सरकारी कॉलेज से पढ़ाई, सेल्फ स्टडी से MPPSC में मिली 12वीं रैंक

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Last Updated:January 19, 2025, 15:01 IST

MPPSC Success Story: कई बार पिता की बात इतनी घर कर जाती है कि उसे पूरा करने के लिए बच्चे जी तोड़ मेहनत करते हैं. ऐसी ही कहानी एक लड़की की है, जो सेल्फ स्टडी करके MPPSC क्रैक करके डिप्टी कलेक्टर बन गई हैं.

सरकारी कॉलेज से पढ़ाई, सेल्फ स्टडी से MPPSC में मिली 12वीं रैंक

MPPSC Success Story: सेल्फ स्टडी करके MPPSC में 12वीं रैंक हासिल की हैं.

MPPSC Success Story: अगर कुछ करने का जज्बा और जुनून हो, तो किसी भी परिस्थिति में खुद को निखारने से कोई नहीं रोक सकता है. इस वाक्य को एक लड़की ने सही साबित कर दिया है. उन्होंने बिना किसी कोचिंग के केवल सेल्फ स्टडी के दम पर मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा में 12वीं रैंक हासिल की हैं. वह अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए तीसरे प्रयास में इस परीक्षा को पास करने में सफल हुए हैं. इस परीक्षा के जरिए अब उनका चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ है. इनका नाम आयशा अंसारी (Ayesha Ansari) है.

MPPSC में हासिल की 12वीं रैंक
MPPSC में 12वीं रैंक लाने वाले आयशा अंसारी मूल रूप से रीवा की रहने वाले हैं. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रीवा के एक निजी स्कूल से प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने 12वीं की पढ़ाई शासकीय प्रवीण कन्या स्कूल से पूरी की और कॉलेज की पढ़ाई शासकीय आदर्श महाविद्यालय, रीवा से की हैं. आयशा के पिता ऑटो चालक हैं, लेकिन उनकी तबीयत खराब होने के कारण अब वे काम नहीं कर पाते. आर्थिक चुनौतियों के बावजूद आयशा ने अपने दृढ़ निश्चय और मेहनत से सफलता हासिल की हैं.

पिता का सपना बना प्रेरणा
आयशा ने बताया कि उनके पिता सुबह के समय टहलने के लिए पुलिस लाइन कॉलोनी जाया करते थे. वहां अधिकारियों के बंगलों के बाहर लगी नेमप्लेट्स पर डिप्टी कलेक्टर और कलेक्टर जैसे पदों के नाम देखकर उनके पिता ने घर लौटकर कहा कि काश हमारे परिवार में भी कोई ऐसा अधिकारी होता. पिता की इस बात ने आयशा को प्रेरित किया और उसी दिन उन्होंने कलेक्टर बनने का संकल्प लिया.

परिवार और दोस्तों का योगदान
आयशा अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और दोस्तों को देती हैं. उन्होंने बताया कि माता-पिता ने हर कदम पर उनका हौसला बढ़ाया और दोस्तों ने पढ़ाई के दौरान मानसिक रूप से उनका साथ दिया.
परीक्षा रिजल्ट घोषित होने के बाद आयशा के घर पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया. रिश्तेदार, पड़ोसी और दोस्त आयशा की इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं.

आयशा की कहानी यह साबित करती है कि कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद यदि मेहनत और संकल्प हो, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.

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First Published :

January 19, 2025, 15:01 IST

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