेदों में सरस्वती को ‘ज्ञान की देवी’ और ‘तीन प्रमुख नदियों’ में से एक बताया गया है. गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम प्रयागराज में होता है, जिसे धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. लेकिन आज के समय में सरस्वती नदी को केवल पौराणिक कथाओं और धर्मग्रंथों में ही देखा जा सकता है. वैज्ञानिक और पुरातत्वविद इसे खोजने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अब तक यह नदी एक रहस्य बनी हुई है.
धार्मिक मान्यता और श्रद्धा
सरस्वती को भारतीय संस्कृति और धर्म में ज्ञान, कला और संगीत की देवी के रूप में पूजा जाता है. ऐसा माना जाता है कि सरस्वती नदी का जल इतना पवित्र था कि उसमें स्नान करने से सभी पाप धुल जाते थे. प्रयागराज में गंगा और यमुना के साथ अदृश्य सरस्वती का संगम श्रद्धालुओं के लिए बड़ा धार्मिक महत्व रखता है. सरस्वती के अदृश्य हो जाने के बावजूद, इस नदी का नाम हर भारतीय के दिल में अमर है.
वैज्ञानिक अनुसंधान और खोज
वैज्ञानिकों ने सरस्वती नदी की संभावित धारा का पता लगाने के लिए आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया है. सैटेलाइट चित्रों और भौगोलिक अध्ययन से पता चला है कि हरियाणा और राजस्थान में कुछ जगहों पर सूखी नदी के निशान हैं, जो कभी सरस्वती की धारा हो सकती हैं. इन अध्ययनों के अनुसार, सरस्वती नदी हजारों साल पहले सूख गई थी. यह माना जाता है कि जलवायु परिवर्तन और भूगर्भीय हलचलों के कारण सरस्वती का अस्तित्व समाप्त हो गया.
धार्मिक कथा और नदी का गायब होना
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सरस्वती नदी का अदृश्य होना एक अभिशाप का परिणाम है. कहा जाता है कि ऋषि-मुनियों ने सरस्वती से अपनी तपस्या में बाधा न डालने का अनुरोध किया था, लेकिन नदी का तेज प्रवाह रुक नहीं सका. क्रोधित ऋषियों ने इसे अदृश्य होने का श्राप दे दिया. हालांकि, यह केवल कथा है, लेकिन इसके पीछे गहरी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भावना जुड़ी हुई है.
सरस्वती का आज का महत्व
आज सरस्वती नदी भले ही हमारे सामने न हो, लेकिन इसका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व आज भी बना हुआ है. हर साल माघ मेले में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं और सरस्वती की उपस्थिति को महसूस करते हैं. इस नदी का रहस्य भारतीय सभ्यता और संस्कृति का एक अनमोल हिस्सा है. इसके साथ जुड़े अध्यात्म और ज्ञान की परंपरा हमेशा अमर रहेगी.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
January 19, 2025, 15:28 IST
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